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पटना : विद्यालयों में शोभा की वस्तु बने कंप्यूटर, शिक्षक ही नहीं
दिखावा बन कर रह गयी डिजिटल लिटरेसी पटना : सरकारी स्कूलों में कंप्यूटर तो लगाये गये, लेकिन विद्यार्थियों के लिए कंप्यूटर शिक्षा सपना बन कर रह गयी है. विद्यालयों में कंप्यूटर शिक्षक नहीं हैं. इस कारण विद्यालयों में लगे कंप्यूटर शोभा की वस्तु बनकर रह गये हैं. विद्यालयों में शिक्षकों के पद स्वीकृत हैं, लेकिन […]
दिखावा बन कर रह गयी डिजिटल लिटरेसी
पटना : सरकारी स्कूलों में कंप्यूटर तो लगाये गये, लेकिन विद्यार्थियों के लिए कंप्यूटर शिक्षा सपना बन कर रह गयी है. विद्यालयों में कंप्यूटर शिक्षक नहीं हैं.
इस कारण विद्यालयों में लगे कंप्यूटर शोभा की वस्तु बनकर रह गये हैं. विद्यालयों में शिक्षकों के पद स्वीकृत हैं, लेकिन अभी तक वहां नियोजन नहीं किया जा सका है. शिक्षक नहीं होने के कारण इस विषय की पढ़ाई नहीं हो पाती है. इतना ही नहीं, डिजिटलाइजेशन के इस युग में कंप्यूटर होते हुए भी स्कूलों को साइबर कैफे पर निर्भर रहना पड़ता है.
हालांकि विभागीय पदाधिकारियों की मानें, तो नियोजन की प्रक्रिया आरंभ होगी, तो कंप्यूटर शिक्षकों का भी नियोजन किया जायेगा. बच्चों को पढ़ाने के लिए स्कूल स्तर से शिक्षकों को रखने का निर्देश दिया गया है.
पद स्वीकृत, नहीं हुआ नियोजन : जानकारी के अनुसार वर्ष 2011 में उच्च माध्यमिक विद्यालयों के लिए कंप्यूटर शिक्षकों के 600 पदों की स्वीकृति दी गयी थी. उसी वर्ष इस विषय के लिए करीब एक हजार शिक्षकों एसटीईटी पास किया था, लेकिन अब तक उनका नियोजन नहीं हो सका है. वर्ष 2019 में उन शिक्षकों की एसटीईटी प्रमाणपत्र की मान्यता समाप्त हो जायेगी.
धरना व अनशन पर कंप्यूटर शिक्षक : पूर्व में एडहॉक पर कंप्यूटर शिक्षकों को बहाल किया गया था. वर्ष 2016 में उनकी सेवा पूरी हो गयी. उसके बाद उन्हें हटा दिया गया. वे शिक्षक अनिश्चितकालीन धरना व क्रमिक अनशन पर बैठे हुए हैं. वे सेवा विस्तार के साथ स्थायी करने की मांग कर रहे हैं.
विद्यालयों में कंप्यूटर रखे-रखे खराब हो रहे हैं. कंप्यूटर शिक्षक नहीं होने के कारण बच्चों को इस विषय की शिक्षा नहीं मिल पा रही है. मांग पूरी होने तक हमारा आंदोलन जारी रहेगा.
अविंदर प्रसाद यादव, अध्यक्ष, बिहार कंप्यूटर टीचर वेलफेयर एसोसिएशन
विद्यालयों में कंप्यूटर लैब धूल फांक रहे हैं. शिक्षकों के अभाव में डिजिटल इंडिया के इस युग में विद्यार्थियों को कंप्यूटर की शिक्षा नहीं मिल पा रही है. कंप्यूटर होते हुए छात्रों को साइबर कैफे जाना पड़ता है.
डॉ आलोक कुमार सिन्हा, उपाध्यक्ष, राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ
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