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गुरु सम्मान-2018 : प्रभात खबर ने 41 गुरुजनों को किया सम्मानित, कविता की लड़ियों से गुंथी शाम हुई सुरमई
पटना : शिक्षा, कला, संगीत समेत विभिन्न क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान करने वाले गुरुजनों को ‘प्रभात खबर’ की ओर से सम्मान समारोह में सम्मानित किया गया. शनिवार की शाम श्री कृष्ण मेमोरियल हॉल में आयोजित गुरु सम्मान समारोह-2018 में 41 गुरुजनों को सम्मानित किया गया. इनमें सीबीएसई, आईसीएसई व बिहार बोर्ड में बेहतर रिजल्ट देनेवाले […]
पटना : शिक्षा, कला, संगीत समेत विभिन्न क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान करने वाले गुरुजनों को ‘प्रभात खबर’ की ओर से सम्मान समारोह में सम्मानित किया गया.
शनिवार की शाम श्री कृष्ण मेमोरियल हॉल में आयोजित गुरु सम्मान समारोह-2018 में 41 गुरुजनों को सम्मानित किया गया. इनमें सीबीएसई, आईसीएसई व बिहार बोर्ड में बेहतर रिजल्ट देनेवाले स्कूल तथा कॉलेजों के प्राचार्य व शिक्षक शामिल थे. उन्हें शॉल, मोमेंटो व प्रशस्ति पत्र भेंट कर सम्मानित किया गया है.
समारोह में राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश नारायण सिंह मुख्य अतिथि तथा राज्य के शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन वर्मा विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे. उन्होंने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर समारोह का उद्घाटन किया. मुख्य अतिथि हरिवंश ने राज्य व देश के नवनिर्माण में शिक्षकों की भूमिका पर प्रकाश डाला. सम्मानित होनेवाले शिक्षकों को बधाई दी. उन्होंने कहा कि जिस तरह साहित्यकार समाज बचाने का काम करते हैं, उसी प्रकार समाज के निर्माण में शिक्षकों की अहम भूमिका होती है.
इससे पूर्व आरंभ में प्रभात खबर के प्रबंध निदेशक के के गोयनका ने स्वागत भाषण किया. समारोह में कवि सम्मेलन में कुमार विश्वास, ताहिर फराज व शंभु शिखर ने एक से बढ़ कर एक कविताएं पढ़ीं. वहीं सेक्सोफोन पर संजय कुमार ने शानदार प्रस्तुति की. मंच संचालन रांची दूरदर्शन की उद्घोषिका राजश्री प्रसाद ने किया.
दर्शकों के दिल पर दस्तक…
प्रभात खबर के गुरु सम्मान का मंच, श्री कृष्ण मेमोरियल हॉल की खचाखच भरी दर्शक दीर्घा और मंच पर कुमार विश्वास, शंभू शिखर की कविताओं के साथ ताहिर फराज की नज्में. राजधानी में शनिवार की शाम कुछ इसी तरह सुरमई हुई. कविताओं पर वाह-वाह, गजलों पर तालियों की गड़गड़ाहट और व्यंग्य पर ठहाके शाम छह बजे से लेकर रात के दस बजे तक लगते रहे. दर्शकों के दिलों पर प्रेम रस, वीर रस से लेकर छंदों और मुक्तकों का समन्वय. कार्यक्रम में राज्य सभा के उपसभापति हरिवंश, शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन वर्मा से लेकर समाज के हर तबके के लोग मौजूद थे.
कुमार विश्वास
पुरानी दोस्ती को इस नयी ताकत से मत तौलो
कुमार विश्वास ने कविताएं सुनायीं और राजनीति पर व्यंग्य भी किया़ उनकी कविता के साथ पूरा श्री कृष्ण मेमोरियल हॉल कविताई करता दिखा़ इससे गदगद कुमार ने बिहार का जय गान भी किया़ उन्होंने कहा कि इस धरती पर राम को भी गालियां सुनने का अवसर मिला और इससे वे गद्गद होते रहे़
मैं अपने गीत-गजलों से
उसे पैगाम करता हूं,
उसी की दी हुई दौलत उसी के नाम करता हूं.
हवा का काम है चलना, दिये का काम है जलना,
वो अपना काम करती है, मैं अपना काम करता हूं.
