पटना : डॉक्टर स्निग्धा और आईएएस महेंद्र कुमार की जोड़ी शायद ‘ऊपर’ से ही तय नहीं हुई थी. जी हां, दोनों के परिवार का बैकग्राउंड बिल्कुल अलग है. डॉक्टर स्निग्धा के पिता से लेकर रिश्तेदार तक आईएएस और आईपीएस हैं. वहीं, आईएएस महेंद्र कुमार बहुत ही गरीब परिवार से आते हैं.
मूलरूप से बिहार के नवादा के रहनेवाले रामलखन प्रसाद यादव झारखंड के रजरप्पा प्रोजेक्ट में फोरमैन थे. वर्ष 1991 में रामलखन प्रसाद की मृत्यु हो गयी. मौत के बाद तीन बच्चों को पालने, पढ़ाने की जिम्मेदारी पत्नी सुमित्रा देवी पर थी. सुमित्रा देवी ने एक मिसाल कायम की. पति की मृत्यु के बाद काफी प्रयास से मां सुमित्रा देवी को रजरप्पा प्रोजेक्ट के टाउनशिप में काम मिल गया. वह दफ्तर की साफ-सफाई का काम करने लगीं. उनके सामने खुद की जिंदगी के साथ तीन बेटों के पालने की चुनौती थी. यकीनन, सुमित्रा देवी ने बड़ी ही जिम्मेदारी से इसका निर्वहन किया. पति की मौत के वक्त बड़ा बेटा वीरेंद्र कुमार आठ साल का था. दूसरा बेटा धीरेंद्र छह साल का था. वहीं, महेंद्र कुमार सबसे छोटे थे.
सुमित्रा देवी ने वीरेंद्र का नामांकन नवोदय स्कूल में कराया. धीरेंद्र को भी सरकारी स्कूल में पढ़ाया. वहीं, छोटे बेटे महेंद्र कुमार का नामांकन सैनिक स्कूल में कराया. बड़े बेटे को मुंबई में ओएनजीसी में नौकरी मिल गयी, लेकिन वह छोड़कर तैयारी करने लगे. इसके बाद जमशेदपुर टाटा जंक्शन में इंजीनियर के पद पर वीरेंद्र की बहाली हो गयी. धीरेंद्र कुमार पटना में सरकारी चिकित्सक बन गये. महेंद्र कुमार ने एनआईटी से पढ़ाई पूरी कर रेलवे में इंजीनियर के पद पर ज्वाइन किया. लेकिन, उन्होंने नौकरी छोड़ दी. महेंद्र नौकरी छोड़कर यूपीएससी की तैयारी करने लगे और वह आईएएस बन गये.
निकलनी थी बरात, आनी थी दुल्हन की डोली, लौटने लगे अतिथि
घर में शादी के उत्सव में नाते-रिश्तेदार जुट चुके थे…, मंगल गीत गाये जा रहे थे…, रस्म निभायी जा रही थी…, सब कुछ ठीक चल रहा था…. लेकिन, भूतनाथ रोड अमरनाथ मंदिर के समीप आदर्श कॉलोनी स्थित डीएम महेंद्र कुमार के आवास पर जब यह मनहूस खबर आयी कि दुल्हन ने आत्महत्या कर ली है, तब उत्सवी माहौल मातम में बदल गया. रंगीन रोशनी में नहाये मकान में सन्नाटा पसर गया. आज सोमवार को डीएम की बरात घर से निकलनेवाली थी, जहां से विवाह कर दुल्हन की डोली लेकर आनी थी. मनहूस खबर के बाद परिवार के लोग स्तब्ध रह गये. सकते में आये नाते-रिश्तेदार भी समझ नहीं पाये कि अब क्या करें. कुछ लोग वापस लौटने लगे. इधर, परिवार के सदस्य होनेवाली दुल्हन के घर पर अंतिम विदाई देने के लिए पहुंच गये.