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सीएम नीतीश ने बताया, बिहार में इन कारणों से शराबबंदी कानून में किया जा रहा बदलाव

पटना:बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा किप्रदेशमें शराबबंदी को लेकर कोई समझौता नहीं होगा. शराबबंदी कानून में बदलाव इसलिए किया जा रहा है ताकि यह कानून और भी मजबूत हो. किसी निर्दोष को सजा न मिले और शराबबंदी का विरोध करने वाले इसे मुद्दा न बनाएं. इसमें क्या-क्या संशोधन होगा यह सदन की पटल […]

पटना:बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा किप्रदेशमें शराबबंदी को लेकर कोई समझौता नहीं होगा. शराबबंदी कानून में बदलाव इसलिए किया जा रहा है ताकि यह कानून और भी मजबूत हो. किसी निर्दोष को सजा न मिले और शराबबंदी का विरोध करने वाले इसे मुद्दा न बनाएं. इसमें क्या-क्या संशोधन होगा यह सदन की पटल पर रखा जायेगा. मिथलेश स्टेडियम में बिहार स्वाभिमान पुलिस वाहिनी के स्थापना दिवस पर शुक्रवार को बतौर मुख्य अतिथि सीएम ने कहा कि बिहार पुलिस में दो फीसदी महिला पुलिसकर्मी की संख्या थी, वर्तमान में यह औसत रिकार्ड 15 फीसदी के पार पहुंच गया है. यह बहुत बड़ी उपलब्धि है.

नीतीश कुमार ने कहा कि हमने बिहार पुलिस की तस्वीर बदल दी है. विरासत में मिली गमछा लपेटने वाली पुलिस को हमने इतना हाईटेक कर दिया है, पूरे देश की पुलिस बिहार के आधुनिक थानों को देखकर चकित होती है. सीएम ने कहा कि बिहार मद्य निषेध एवं उत्पाद अधिनियम को और भी प्रभावी बनाने के लिए एडीजी कम आईजी प्रोवीजन का पद सृजित किया गया है. हेल्पलाइन नंबर गली चौराहे से लेकर बिजली के खंभे तक पर लिखा होगा. शराबबंदी कानून का उल्लंघन होने पर कोई भी व्यक्ति फोन करेगा तो दो से तीन घंटे में पुलिस रिस्पांस करेगी. फोन करने वालों की पहचान पूरी तरह से गुप्त रखी जायेगी.

सामाजिक उत्थान की भी जिम्मेदारी निभाये
नीतीश ने पुलिस के आला अधिकारियों को निर्देश दिया कि वह सामाजिक उत्थान की भी जिम्मेदारी निभाये. वह कार्रवाई तो करे ही लोगों को यह भी समझाये कि शराब पीना, नशा करना बुरी चीज है. डीजीपी केएस द्विवेदी और डीजी गुप्तेश्वर पांडे, डीजी सुनील कुमार आदि का नाम लेते हुए कहा कहा वह सभी अधिकारियों के साथ बैठक करें और ऐसी योजना बनाएं कि आफ ड्यूटी में पुलिस कर्मी लोगों को प्रेरणा दे सकें. इसके लिए पुलिस कर्मियों को पुरस्कृत भी किया जायेगा.

बिहार पुलिस की बदल दी तस्वीर
पहली बार मुख्यमंत्री बनने पर बिहार पुलिस की स्थिति अौर अब की स्थिति की तुलना करते हुए नीतीश ने कहा कि हमको ऐसी पुलिस मिली थी जिस पर ड्रेस तक नहीं थी. गमछा रखती थी. संसाधन कुछ थे नहीं, एफआईआर तक के लिए पीड़ित को ही कागज पेन ले जाना पड़ता था. हमने यह सूरत बदल दी है. गांधी मैदान थाने का उदाहरण देते हुए कहा कि अब बिहार ही ऐसा ही प्रदेश है जिसके थाने में लिफ्ट है. उन्होंने एक- एक उदाहरण देकर बताया कि कैसे- कैसे उन्होंने पुलिस का आधुनिकीकरण किया. राष्ट्रीय औसत से पुलिस में संख्याबल पूरा करने के लिए पूरे तंत्र के पीछे पड़कर बहाली करवाकर पूरी तस्वीर ही बदल दी. आदिवासी समाज से आने वाली युवतियों की परेड का दूर तक संदेश जायेगा. हमारा लक्ष्य है कि बिहार स्वाभिमान पुलिस वाहिनी में दो साल में संख्या बल पूरा हो जायेगी.

37 फीसदी आरक्षण का लाभ मिल रहा
सीएम ने कहा कि बिहार में महिलाओं के लिए कुल तीन फीसदी आरक्षण था वह भी पिछड़ी जाति के लिए. अब महिलाओं को बिहार पुलिस में सभी प्रकार के आरक्षण को जोड़ लिया जाये तो कुल 37 फीसदी आरक्षण का लाभ मिल रहा है. पुलिस अफसरों को आदेश दिया कि बिहार में महिला पुलिस कर्मियों की संख्या तो खूब है, अब उनके लिए संसाधन भी पूरे किये जाएं. सभी महिला पुलिस कर्मियों को मौलिक अधिकार भी दिये जाएं. करीब तीस मिनट के संबोधन में मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि वह अपनी हर योजना की शुरुआत क्यों बापू के चंपारण से करते हैं. चंपारण से ही उनको थारू जाति की युवतियों को देखकर प्रेरणा मिली कि बिहार स्वाभिमान पुलिस वाहिनी की स्थापना करें जिसमें अनुसूचित जन जाति की युवतियों ही भर्ती की जाये. बल में इनकी संख्या और भी बढ़ेगी.

इससे पूर्व मुख्यमंत्री ने बिहार स्वाभिमान पुलिस वाहिनी के प्रतीक चिह्न का लोकार्पण किया. बहादुरी के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार पाने वाले छह और सराहनीय सेवा पदक पाने वाले 12 पुलिस कर्मियों को सम्मानित किया. परेड की सलामी भी ली. सीएम ने विशेष स्मारिका का विमोचन किया.

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