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फाइलों में दबीं आवास बोर्ड की आवासीय योजनाएं

पटना : राज्य के लोगों को सस्ता और बेहतर मकान मुहैया कराने को लेकर बिहार राज्य आवास बोर्ड ने अपनी खाली पड़े भूखंड पर आवासीय फ्लैट बनाने की योजना बनायी है. इसके तहत अपार्टमेंट व टाउनशिप के साथ साथ शॉपिंग काॅम्प्लेक्स भी बनाया जाना है. लेकिन, ये योजनाएं पिछले आठ वर्षों से फाइलों में दबी […]

पटना : राज्य के लोगों को सस्ता और बेहतर मकान मुहैया कराने को लेकर बिहार राज्य आवास बोर्ड ने अपनी खाली पड़े भूखंड पर आवासीय फ्लैट बनाने की योजना बनायी है. इसके तहत अपार्टमेंट व टाउनशिप के साथ साथ शॉपिंग काॅम्प्लेक्स भी बनाया जाना है. लेकिन, ये योजनाएं पिछले आठ वर्षों से फाइलों में दबी हैं. ऐसे में इन खाली भूखंडों पर स्थानीय दबंगों ने कब्जा जमा लिया है. सरकार राजधानी के बहादुरपुर हाउसिंग कॉलोनी सहित राज्य के 10 जिलों में स्थित इन खाली भूखंडों से अतिक्रमण हटा नहीं पा रही है.

राजधानी के बदले आरा में प्रोजेक्ट शुरू : आवास बोर्ड ने राजधानी के बहादुरपुर हाउसिंग कॉलोनी के सेक्टर-तीन, पांच और छह, कंकड़बाग के लोहिया नगर और हनुमान नगर में 12 हजार आवासीय फ्लैट बनाने को लेकर स्थल चिह्नित किया. लेकिन आवास बोर्ड ने राजधानी में प्रोजेक्ट शुरू करने के बदले आरा में आवासीय प्रोजेक्ट शुरू किया. आरा वाले प्रोजेक्ट के लिए फ्लैट के खरीदार नहीं मिल रहे हैं. प्रोजेक्ट की रफ्तार धीमी पड़ गयी है.
गया में 12,696 फ्लैट, मुजफ्फरपुर में 15 सौ फ्लैट: गया के कटारी व मुस्तफाबाद में आवास बोर्ड की खाली भूखंड है, जिस पर आवास बोर्ड 12 हजार 696 फ्लैट बनाने वाला था. मुजफ्फरपुर जिले के दामोदरपुर में करीब 15 सौ आवासीय फ्लैट बनाने की योजना थी. ये योजनाएं एक कदम भी आगे नहीं बढ़ पायी हैं. कहीं आवास बोर्ड का भूखंड खाली पड़ा है तो कहीं अतिक्रमणकारियों ने कब्जा जमा लिया है.
निर्देश के बाद भी नहीं हटाया जा सका अतिक्रमण : पांच माह पहले नगर आवास विकास विभाग मंत्री ने आवास बोर्ड की योजनाओं की समीक्षा की. समीक्षा बैठक में
आवास बोर्ड प्रशासन को निर्देश
दिया गया कि बहादुरपुर हाउसिंग कॉलोनी का अतिक्रमण हटाये और खाली भूखंड की घेराबंदी सुनिश्चित करे. लेकिन आज तक अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरू नहीं की गयी. पूर्णिया, भागलपुर, छपरा, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, आरा आदि जिलों में भी खाली भूखंड की यही स्थिति है. आवास बोर्ड अधिकारी ने बताया कि इन परियोजनाओं को पीपीपी मोड में पूरा किया जाना था. लेकिन यह सफल नहीं हो पाया. अब आवास बोर्ड इसे अपने संसाधनों से पूरा करने की योजना बना रहा है.

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