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पटना : 60 हजार टीबी मरीज रजिस्टर्ड, 19 हजार को ही सहायता

मरीजों में जागरूकता की कमी और अधिकारियों की लापरवाही बन रहा कारण पटना : पटना सहित पूरे बिहार में करीब 60 हजार से अधिक टीबी के मरीज हैं, जिनका इलाज शहर के सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों में किया जा रहा है. लेकिन इन 60 हजार मरीजों में महज 19 हजार ऐसे टीबी के मरीज हैं, […]

मरीजों में जागरूकता की कमी और अधिकारियों की लापरवाही बन रहा कारण
पटना : पटना सहित पूरे बिहार में करीब 60 हजार से अधिक टीबी के मरीज हैं, जिनका इलाज शहर के सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों में किया जा रहा है. लेकिन इन 60 हजार मरीजों में महज 19 हजार ऐसे टीबी के मरीज हैं, जिनको 500 रुपये पोषण सहायता की राशि मिल पायी है. बाकी आज भी 41 हजार ऐसे टीबी के मरीज हैं जिनके पास पोषण राशि नहीं मिल पायी है. लाभ नहीं लेने वाले मरीजों में काफी आक्रोश है.
मरीजों के बैंक खातों का अपडेट नहीं होना और खातों का आधार से लिंक नहीं होना इसके पीछे की वजह बतायी जा रही है. हालांकि टीबी मरीजों के रजिस्ट्रेशन के समय ही उनका खाता खुलवाने और आधार से लिंक करने की जिम्मेदारी स्टेट टीबी सेंटर की ओर से अधिकारियों को दी गयी है.
ऐसे में माना जा रहा है कि मरीजों को इस बात की जानकारी नहीं होने और अधिकारियों के इस ओर लापरवाही बरतने के कारण मरीजों को सहायता राशि नहीं मिल पा रही है. हालांकि टीबी मरीजों का इलाज तो चल रहा है, लेकिन इन्हें इन राशि का लाभ तब तक नहीं मिल पायेगा जब तक उनका बैंक खाता ऑनलाइन जेनरेट नहीं होगा.
मरीजों को इसलिए मिलती है राशि
प्रदेश और देश को 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है. यह लक्ष्य हासिल करने के लिए सरकार ने टीबी जैसे बीमारियों की चपेट में आये मरीजों की आर्थिक सहायता के लिए 1 अप्रैल 2018 से नयी योजना को शुरू की. इसमें टीबी मरीजों को स्वास्थ्य विभाग की तरफ से दवाएं आदि मुफ्त में देने के साथ हर महीने 500 रुपये देने की योजना लागू की गयी.
विभागीय अधिकारियों के अनुसार एक रिसर्च में बताया गया है कि टीबी मरीजों को पौष्टिक आहार से काफी फायदा पहुंचता है. इस को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह नियम लागू किया है.
पटना : राज्य में बैंकों की स्थिति को सुधारने और आम लोगों को ज्यादा से ज्यादा ऋण देने की पहल करने के लिए सभी बैंक शाखाओं की रैंकिंग की जा रही है. राज्य में पहली बार इस तरह की रैंकिंग हो रही है.
इसमें अच्छा काम करने वाली 100 और खराब प्रदर्शन करने वाली 100 बैंक शाखाओं की रैंकिंग तैयार की जायेगी. इसमें खराब प्रदर्शन करने वाले शाखाओं पर अलग से नकेल कसी जायेगी. इस रैंकिंग का मुख्य आधार एसीपी (वार्षिक साख योजना) और सीडी रेशियो (साख-जमा अनुपात) होगा. सभी बैंकों की शाखाओं को दिये गये सभी सेक्टरों में लोन बांटने के वार्षिक लक्ष्य में कितनी उपलब्धि हासिल हुई और जमा होने वाली कुल राशि में कितने पैसे लोन दिये गये हैं.
इन तमाम बातों को आधार बनाते हुए बैंकों की शाखाओं की रैंकिंग की जायेगी. रैंकिंग की यह सूची वित्त विभाग के स्तर पर तैयार करवायी जा रही है. राज्य में बैंक शाखाओं की संख्या 6876 है, जिसमें 3490 ग्रामीण और एक हजार 966 अर्द्ध-शहरी और एक हजार 420 ग्रामीण शाखाएं शामिल हैं.

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