पटना : बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को आज बड़ा झटका लगा है. पटना हाईकोर्ट ने तेजस्वी यादव के 5, देश रत्न मार्ग स्थित सरकारी बंगला को खाली कराने का आदेश दे दिया है. मुख्य न्यायाधीश अमरेश्वर प्रताप शाही और न्यायाधीश अंजना मिश्रा की खंडपीठ ने सोमवार को यह फैसला सुनाया. विदित हो कि इस संबंध में पटना हाईकोर्ट में पिछले गुरुवार को सुनवाई पूरी हो गयी थी. मुख्य न्यायाधीश अमरेश्वर प्रताप शाही और न्यायाधीश अंजना मिश्रा की खंडपीठ में दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था.
Patna High Court has rejected RJD leader Tejashwi Yadav's petition challenging Bihar government's order to vacate his bungalow. The bungalow was allotted to him when he was Bihar Deputy CM. (file pic) pic.twitter.com/TtaoocFuSu
— ANI (@ANI) January 7, 2019
मालूम हो कि डिप्टी सीएम के पद से हट जाने के बाद उपमुख्यमंत्री के नाम से आवंटित आवास 5 देशरत्न मार्ग को छोड़ने का निर्देश बिहार विधानसभा सचिवालय द्वारा तेजस्वी यादव को दिया गया था. चुकी तेजस्वी यादव विपक्ष के नेता हैं इसलिए उन्हें विपक्ष के नेता के नाम पर आवंटित आवास में जाने को कहा गया था. लेकिन, तेजस्वी यादव ने अपने पूर्व के आवास 5 देशरत्न मार्ग को खाली नहीं करते हुए हाईकोर्ट में बिहार विधान परिषद के द्वारा जारी किये गये पत्र को चुनौती दे दिया. हाईकोर्ट की एकलपीठ ने सुनवाई के बाद उनकी याचिका खारिज कर दिया था. उसी आदेश के खिलाफ डबल बेंच में याचिका दायर की गयी है.
पूर्व मुख्यमंत्री को आजीवन सरकारी बंगला आवंटित करने पर सरकार को किया तलब
राज्य के सभी पूर्व मुख्यमंत्री को आजीवन सरकारी बंगला आवंटित किये जाने संबंधी राज्य सरकार के निर्णय पर पटना हाईकोर्ट में मंगलवार को सुनवाई की जायेगी. मुख्य न्यायाधीश अमरेश्वर प्रताप शाही और न्यायाधीश अंजना मिश्र की खंडपीठ ने तेजस्वी यादव के अपील को खारिज करने के तुरंत बाद कहा कि अदालत इस मामले पर भी मंगलवार को सुनवाई करेगा कि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री को आजीवन सरकारी आवास दिये जाने का सरकार का यह निर्णय गलत है या सही. सुनवाई के बाद कोर्ट इस मामले में भी अपना फैसला देगा. मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने कहा कि इसी तरह का निर्णय उत्तर प्रदेश की सरकार ने भी लिया था जिसे सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त कर दिया है. मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने इस मामले पर सुनवाई के लिए स्वतः संज्ञान लिया है.