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नियोजित शिक्षकों को नहीं दिया जा सकता समान वेतन का लाभ

नयी दिल्ली : बिहार के लाखों नियोजित शिक्षकों के समान काम के लिए समान वेतन मामले पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने लगभग 40 पन्नों का हलफनामा दाखिल किया. हलफनामे में केंद्र सरकार ने समान काम के लिए समान वेतन देने की नियोजित शिक्षकों की […]

नयी दिल्ली : बिहार के लाखों नियोजित शिक्षकों के समान काम के लिए समान वेतन मामले पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने लगभग 40 पन्नों का हलफनामा दाखिल किया.
हलफनामे में केंद्र सरकार ने समान काम के लिए समान वेतन देने की नियोजित शिक्षकों की मांग को स्वीकार योग्य नहीं बताया . कहा कि नियोजित शिक्षकों को समान काम के लिए समान वेतन नहीं दिया जा सकता है क्योंकि इनकी नियुक्ति रेगुलर शिक्षकों की तरह नहीं की गयी है.
न्यायाधीश एएम सप्रे और न्यायाधीश यूयू ललित की खंडपीठ के समक्ष केंद्र सरकार की ओर से अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने दलील दी कि इस मामले में अंतिम सुनवाई होनी है, लेकिन इस मामले में अदालत ने दूसरे पक्षकारों को नोटिस तक जारी नहीं किया है. ऐसे में सभी पक्षों को सुने बिना अंतिम सुनवाई न्यायसंगत नहीं होगी. बिहार सरकार की आेर से पेश वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी, गोपाल सिंह और मनीष कुमार ने भी अटार्नी जनरल की दलील का समर्थन करते हुए कहा कि इस मामले में अंतिम सुनवाई होनी है, लेकिन दूसरे पक्ष ने कोई जवाब नहीं दिया है.
सुनवाई के दौरान अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने हलफनामे में कहा कि नियोजित शिक्षकों को समान काम के लिए समान वेतन देने से पहले उसे अन्य राज्यों का भी ख्याल रखना होगा.
क्योंकि अगर बिहार के नियोजित शिक्षकों की समान काम के लिए समान वेतन की मांग को स्वीकार कर लिया गया तो अन्य राज्यों से भी ऐसी मांग उठेगी और इससे केंद्र सरकार पर लगभग 40 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा. हलफनामे में कहा गया है कि नियोजित शिक्षकों को समान कार्य के लिए समान वेतन नहीं दिया जा सकता है, क्योंकि ये समान कार्य के लिए समान वेतन की श्रेणी में नहीं आते हैं.
पटना हाईकोर्ट ने पक्ष में दिया था फैसला
गौरतलब है कि पटना हाईकोर्ट ने नियोजित शिक्षकों को समान काम के लिए समान वेतन देने के पक्ष में फैसला दिया है. इस फैसले के विरोध में बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने की मांग की थी, हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था. मौजूदा समय में बिहार में 3.69 लाख नियोजित शिक्षक हैं.
66 हजार शिक्षकों का वेतन राज्य सरकार अपने मद से देती है
राज्य में नियोजित कुल शिक्षकों की संख्या तीन लाख 69 हजार के आसपास है. इसमें लगभग तीन लाख 19 हजार प्रारंभिक शिक्षक हैं. इसमें 66 हजार शिक्षकों का वेतन राज्य सरकार पूरी तरह से अपने मद से देती है.
परंतु करीब दो लाख 53 हजार शिक्षकों का वेतन एसएसए के अंतर्गत दिया जाता है. इनके वेतन में 60 फीसदी रुपये केंद्र और 40 फीसदी रुपये राज्य सरकार देती है. अगर समान काम के लिए समान वेतन के तहत इन्हें सामान्य शिक्षकों की तरह वेतनमान दिया जाता है, तो केंद्र को भी वेतन मद में अपनी हिस्सेदारी कई गुनी बढ़ानी पड़ेगी.
मामले की जल्द हो सुनवाई
नियोजित शिक्षकों की आेर से पक्ष रखते हुए वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि करीब चार लाख नियोजित शिक्षक अदालत के फैसले का इंतजार कर रहे हैं, ऐसे में इस मामले में जल्द सुनवाई होनी चाहिए. खंडपीठ ने सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद नियोजित शिक्षकों को अपना पक्ष रखने का आदेश दिया और मामले की अंतिम सुनवाई 31 जुलाई को करने को कहा.

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