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हड़ताल का असर : पीएमसीएच में टल गये 14 ऑपरेशन, इंडोर में नहीं पहुंचे जूनियर डॉक्टर, सीनियर भी रहे गायब, मरीज परेशान
मरीजों ने कहा- कोई नहीं है हमारी पीड़ा सुनने वाला पटना : पीएमसीएच में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल का असर इमरजेंसी के साथ ही इंडोर में भरती मरीजों पर भी दिखा. जूनियर डॉक्टरों ने सुबह में करीब आधे घंटे ओपीडी सेवा बाधित करने के साथ ही पूरे दिन काम काज से खुद को अलग रखा. […]
मरीजों ने कहा- कोई नहीं है हमारी पीड़ा सुनने वाला
पटना : पीएमसीएच में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल का असर इमरजेंसी के साथ ही इंडोर में भरती मरीजों पर भी दिखा. जूनियर डॉक्टरों ने सुबह में करीब आधे घंटे ओपीडी सेवा बाधित करने के साथ ही पूरे दिन काम काज से खुद को अलग रखा. स्वास्थ्य विभाग द्वारा भेजे गये 25 अतिरिक्त डॉक्टरों के सहारे इमरजेंसी चलायी गयी. इसकी वजह से 17 माइनर ऑपरेशन ही संभव हो सके, जबकि अगले दिन के लिए 14 टाल दिये गये. जूनियर डॉक्टरों की अनुपस्थिति में सीनियरों ने भी इंडोर वार्डों में राउंड नहीं लगाया.
पढ़ाई से लेकर इलाज तक ठप : जूनियर डॉक्टरों ने अपनी मांगों के समर्थन में स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग के बगल में कैंप लगा कर प्रदर्शन किया. उन्होंने स्वास्थ्य विभाग, पीएमसीएच प्रशासन व एम्स प्रशासन के खिलाफ जम कर नारेबाजी की.
उनके समर्थन में पीजी छात्र भी उतर आये, जिसकी वजह से कक्षाएं भी नहीं चली. इलाज से लेकर पढ़ाई तक पर हड़ताल का असर रहा. जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष शंकर भारती ने कहा कि राज्य कोटे की पीजी सीट पर एम्स छात्रों के नामांकन पर रोक लगाये जाने तक आंदोलन चलता रहेगा.
बंद कमरे में दो घंटे चली बैठक : हड़ताल की वजह से पड़ने वाले असर को देखते हुए पीएमसीएच प्राचार्य डॉ रामजी प्रसाद सिंह व अधीक्षक डॉ राजीव रंजन प्रसाद के नेतृत्व में सभी विभागाध्यक्षों के साथ सुबह करीब दो घंटे बैठक चली. इस बैठक में सभी विभागों को अलर्ट करते हुए सीनियर डॉक्टरों को नाइट के साथ दिन में भी राउंड लगाने के निर्देश दिये गये.
इनके साथ ही क्लिनिकल, नॉन क्लिनिकल व पैरा मेडिकल स्टाफ की ड्यूटी भी बढ़ा दी गयी. बैठक के बाद अधीक्षक ने खुद सभी वार्डों का निरीक्षण किया और इलाज को लेकर मरीजों से पूछताछ की. साथ ही कमियों को दूर करने के निर्देश दिये गये.
इसलिए हड़ताल पर गये जूनियर डॉक्टर
बिहार के मेडिकल कॉलेजों में क्लिनिकल व नॉन क्लिनिकल मिला कर कुल 500 सीटों पर पीजी का दाखिला लिया जाता है. इसमें 250-250 सीट केंद्रीय व राज्य कोटे के लिए आरक्षित है. जेडीए का आरोप है कि बिहार कोटे की 250 सीटों पर पटना एम्स के छात्रों का दाखिला भी लिया जाने लगा है, जो पूरी तरह से गलत है. इस साल 11 अप्रैल को इसको लेकर काउंसेलिंग होनी है. जेडीए की मांग है कि अगर बिहार कोटे में एम्स के छात्र प्रवेश करते हैं तो हम लोगों को भी एम्स में दाखिले की अनुमति दी जाये.
