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पटना : कुछ कॉलेज एक कमरे में, कुछ खटाल में मिले

अमित कुमार रि-एफिलिएशन को कॉलेजों के निरीक्षण में सामने आ रहा मामला पटना : पाटलिपुत्र विवि में इन दिनों रि-एफिलिएशन के लिए आवेदन करने वाले कॉलेजों का निरीक्षण चल रहा है. इस दौरान कुछ चीजें ऐसी हो रही हैं, जिसको लेकर खुद विवि भी चकित है. निरीक्षण के दौरान कुछ ऐसे कॉलेज सामने आ रहे […]

अमित कुमार
रि-एफिलिएशन को कॉलेजों के निरीक्षण में सामने आ रहा मामला
पटना : पाटलिपुत्र विवि में इन दिनों रि-एफिलिएशन के लिए आवेदन करने वाले कॉलेजों का निरीक्षण चल रहा है. इस दौरान कुछ चीजें ऐसी हो रही हैं, जिसको लेकर खुद विवि भी चकित है. निरीक्षण के दौरान कुछ ऐसे कॉलेज सामने आ रहे हैं, जो एक या दो कमरों में या फिर खटाल में चल रहे हैं.
यही नहीं, शिकायत पर एक कॉलेज की जांच करने गयी टीम को काफी खोजने पर भी कॉलेज नहीं मिला. उक्त कॉलेज का न तो जमीन मिल रहा है न ही भवन. विवि ने यह साफ किया है कि भविष्य में इस तरह के कोई भी कॉलेज अस्तित्व में नहीं रहेंगे. कहा जा रहा है कि टेम्पररी कॉलेज के बाद परमानेंट एफिलिएटेड कॉलेजों का भी निरीक्षण होगा.
एमयू से पीपीयू के अलग होने के बाद जब पटना व नालंदा रीजन में पड़ने वाले सारे कॉलेज पीपीयू के अंतर्गत आ गये हैं. करीब 130 कॉलेज, जो पटना क्षेत्रीय कॉलेज के अंतर्गत आते थे, अब पीपीयू में आ गये हैं. इसमें 30 संबद्ध कॉलेज हैं वहीं सौ के करीब एफिलिएटेड कॉलेज थे. कुछ परमानेंट मान्यता प्राप्त कॉलेज हैं तो कुछ टेंपररी मान्यता प्राप्त कॉलेज हैं. पीपीयू ने सबसे पहले टेंपररी मान्यता प्राप्त कॉलेजों को रि-एफिलिएशन करने को कहा था. इसमें कई कॉलेजों ने आवेदन किया है. अब विवि के द्वारा इसका एक-एक कर निरीक्षण किया जा रहा है.
कई कॉलेजों ने तो आवेदन ही नहीं किया
यहां एक और बात सामने आयी है कि पीपीयू की सख्ती को देखते हुए कुछ कॉलेजों ने रि-एफिलेएशन के लिए आवेदन ही नहीं भरा है. इसमें कुछ कॉलेजों को तो टेक्निकल ग्राउंड के होने की वजह से आर्टभट्ट विश्वविद्यालय या किसी दूसरे विश्वविद्यालय में शिफ्ट करने की बात कही जा रही है, लेकिन कुछ का अभी भी कोई अता-पता नहीं है.
परमानेंट एफिलिएटेड कॉलेज को भी करना होगा सुधार : परमानेंट एफिलिएटेड कॉलेज का हालांकि अभी निरीक्षण शुरू नहीं हुआ है, लेकिन टेम्पररी कॉलेज के निरीक्षण के बाद उनका भी निरीक्षण होगा. इन काॅलेजों को भी यूजीसी के मापदंड के अनुसार संसाधन होने जरूरी हैं. अगर ऐसा नहीं होता है तो जब इनका निरीक्षण होगा तो इनकी भी मान्यता खतरे में पड़ सकती है. चूंकि इन्हें रि-एफिलिएशन लेने की जरूरत नहीं है, अभी ये सेफ जोन में हैं. लेकिन आने वाले दिनों में इन्हें भी अपनी मान्यता बचाने के लिए कॉलेजों की स्थिति में सुधार करना होगा.
यूजीसी का मापदंड जरूरी
पीपीयू ने साफ कर दिया है कि कॉलेज को मान्यता तभी मिलेगी जब वह यूजीसी के मापदंडों को पूरा करेगी. लेकिन, अब तक निरीक्षण में जो नतीजे सामने आ रहे हैं, उनमें ज्यादातर की स्थिति खराब है. कोई कॉलेज कुछ एक कमरों में चल रहा है, तो कुछ में न लैब है, न लाइब्रेरी न ही ढंग का क्लास रूम व ग्राउंड है.
यह है मानक : कॉलेज में हर विषय में कम से कम दो
शिक्षक व छात्रों की संख्या के अनुसार इन्फ्रास्ट्रक्चर व स्टाफ जरूरी हैं. अगर किसी कॉलेज की बात करें तो आर्ट्स, साइंस या कॉमर्स में सभी विषयों की भी पढ़ायी होगी तो भी प्राचार्य के अलावा 25-30 शिक्षक अनिवार्य हैं.
कोई कॉलेज कुछ कमरों में तो कोई खटाल में चल रहे थे. आने वाले दिनों में यूजीसी के मानक पूरा नहीं करने वाले एक भी कॉलेज नहीं रहेंगे. हम 15 जनवरी तक रि-एफिलिएशन वाले कॉलेजों के निरीक्षण की रिपोर्ट राजभवन व सरकार को सौंप देंगे.
– प्रो सीएल खत्री, कॉलेज इंस्पेक्टर, पीपीयू
रि-एफिलिएशन के लिए जिन कॉलेजों ने आवेदन दिये हैं, इनका निरीक्षण जारी है. कई ऐसे कॉलेज हैं, जिनकी स्थिति काफी खराब है. ऐसे कॉलेजों को मान्यता नहीं दी जा जायेगी. एक कॉलेज के संबंध में आयी शिकायत पर जांच की तो वहां कोई कॉलेज नहीं मिला.
– मनोज मिश्र, रजिस्ट्रार, पीपीयू

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