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खगौल : ‘रावणलीला’ में दिखा समाज में अब भी जिंदा है रावण

खगौल : नाट्य संस्था संपूर्ण कल्याण विकास समिति की ओर से डाक बंगला परिसर में ‘रावणलीला’ पर आधारित नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किया गया. ज्ञानी प्रसाद द्वारा लिखित व निर्देशित नुक्कड़ नाटक ‘रावणलीला’ की प्रस्तुति इंद्रजीत गोस्वामी स्वर रावण आज भी जिंदा है, गली-गली और डगर-डगर रावण आज भी जिंदा है, गांव-गांव और शहर-शहर से शुभारंभ […]

खगौल : नाट्य संस्था संपूर्ण कल्याण विकास समिति की ओर से डाक बंगला परिसर में ‘रावणलीला’ पर आधारित नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किया गया. ज्ञानी प्रसाद द्वारा लिखित व निर्देशित नुक्कड़ नाटक ‘रावणलीला’ की प्रस्तुति इंद्रजीत गोस्वामी स्वर रावण आज भी जिंदा है, गली-गली और डगर-डगर रावण आज भी जिंदा है, गांव-गांव और शहर-शहर से शुभारंभ हुआ. हम प्रति वर्ष रावण वध कार्यक्रम का आयोजन करते हैं, जो संपूर्ण भारत वर्ष में विजयादशमी के दिन किया जाता है, पर उसी क्षण हजारों रावण का पुनः जन्म होता है, जो एक के बाद एक लूट, अपहरण, दुष्कर्म की घटनाओं को अंजाम देते हैं. इन रावणों की लीला ऐसी कि हमारा संपूर्ण समाज आहत है.
इनके कुकर्मों से सभी यही सोचते हैं विजयादशमी को रावण वध के बाद हमारी सारी विपदाएं समाप्त हो गयीं, मगर नहीं, आखिर रावण वध होगा कब? रावण रूपी राक्षसों के संहार के लिए समाज और सरकार को निष्ठापूर्वक दृढ़ शक्ति के साथ कदम बढ़ना होगा, ताकि सामाजिक शांति-सद्भाव व बहन-बेटियों की इज्जत-आबरू बच सके. कलाकारों में ललित किशोर प्रणामी, प्रिंस प्रणामी, सूरज कुमार, ज्ञानी प्रसाद, चंद्रदेव प्रसाद, सुरेश कुमार विश्वकर्मा, सुनील चौधरी, विजय कुमार सिन्हा, आदित्य कुमार, मिथिलेश कुमार पांडेय आदि थे.
मगही नाटक ‘नैहर के भूत का होगा’ मंचन : बाढ़. टाल क्षेत्र के दरवे नाट्य समिति के तत्वावधान में दुर्गापूजा के अवसर पर छह नाटकों का मंचन किया जायेगा. 16 अक्टूबर को ‘रसमंजरी’, 17 को ‘कौशल्या हरण’, 18 को ‘प्यार की जीत’ ,19 को ‘नैहर के भूत’, 20 को ‘जीने नहीं दूंगा‘ और 21 अक्टूबर को ‘जानेमन’ नाटक का मंचन किया जा रहा है. इसके संयोजक ललन कुमार ने बताया कि इस बार सामाजिक पृष्ठभूमि पर आधारित मगही नाटक का भी विशेष मंचन किया जायेगा.
फुलवारीशरीफ : सर्वमंगला सांस्कृतिक मंच की साप्ताहिक नुक्कड़ नाटक शृंखला में रविवार को फुलवारीशरीफ के वाल्मी में महेश चौधरी द्वारा लिखित एवं रजनीश कुमार द्वारा निर्देशित नुक्कड़ नाटक ‘जान है तो जहां है’ की प्रस्तुति की गयी.
नाटक की शुरुआत सौरव के गीत ‘मैं तो रास्ते से जा रहा था, मैं तो गुटका चबा रहा था, छल्ला उड़ा रहा था, मुझे खांसी हुई तो मैं क्या करूं’ से की गयी. नाटक में यह दिखाया गया कि एक छात्र अपने कॉलेज में गलत संगत में पड़कर गुटखा, पान, सिगरेट आदि की लत पकड़ लेता है.
कुछ दिनों के बाद उसके जबड़े में फुंसी जैसा कुछ हो जाता है, तब वह दांत के डॉक्टर से दिखलाता है. डॉक्टर जांच के बाद कहते हैं कि कैंसर का लक्षण शुरुआती दौर में है. इस बीमारी का इलाज है इसलिए तुरंत इलाज करा ले. वह पटना के कैंसर संस्थान में जाता है तो जांच के बाद डॉक्टर कहते हैं कि आपको ओरल कैंसर है. गुटखा, तंबाकू, पान, बीड़ी, सिगरेट आदि से होता है.
दो महीने लगातार इलाज के बाद वह ठीक हो जाता है तभी वह अपने मित्रों से कहता है कि ‘जान है तो जहां है’. मुझे नयी जिंदगी मिली है इसलिए मैं जीवन में कभी भी गुटखा, तंबाकू, पान, बीड़ी, सिगरेट आदि से दूर रहूंगा. इसमें कलाकार महेश चौधरी, रजनीश, सौरभ, अंजनी, पूजा, छोटू, रंजीत, प्रकाश, श्रवण,अमन, आर्यन, सुनील आदि कलाकार थे.

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