पटना : बिहार के पुलिस महानिदेशक केएस द्विवेदी ने कहा कि साइबर क्राइम चुनौती से कम नहीं है. एक अनुमान के मुताबिक साइबर क्राइम में वार्षिक 200 प्रतिशत से अधिक वृद्धि दर्ज की जा रही है. इसलिए साइबर के बारे में जानना आवश्यक हो गया है. सामान्य अपराधों की तरह साइबर क्राइम में भी साक्ष्य जुटाने में सावधानी बरतनी चाहिए. ताकि किसी भी स्तर पर कमी न रह जाये. साक्ष्य जुटाने में नियमों का ख्याल रखेंगे, तभी अपराधी को सजा दिलाने में हमें कामयाबी मिलेगी.
सोमवार को पुलिस महानिदेशक केएस द्विवेदी ने आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) के नवनिर्मित भवन और पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन किया. पुलिस महानिदेशक ने कहा कि प्रदेश में होने वाले साइबर क्राइम का अध्ययन जरूरी है. तभी हम उसके तह तक जा पायेंगे. इसके लिए बेहतर प्रशिक्षण जरूरी है. बकौल डीजीपी, हम भी जानते हैं कि साइबर मामलों में अच्छी जांच नहीं हो पाती, इसलिए विशेषज्ञ तैयार करना जरूरी है. थाना और सब डिवीजन पाने की चाहत सबकी होती है. परंतु कुछ खास क्षेत्र ऐसे हैं, जहां बेहतर करके मुकाम हासिल किया जा सकता है. उसी में से एक है साइबर सेल. यहां एक सिपाही भी बेहतर करके अपनी जगह बना सकता है.
एडीजी आधुनिकीकरण जितेंद्र कुमार ने कहा कि यह प्रशिक्षण मील का पत्थर साबित होगा. आजकल अधिकतर अपराध साइबर क्राइम के श्रेणी के ही हो रहे हैं. इसलिए अनुसंधान का तरीका भी बदलना जरूरी है. अब इसका अनुसंधान करने वाले ‘साइबर सेनानी’ के रूप में जाने जायेंगे. कार्यक्रम में डीआईजी सेंट्रल रेंज राजेश कुमार ने भी विचार व्यक्त किये. कार्यक्रम का संचालन ईओयू के एएसपी सुशील कुमार ने किया.
जिलों में सहयोग करेगी साइबर सेल एवं सोशल मीडिया यूनिट : जितेंद्र गंगवार
पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में ईओयू के एडीजी जितेंद्र गंगवार ने कहा कि साइबर सेल एवं सोशल मीडिया यूनिट अब जिलों में होने वाले अपराधों की जांच में सहयोग करेगी. इसके लिए सरकार ने तैयारी पूरी कर ली है. उसी का हिस्सा यह प्रशिक्षण कार्यक्रम है. दो नवंबर तक यह कार्यक्रम चलेगा. पटना जोन की ट्रेनिंग इस दौरान दी जा रही है. पिछले पांच सालों में स्मार्टफोन का चलन बढ़ा है. इसी रफ्तार से इससे जुड़े अपराध भी 50-70 प्रतिशत साइबर अपराधों में बढ़ोतरी दर्ज की गयी है. पिछले साल ही प्रदेश में 500 से अधिक मामले दर्ज किये गये थे. इसलिए राज्य ही नहीं जिला स्तर पर भी साइबर सेल बनाया गया है.
वर्तमान में प्रदेश में 74 यूनिट सक्रिय है. हर जिले में कम से कम एक यूनिट है. बड़े जिलों में चार-चार यूनिट तक काम कर रही है. एक यूनिट में 10 स्टाफ होता है. इसमें एक इंस्पेक्टर, तीन सब इंस्पेक्टर, दो कांस्टेबल और चार कंप्यूटर ऑपरेटर होते हैं. प्रदेश भर में 74 प्रोग्रामर और हर यूनिट में तीन-तीन डाटा इंट्री ऑपरेटरों को संविदा के आधार पर खा जायेगा.