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पीयू के डीडीई में दो वर्षों से जीरो सेशन, बदहाली की कगार पर डिस्टेंस एजुकेशन

पटना : पटना विश्वविद्यालय के डीडीई में दो वर्षों से जीरो सेशन लागू है. डीडीई में कामकाज लगभग ठप है. कुछ पहले के छात्रों के परीक्षा फॉर्म आदि भरने का काम छोड़ दें तो डीडीई में कोई दूसरा काम नहीं हो रहा है. जो छात्र पीयू से डिस्टेंस एजुकेशन में कोर्स करना भी चाहते थे […]

पटना : पटना विश्वविद्यालय के डीडीई में दो वर्षों से जीरो सेशन लागू है. डीडीई में कामकाज लगभग ठप है. कुछ पहले के छात्रों के परीक्षा फॉर्म आदि भरने का काम छोड़ दें तो डीडीई में कोई दूसरा काम नहीं हो रहा है. जो छात्र पीयू से डिस्टेंस एजुकेशन में कोर्स करना भी चाहते थे वे नालंदा खुला विश्वविद्यालय या इग्नू की ओर डायवर्ट हो रहे हैं.
डीडीई की हालत खस्ता है और ऐसे ही चलता रहा तो विवि के डिस्टेंस एजुकेशन को फिर से उबरने में काफी समय लग जायेगा. हालांकि कि विवि प्रशासन यह कहते नहीं थक रही है कि डीडीई को जल्द मान्यता दिला दी जायेगी लेकिन कब और कैसे यह समझ से परे है. क्योंकि डीडीई में पिछले दो सत्रों से नामांकन ही नहीं हुए हैं. विवि द्वारा प्रयास जिस गति से चल रहा है उससे अगले वर्ष भी नामांकन होगा या नहीं इस पर संशय की स्थिति बनी हुई है.
सैदपुर में मिली जमीन पर एक दशक में भवन की नींव तक ही नहीं, पाठ्यक्रम भी हो गया है काफी पुरानाडीडीई में बदहाली के कई कारण हैं. एक समय में विवि से अधिक आय देने वाली यह संस्था दम तोड़ रही है. एक समय राज्य भर से छात्र यहीं से डिस्टेंस कोर्स में पढ़ना चाहते थे. पाठ्यक्रम सामग्री भी उच्च कोटि का था.
लेकिन समय के साथ यह संस्था अपने आपको ढ़ाल नहीं सकी और जितना दूसरे विश्वविद्यालय डिस्टेंस एजुकेशन को बेहतर करते गये, यह उतना ही पिछड़ता चला गया. डीडीई के पास अपना भवन तक नहीं है. पुरानी लाइब्रेरी के भवन में बहुत ही खराब रखरखाव में यह चल रहा है. सैदपुर में जमीन तो मिली लेकिन करीब एक दशक से अधिक होने को हैं पर आज तक भवन की नींव तक नहीं रखी गयी. भवन बनना तो दूर की बात है, पाठ्यक्रम सामग्री काफी पुराने हो गये हैं और वह नये सिलेबस से मेल नहीं खाते.
किसी भी विषय का को-ऑर्डिनेटर बहाल नहीं है और न ही कोई शिक्षक ही स्थायी तौर पर जुड़ा है. कुछ अधिकारियों व कर्मचारियों के साथ यह संस्था जैसे-तैसे चल रहा है. गेस्ट लेक्चर के जरिये क्लासेज कराये जाते हैं. पहले यहां पीजी भी चलता था लेकिन यह करीब एक दशक से थोड़े कम समय से बंद है. उसकी मान्यता काफी पहले ही समाप्त कर दी गयी थी.

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