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गर्भवती महिला अभ्यर्थियों को नहीं मिली राहत
पटना : पटना हाइकोर्ट ने शुक्रवार को अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में स्पष्ट किया कि अदालत की ओर से राज्य में दारोगा और वार्डन की बहाली में गर्भवती महिला अभ्यर्थियों को शारीरिक परीक्षा में कोई छूट नहीं दी जायेगी. मुख्य न्यायाधीश अमरेश्वर प्रताप शाही और न्यायाधीश अंजना मिश्र की खंडपीठ ने इस संबंध में दायर […]
पटना : पटना हाइकोर्ट ने शुक्रवार को अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में स्पष्ट किया कि अदालत की ओर से राज्य में दारोगा और वार्डन की बहाली में गर्भवती महिला अभ्यर्थियों को शारीरिक परीक्षा में कोई छूट नहीं दी जायेगी. मुख्य न्यायाधीश अमरेश्वर प्रताप शाही और न्यायाधीश अंजना मिश्र की खंडपीठ ने इस संबंध में दायर अपील पर यह फैसला सुनाया.
खंडपीठ में सुनवाई पूरी कर अपना आदेश पहले ही सुरक्षित रख लिया था. कोर्ट ने कहा कि यह सरकार पर निर्भर करता है कि अगर वह चाहे तो गर्भवती महिला अभ्यर्थियों को इस मामले में छूट दे सकती है. ऐसी बात नहीं है की गर्भवती महिला अभ्यर्थियों का यह संवैधानिक अधिकार है. खंडपीठ ने यह आदेश बिहार केंद्रीय सिपाही चयन आयोग की अपील पर सुनाया है.
हाइकोर्ट की एकलपीठ ने नये सिरे से शारीरिक परीक्षा लेने का दिया था आदेश
इससे पहले गर्भवती महिला अभ्यर्थियों द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ के न्यायाधीश ज्योति शरण ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वह नये सिरे से शारीरिक दक्षता परीक्षा आयोजित करे. एकलपीठ के इसी आदेश को सिपाही भर्ती आयोग द्वारा हाईकोर्ट की खंडपीठ में चुनौती दी गयी थी, जिस पर यह फैसला आया है.
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