पटना : रविवार को रमजान का चांद नजर आने पर उसी दिन से तरावीह (विशेष नमाज) शुरू हो जायेगी और दूसरे दिन सोमवार को रमजान का पहला रोजा होगा. यह सब चांद पर निर्भर करता है. हालांकि तरावीह की नमाज पढ़ाने के लिए हाफिज तय कर दिये गये हैं. रमजान-उल-मुबारक के महीने में 30 दिनों तक रोजे रखे जायेंगे. इसके साथ ही पूरे माह कुरान की तिलावत होगी. इस महीने की इबादत बेकार नहीं जाती है. अल्लाह की खुशनूदी के लिए मुस्लिम धर्मावलंबी इबादत में तल्लीन हो जाते हैं.
रमजान की अहमियत
रमजानुल मुबारक का महीना नेकी कमाने के साथ-साथ गुनाहों से माफी के लिए भी है. इस महीने में की गयी इबादत का सवाब 70 गुना ज्यादा मिलता है. एक नेकी करने पर 70 नेकी का सवाब मिलता है. रमजान के महीने को तीन हिस्सों में बांटा गया है. पहला असरा रहमत वाला, दूसरा असरा मगफिरत वाला और तीसरा असरा जहन्नुम से आजादी वाला है. अल्लाह ने आसमानी किताब (कुरान) इसी महीने धरती पर उतारी. हजरत जिब्रइल अलैहिस्सलाम हर साल रमजान में पूरा कुरान हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहेवसल्लम को सुनाते थे.
इस महीने में कुरान पढ़ने, सुनने-सुनाने सवाब अधिक मिलता है. हजरत मोहम्मद ने फरमाया, रमजान सब्र का महीना है. यानी रोजा रखने में कुछ तकलीफ हो तो इस बर्दाश्त करें.
इमारते शरिया के सचिव अनिसुर्रहमान कासमी ने बताया कि रविवार को चांद नजर आने पर सोमवार से नहीं तो मंगलवार से रमजान का महीना शुरू होगा. उन्होंने कहा कि वैसे रविवार को चांद दिखने की कम संभावना है, इसलिए अधिक उम्मीद है कि भारत में मंगलवार से ही रमजान का महीना शुरू होगा. सऊदी अरब में एक दिन पहले चांद दिखने और रमजान के शुरू होने की अधिक संभावना है.
चार जून को रमजान का महीना पूरा हाेगा और पांच जून को ईद मनायी जायेगी. रमजान के महत्व को बताते हुए उन्होंने कहा कि इस्लामी कैलेंडर में यह सबसे अफजल और पवित्र महीना है. इसकी शुरुआत चांद दिखने के बाद से होती है और 29 या 30 दिन का ये महीना होता है. इस महीने हर मुसलमान मर्द या औरत (जो बालिग हो) पर रोजा रखना फर्ज है.