पराये आंसुओं से आंखों को नम कर रहा हूं मैं,
भरोसा आजकल खुद पर भी कुछ कम कर रहा हूं मैं.
बड़ी मुश्किल से जागी थी जमाने की निगाहों में,
इसी उम्मीद के मरने का मातम कर रहा हूं मैं.
मुझे वो मार कर खुश है कि सारा राज उसपर है
यकीनन कल है मेरा आज, बेशक आज उस पर है
उसे जिद थी झुकाओ सर तभी दस्तार बख्शूंगा,
मैं अपना सर बचा लाया, महल और ताज उस पर है.
पुरानी दोस्ती को इस नई ताकत से मत तौलो,
ये संबंधों की तुरपाई है, षड्यंत्रों से मत तौलो.
मेरे लहजे की छेनी से
गढ़े कुछ देवता कल तक,
मेरे लफ्जों पर मरते
थे, वो कहते हैं मत बोलो.
ताहिर फराज
गम ये है कि कातिलों में तेरा नाम आ गया
ताहिर फराज ने प्रेम और भावनाओं को गजल के माध्यम से सबके समक्ष रखा़ उन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से यह बताया कि हमारी परंपराओं का भी अपना स्थान है. देश की विविधता में एकता की भी याद उन्होंने अपनी नज्मों से दिलायी़
गम इसका कुछ नहीं कि मैं तेरे काम आ गया,
गम ये है कि कातिलों में तेरा नाम आ गया.
कुछ दोस्तों ने पूछा, बताओ गलत है क्या?
बेसाख्ता लबों पर तेरा नाम आ गया.
दादी की पहली रोटी जो गाय के नाम की होती
और अंतिम रोटी उनकी खाता था गली का मोती
आंगन में दरवाजे पर बकरी पाली जाती थी,
चीटियों के बिल के अंदर शक्कर डाली जाती थी.
हम बच्चे ये सब करने के आदेश में रहते थे.
गांव के सभी दरवाजे रातों में भी खुले रहते थे.
टूटी साइकिल थी लेकिन हम सबसे जुड़े रहते थे.
शंभू शिखर
हम सौ पर भारी एक पड़े हम धरतीपुत्र बिहारी हैं
शंभू शिखर ने अपनी कविता में बिहारी अस्मिता और बिहारी पहचान को सबके समक्ष खूब सुनाया़ उन्होंने कहा कि बिहारी होना शान है क्योंकि ऐसा कोई राज्य नहीं जिसका इतना समृद्ध इतिहास रहा है़ िबहार ने सभी जाति-धर्म के लोगों को पूरा सम्मान दिया है.
हम श्रम नायक हैं भारत के और मेधा के अवतारी हैं
हम सौ पर भारी एक पड़े, हम धरतीपुत्र बिहारी हैं.
वेदों के कितने वंद रचे, हमने गायत्री छंद रचे
साहित्य सरित की धारा में कितने ही काव्य प्रबंध रचे
हम दिनकर, रेनू , विद्यापति और भिखारी हैं
हम धरतीपुत्र बिहारी हैं , हम धरतीपुत्र बिहारी हैं
सत्ता जब मद में चूर हुई , हम जयप्रकाश बन कर डोले
सिंहासन खाली करो की जनता आती है दिनकर बोले
हम सिखों के दशमेश गुरु , बिरसा मुंडा अवतारी हैं
हम धरतीपुत्र बिहारी हैं , हम धरतीपुत्र बिहारी हैं
पहला पहला गणतंत्र दिया और अर्थशास्त्र का मंत्र दिया
नालंदा से हमने जग को शिक्षा का पहला मंत्र दिया
गिनती को शून्य दिया हमने, गणनाएं भी बलिहारी हैं
हम धरतीपुत्र बिहारी हैं , हम धरतीपुत्र बिहारी हैं
मैथिली अंग का भोजपुरी हम लोक गूंज किलकारी हैं,
दुनिया पूजे धन की देवी हम सरस्वती के पुजारी हैं.
जिसके आगे बौना पहाड़ दशरथ मांझी धुआंधारी हैं,
हम धरतीपुत्र बिहारी हैं , हम धरतीपुत्र बिहारी हैं.
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