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पटना : ढाई साल में 27 हजार आवेदनों में आधा अस्वीकृत, पांच हजार लोगों को टहलाया
अनिकेत त्रिवेदी लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम की पड़ताल पटना : जिले में लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम (पीजीआरएस) के हालात उतने बेहतर नहीं है. मामले को निबटाने के बदले अस्वीकृत करने या फिर दूसरे विभाग में फाइल भेजने का काम अधिक हो रहा है. हालत ऐसी है कि बीते ढाई वर्षों में मिले 27,222 […]
अनिकेत त्रिवेदी
लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम की पड़ताल
पटना : जिले में लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम (पीजीआरएस) के हालात उतने बेहतर नहीं है. मामले को निबटाने के बदले अस्वीकृत करने या फिर दूसरे विभाग में फाइल भेजने का काम अधिक हो रहा है.
हालत ऐसी है कि बीते ढाई वर्षों में मिले 27,222 आवेदनों में से मात्र 13,414 आवेदनों को ही स्वीकृत किया गया है. शेष अस्वीकृत कर दिये गये. प्रभात खबर ने जिले में चल रहे पीजीआरएस के आंकड़ों की पड़ताल की, तो कई बातें निकल कर सामने आयी. गौरतलब है कि जिला व अनुमंडल स्तर पर बीते छह जून, 2016 से कानून लागू है. तब से विभिन्न विभागों से लेकर आमजनों के शिकायत को निबटाने के लिए सभी स्तरों से काउंटर के माध्यम से 60 दिनों में निबटारा करने का प्रयास होता है.
द्वितीय अपील में पड़े मामले
कोषांग कुल अस्वीकृत लंबित
जिला शिकायत निवारण कोषांग 7290 4790 1212
अनुमंडल दानापुर 4239 1982 495
अनुमंडल पटना सदर 5165 2153 637
अनुमंडल पटना सिटी 2809 1543 352
अनुमंडल पालीगंज 2275 767 233
अनुमंडल बाढ़ 2825 1493 287
अनुमंडल मसौढ़ी 2628 1020 405
जिला व अनुमंडल स्तर पर मामले का होता है निबटारा
इस कानून के तहत जिला और अनुमंडल स्तर पर शिकायतों को लिया जाता है. इसके लिए वहां कोषांग का गठन किया गया है. इसमें दानापुर, पटना सदर, पटना सिटी, पालीगंज, बाढ़ व मसौढ़ी के अलावा जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी मामले का निबटारा किया जाता है. फिलहाल ढाई वर्ष में 5709 मामलों का वैकल्पिक सुझाव दिया गया है यानी मामले का निबटाना न कर दूसरी जगह जाने का सुझाव शिकायतकर्ता को दिया गया है. वहीं, अब तक 2463 मामले ऐसे हैं.
जिनका निबटारा आवेदन स्वीकृत होने के बावजूद नहीं किया जा सका है. इसके अलावे 1158 ऐसे मामले हैं, जिनकी अवधि 60 दिन पूरा होने के बाद मामले को निष्पादित नहीं किया जा सकता है.
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