पटना : पटना हाईकोर्ट ने गुरुवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में राज्य के करीब दो दर्जन से भी अधिक कॉलेजों के छात्रों को राहत देते हुए संबंधित विश्वविद्यालय को आदेश दिया है कि उन छात्रों को वर्ष 2017-18 में होने वाले बीए- बीएससी व अन्य स्नातक डिग्री की परीक्षाओं में बैठने की अनुमति दें . कोर्ट ने कहा कि इन छात्रों को सिर्फ इस वजह से परीक्षा फार्म भरने से वंचित नहीं किया जा सकता है कि उन छात्रों के कॉलेजों की संबद्धता नहीं है.
कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट कहा है कि वैसे छात्रों की डिग्री परीक्षाओं का परिणाम तभी निकाला जायेगा जब राज्य सरकार उन कॉलेजों की संबद्धता दे दे. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जिन कॉलेजों का आवेदन राज्य सरकार द्वारा नामंजूर कर दिया जायेगा उनके छात्रों का रिजल्ट विश्वविद्यालय नहीं निकालेगा. मुख्य न्यायाधीश मुकेश आर शाह एवं न्यायाधीश आशुतोष कुमार की खंडपीठ ने अपर्णा कुमारी व अन्य की ओर से दायर कई (एलपीए) अपीलों को निष्पादित करते हुए उक्त आदेश दिया.
इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि भविष्य में कोई भी कॉलेज बिना राज्य सरकार से संबद्धता प्राप्त किये किसी भी छात्र का दाखिला नहीं लेगा . कोर्ट ने अपने आदेश में संबंधित विश्वविद्यालयों को भी निर्देश दिया है कि अगले एकेडमिक वर्ष से किसी भी कॉलेज की संबद्धता सही प्रपत्र में भर कर समय पर भेज दे. सरकार को इतना पहले भेजे कि सरकार उन आवेदनों पर एकेडमिक वर्ष आरंभ होने से पहले ही निर्णय लेकर सूचित कर सके.
इससे भविष्य में गैर संबद्धता कॉलेजों में न तो कोई छात्र दाखिला लेगा और न ही कोई छात्र परीक्षा देने से वंचित होगा. कोर्ट ने अपील दायर करने वाले सभी कॉलेजों के संबद्धता पर अंतिम निर्णय लेने के लिए राज्य सरकार को छह सप्ताह का समय दिया है . साथ ही इस बात की भी छूट दी गयी कि अगर किसी कॉलेज की संबद्धता सरकार नामंज़ूर करती है तो फिर उस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी जा सकती है .
हजारों छात्र डिग्री परीक्षा में बैठने से वंचित
मालूम हो कि बीआर अंबेडकर व मगध यूनिवर्सिटी के करीब दो दर्जन डिग्री कॉलेजों की संबद्धता संबंधी आवेदन राज्य सरकार के अधीन विचारार्थ रहने और उन कॉलेजों की संबद्धता नहीं होने के कारण इन कॉलेजों के हजारों छात्रों को एकेडमिक वर्ष 2017-18 के डिग्री परीक्षा में बैठने से वंचित कर दिया गया था .
इन सभी कॉलेजों की तरफ से एकलपीठ में रिट याचिका दायर की गयी थी. इसे एकलपीठ ने 20 अगस्त को खारिज कर दिया था. एकलपीठ के इसी आदेश को दो जजों की खंडपीठ में चुनौती दी गयी थी.