9.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

भारतीय संस्कृति त्याग व साधना पर आधारित : राज्यपाल

पटना : भौतिकतावाद और अपसंस्कृति के दौर में भारत की आध्यात्मिकतापरक विश्वजनीन सांस्कृतिक उन्नयन की दृष्टि ही पूरी दुनिया को कुशलदर्शन प्रदान कर सकती है. भारतीय संस्कृति भोग नहीं बल्कि त्याग, तपश्चर्या और साधना पर आधारित आध्यात्मिक उन्नयन में विश्वास करती है. अपनी विरासत को संभालते हुए ही देश की युवा पीढ़ी भारत को ‘जगद […]

पटना : भौतिकतावाद और अपसंस्कृति के दौर में भारत की आध्यात्मिकतापरक विश्वजनीन सांस्कृतिक उन्नयन की दृष्टि ही पूरी दुनिया को कुशलदर्शन प्रदान कर सकती है. भारतीय संस्कृति भोग नहीं बल्कि त्याग, तपश्चर्या और साधना पर आधारित आध्यात्मिक उन्नयन में विश्वास करती है. अपनी विरासत को संभालते हुए ही देश की युवा पीढ़ी भारत को ‘जगद गुरु’ की गरिमा पुन: दिला सकती है. उक्त बाते राज्यपाल लाल जी टंडन ने अखिल भारतीय गायत्री परिवार, गायत्री शक्तिपीठ की ओर से स्थानीय बापू सभागार में आयोजित ‘‘प्रान्तीय युवा उत्कर्ष समारोह’’ का उद्घाटन करते हुए व्यक्त किया.

राज्यपाल ने कहा कि गायत्री परिवार अखिल विश्व में भारत की सांस्कृतिक तेजस्विता और ऊर्जस्विता तथा ज्ञान और व्यापक चेतना का प्रकाश फैला रहा है. गायत्री शक्तिपीठ ज्ञानपरक संदेशों को पूरी दिव्यता और व्यापकता के साथ पूरी दुनिया में फैला रहा है. राज्यपाल ने कहा कि भारतीय इतिहास में युवाओं को सर्वाधिक प्रेरित करनेवाला व्यक्तित्व स्वामी विवेकानंद जी का रहा है. स्वामी विवेकानंद जी का कथन है कि- ‘‘नवयुवकों तुम्हारे ऊपर ही मेरी आशा है. क्या तुम अपने राष्ट्र की पुकार सुनोगे? अपने आप पर अगाध, अटूट विश्वास रखो. चरित्रवान, बुद्धिमान, दूसरों के लिए सवर्स्व त्यागी तथा आज्ञाकारी युवकों पर ही भारत का भविष्य निर्भर है.’’

राज्यपाल ने समारोह में उपस्थित युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि हमारा भारत आज एक पूर्ण युवा राष्ट्र है. युवा राष्ट्र इस अर्थ में कि यहां की 60 प्रतिशत से अधिक की आबादी युवाओं की आबादी है. हम आज अत्यंत गौरवान्वित हैं और आत्मबल से पूरी तरह लबरेज भी. इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि आज भारतीय युवाओं ने अपने मजबूत कंधों पर राष्ट्रीय निर्माण का दायित्व उठा लिया है. जिस राष्ट्र की सबसे बड़ी ताकत वहां की युवा–शक्ति हो, वह राष्ट्र अपने समग्र और सर्वतोन्मुखी विकास के प्रति आश्वस्त रह सकता है.

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि प्रत्येक मनुष्य में शक्ति और भक्ति का समन्वय होना चाहिए. उन्होंने कहा कि देश में बराबर दो धाराएं रही हैं. एक धारा भोगवादी है, जो मात्र सुख–सुविधाओं के संचय में विश्वास करती है. जबकि, दूसरी धारा नैतिकता, कर्मशीलता, त्याग, तपस्या और आध्यात्मिकता में विश्वास करती है. राज्यपाल ने कहा कि भारत की पहचान पूरे विश्व में इसके सांस्कृतिक और आध्यात्मिक वैभव को लेकर ही रही है. राज्यपाल ने कहा कि गायत्री परिवार से अत्यंत लगाव रहा है और इसके कार्यक्रमों को आगे भी मेरा हर संभव सहयोग प्राप्त होता रहेगा.

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए देव संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ. प्रणव पंड्या ने कहा कि भारत के युवाओं को अपनी शक्ति और सामर्थ्य पहचान कर राष्ट्रीय नव–निर्माण में अपना भरपूर योगदान देना चाहिए. उन्होंने देशरत्न डॉ़ राजेंद्र प्रसाद को याद करते हुए कहा कि बिहार की धरती ने भारत ही नहीं पूरी दुनिया को सदैव ज्ञान का आलोक प्रदान किया है. कार्यक्रम में पूर्व शिक्षा मंत्री व विधान पार्षद अशोक चौधरी, बिहार विधान सभा में सत्ताधारी दल के उप मुख्य सचेतक अरुण कुमार सिन्हा, गायत्री शक्तिपीठ के जोनल समन्वयक डॉ. अशोक कुमार, संरक्षक मधेश्वर प्रसाद सिंह, सत्येंद्र राय, मनीष कुमार, छोटू सिंह आदि भी उपस्थित थे.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें