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अब बिहार में जहरीली मछलियों की नहीं होगी आपूर्ति, सरकार लगायेगी रोक
पटना : प्रभात खबर ने बिहार में दूसरे राज्यों से आने वाली जहरीली मछलियों (खतरनाक रसायन ‘फार्मेल्डिहाइड’ की लेप वाली) को लेकर विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की तो सरकार भी हरकत में आ गयी. बाहर से आने वाली मछलियों का सैंपल विभिन्न राज्यों की प्रयोगशालाओं में भेजा तो फार्मेल्डिहाइड के अंश पाये गये. सभी जगह से […]
पटना : प्रभात खबर ने बिहार में दूसरे राज्यों से आने वाली जहरीली मछलियों (खतरनाक रसायन ‘फार्मेल्डिहाइड’ की लेप वाली) को लेकर विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की तो सरकार भी हरकत में आ गयी. बाहर से आने वाली मछलियों का सैंपल विभिन्न राज्यों की प्रयोगशालाओं में भेजा तो फार्मेल्डिहाइड के अंश पाये गये. सभी जगह से जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आयी तो सरकार के भी होश उड़ गये. अब तय किया गया है कि बाहरी राज्यों से आने वाली मछलियों पर रोक लगायी जायेगी.
बाहर से आने वाली मछलियां खतरनाक हैं. जांच में यह साबित हो चुका है. कोलकाता, लुधियाना सहित कई प्रयोगशालाओं में जांच करायी गयी है. वैसे सोमवार को ही मैं इसको लेकर बात करूंगा. अक्तूबर प्रथम सप्ताह में सभी संबंधित अधिकारियों के साथ बैठक होगी. इसके बाद बाहरी राज्यों से आने वाली मछलियों पर रोक लगा दी जायेगी. अगले दो सालों में बिहार मछली उत्पादन में आत्मनिर्भर बन जायेगा.
सरकार ने सैंपल लेकर जांच करायी तो खुली पोल
प्रभात खबर में ‘कहीं आप मछली के साथ जानलेवा रसायन भी तो नहीं खा रहे हैं’ शीर्षक से प्रमुखता से खबर प्रकाशित की गयी. इसमें घातक रसायन के इस्तेमाल और उसके असर को बताया गया.
इसके बाद बिहार सरकार हरकत में आयी. पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग ने सैंपल लिया और कोलकाता, लुधियाना सहित कई अन्य प्रयोगशालाओं में भेजा. इसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आयी है. यानी ओडिसा और आंध्र प्रदेश सहित बाहरी राज्यों से आने वाली मछलियों में ‘फॉर्मेल्डिहाइड’ का प्रयोग किया जा रहा है, जो मानव स्वास्थ्य के लिए घातक है. इससे कैंसर होता है.
बिहार में ओडिशा और आंध्र प्रदेश से बड़े पैमाने पर मछलियां आती हैं. दरअसल, यहां आपूर्ति की जाने वाली मछलियों को ताजी रखने के लिए खतरनाक रसायन का उपयोग किया जाता है. इसका नाम ‘फॉर्मेल्डिहाइड’ है. इसका इस्तेमाल मानव शरीर को लंबे समय तक प्रिजर्व करने के लिए लगाया जाता है. इस रसायन का लेप लगा देने से शव सड़ता नहीं है. ये मछलियां बड़े पैमाने पर ओडिसा और आंध्र प्रदेश से बिहार के विभिन्न हिस्सों में मंगायी जाती हैं.
यह होता है खेल
मछली को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए इस पर आमतौर पर ‘फॉर्मेल्डिहाइड’ का लेप लगाया जाता है. इसी तरह मछली को खराब होने से बचाने वाली बर्फ को पिघलने से रोकने के लिए अमोनिया का उपयोग किया जाता है. मछली के जरिए यही रसायन हमारे शरीर में जाते हैं और सिरदर्द, उल्टी, पेट दर्द और बेहोशी जैसी समस्याएं होती हैं. फॉर्मेल्डिहाइड से कैंसर भी हो सकता है.
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