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नहीं हो रही बारिश, सूख रहे धान के बिचड़े, किसान मायूस
मसौढ़ी : अनुमंडल के किसानों को अब मौसम वैज्ञानिक महाकवि घाघ की कहावत याद आने लगी है. पिछले कई दिनों से वर्षा नहीं होने से किसान मायूस व चिंतित हो गये हैं और उन्हें कवि घाघ कि यह उक्ति ‘दीन क बद्धर रात निबद्धर बहे पुरवईया झब्बर-झब्बर कहे घाघ कुछ होनी होई, कुआं खोद के […]
मसौढ़ी : अनुमंडल के किसानों को अब मौसम वैज्ञानिक महाकवि घाघ की कहावत याद आने लगी है. पिछले कई दिनों से वर्षा नहीं होने से किसान मायूस व चिंतित हो गये हैं और उन्हें कवि घाघ कि यह उक्ति ‘दीन क बद्धर रात निबद्धर बहे पुरवईया झब्बर-झब्बर कहे घाघ कुछ होनी होई, कुआं खोद के धोबी धोई .
पहिले बरखा भर गयो ताल, कहें घाघ कुछ होनी होई ’ याद आने लगी है. किसानों का कहना है कि आद्रा नक्षत्र में भी बदरा ने हमलोगों को रुला दिया. उनकी सबसे बड़ी चिंता फिलवक्त रोपनी की नहीं है .
खेतों में धान के बिचड़े को बचाना उनके लिए चुनौती से कम नहीं है .धान के बिचड़े को किसी प्रकार निजी नलकूपों के सहारे बचा रहे किसानों के पास जल स्तर के नीचे चले जाने की वजह से परेशानी और बढ़ गयी है . किसानों का मानना है कि नक्षत्रों का प्रभाव खेती पर पड़ता है . कुल 27 नक्षत्रों में नौ नक्षत्र वर्षा ऋतु के होते हैं . इनमें से तीन नक्षत्र गुजर चुके हैं ,लेकिन बारिश के आसार अब तक नहीं दिख रहे .आद्रा से लेकर पुक्ष्य तक किसान बरसाऊ नक्षत्र मानते हैं .शुरुआती दौर में आद्रा में कुछ बारिश हुई, पर बाद के दिनों में आद्रा ने बारिश के लिए रुला दिया.
फिलवक्त चल रहे पुनर्वस नक्षत्र जो धान की रोपनी के लिए सर्वाधिक उपयुक्त है, इस नक्षत्र में भी वर्षा नहीं हो रही है, जिससे अनुमंडल के किसान परेशान ही नहीं चिंतित भी हैं . किसानों का कहना है कि समय पर धान की रोपनी नहीं हो पायी, तो इसके उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा .
स्थानीय ज्योतिषी विवेकानंद पांडेय का भी कहना है कि आद्रा नक्षत्र में वर्षा नहीं होने से कवि घाघ की यह उक्ति जो उन्होंने कभी आद्रा नक्षत्र में पानी नहीं होने पर लिखा था ‘ आवत आदर नहिं दियो, जात न दिन्हे हस्त , कहे घाघ दोनों गयो ,पाहुन अरू गिरहस्त ’ . अर्थात आद्रा नक्षत्र के आगमन और हस्त नक्षत्र ने जाते-जाते तक यदि पानी नहीं बरसाया, तो गृहस्थ और खेतिहर दोनों बर्बाद हो जायेंगे.
अब तक 44 % बारिश
अनुमंडल में अब तक आंकड़े को देखा जाये तो जुलाई माह में 255 एमएम बारिश होनी चाहिए थी ,लेकिन इसके ठीक विपरीत अब तक मात्र 44 प्रतिशत ही बारिश हो पायी है, जिससे खेतों में पड़ी दरार भी बंद नहीं हो पायी है और नमी भी धीरे-धीरे समाप्त हो रही है.
क्या कहना है अनुमंडल कृषि पदाधिकारी का
अनुमंडल कृषि पदाधिकारी राजीव रंजन कुमार ने बताया कि अनुमंडल के 90 प्रतिशत किसानों ने अपने खेतों में धान के बिचड़े तो लगा दिया है, लेकिन वर्षा नहीं होने की वजह से अब तक मात्र 10 प्रतिशत किसानों ने किसी तरह धान की रोपनी की है .उन्होंने बताया कि पूरे अनुमंडल में 24 हजार हेक्टेयर में धान की रोपनी का लक्ष्य है .
इस परिस्थिति में लक्ष्य को प्राप्त करना ही चुनौती से कम नहीं है .उन्होंने बताया कि धान की अच्छी फसल व बेहतर पैदावर के लिए धान की रोपनी 15 से 20 जुलाई तक समाप्त हो जानी चाहिए, लेकिन वर्षा नहीं होने की वजह से अब तक किसानों के द्वारा मात्र दस प्रतिशत ही रोपनी की जा सकी है.
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