गर्दन की दब रही नस को दिखाने पीएमसीएच में आया था. इलाज नहीं मिलने से लौटना पड़ रहा है. ओपीडी में भी डॉक्टर नहीं मिले. निजी अस्पताल में दिखाना पड़ेगा.
मो शकील, वैशाली
माइग्रेन की शिकायत लेकर आया हूं. सिर दर्द से बेहद परेशान हूं. लेकिन, इमरजेंसी में पहुंचा तो डॉक्टरों ने कहा कि कल आना, आज हड़ताल है.
उपेंद्र राय, समस्तीपुर
बेटा अंकित राजेंद्र सर्जिकल वार्ड में भरती है. पेट दर्द की शिकायत पर सीनियर डॉक्टर को बुलाने गया था. आज कोई भी डॉक्टर राउंड लगाने नहीं आया.
बाल्मिकी सिंह, पटना
12 साल की बेटी सना आरएसबी के हड्डी विभाग में भर्ती है. डॉक्टर राउंड लगाने नहीं आये तो चिंता हो रही है. दर्द हो रहा है तो किससे पूछने जाएं, समझ नहीं आ रहा.
मो हसन, पूर्णिया
आइजीआइएमएस : मांगों के समर्थन में की नारेबाजी
एनएमसीएच: ओपीडी ठप इमरजेंसी भी कराया बंद
पटना सिटी : सोमवार से नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल के जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के सदस्य सुबह नौ बजे से हड़ताल पर चले गये. उन्होंने घूम-घूम कर विभागों में ओपीडी सेवा और रजिस्ट्रेशन काउंटर को बंद कराया.
इसके बाद धरना दिया. केंद्रीय रजिस्ट्रेशन काउंटर बंद करा देने से एक भी ओपीडी मरीज का पुर्जा नहीं कटा. हड़ताल के कारण मरीजों को निराश लौटना पड़ा. मरीजों की हड़ताली चिकित्सकों से झड़प भी हुई. सीनियर ने काम करने की कोशिश की तो जूनियरों ने उन्हें रोका. हड़ताली चिकित्सक ऑपरेशन थियेटर में भी पहुंचे. वहां ऑपरेशन करने से रोका, लेकिन अधीक्षक डॉ चंद्रशेखर के समझाने के उपरांत वहां से चिकित्सक हट गये. प्राचार्य डॉ सीताराम प्रसाद ने बताया कि सोमवार को जेनरल ओटी में 13 व गायनी में तीन मरीजों की शल्य चिकित्सा की गयी. अस्पताल में मरीजों की संख्या घट गयी थी. सिविल सर्जन की ओर से दस चिकित्सक एनएमसीएच में प्रतिनियुक्ति पर भेजे गये हैं.
इलाज में बाधा पहुंचाया तो होगी कानूनी कार्रवाई
नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंचे स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने स्पष्ट कहा कि हड़ताली चिकित्सक सीनियर को कामकाज करने से रोकने व मरीजों के इलाल में बाधा पहुंचाने की चेष्टा करेंगे, तब उन पर कानूनी कार्रवाई की जायेगी.
प्रधान सचिव अस्पताल के ऑडिटोरियम में आयोजित लैपटॉप वितरण समारोह से बाहर निकलने लगे, तब हड़ताली जूनियर डॉक्टरों ने घेरने की कोशिश की. प्रधान सचिव ने कॉलेज प्राचार्य व अधीक्षक को निर्देश दिया कि हड़ताली चिकित्सक वार्ता के लिए आना चाहते हैं, तो विभाग में लेकर आइए. हालांकि विभाग में वार्ता के लिए जाने से इन्कार कर दिया.
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