पटना : बिहार सरकार में खनन और भूतत्व मंत्री और भाजपा नेता विनोद कुमार सिंह ने जम्मू कश्मीर के श्रीनगर के करन नगर में आतंकी हमले में शहीदजवान मुजाहिदकेपरिजनोंसेमिलने के बाद एकविवादास्पदबयान देडालाहै. मंत्री के बयान देने के बाद बिहार में सियासत गरमा गयी है. राजद का कहना है कियहलोगशहीदों का अपमानपूर्व में भी करतेरहेहैं, इससे पूर्व एनडीए सरकार में मंत्री भीम सिंह ने सेना के जवानों को लेकर कुछ ऐसा ही बयान दिया था. विनोद सिंह गुरुवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि अगर मैं भोजपुर उनके घर चला जाता तो क्या वह जिंदा हो जाते? बिहार के पीरो के रहने वाले मुजाहिद खान श्रीनगर में आतंकियों से लोहा लेते हुए शहीद हो गये थे.
बाद में मंत्री ने मीडिया को सफाई देते हुए कहा कि कुछ लोगों ने उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया है. शहीद मुजाहिद सीआरपीएफ के 49वीं बटालियन के जवान थे. शहीद के परिजनों को बिहार सरकार ने पांच लाख रुपये का चेक भी भेजा था, जिसे उन्होंने लेने से इनकार कर दिया था. मंत्री विनोद सिंह भोजपुर के प्रभारी मंत्री हैं और वह समय पर सुपुर्दे खाक के समय वहां मौजूद नहीं थे. उन्होंने कहा कि वह कटिहार में थे और बाद में जाकर परिवार से मुलाकात की थी. मुलाकात के बाद उन्होंने कहा कि वह शहीद को सैल्यूट करते हैं. उन्होंने परिजनों से मिलने की बात भी कही और उसके बाद कहा कि क्या कल पहुंच जाने से वह जिंदा हो जाते. इसी बयान को लेकर बवाल मचा हुआ है.
Bihar Minister Vinod Singh talks about not being present for the last rites of CRPF's Mujahid Khan (lost his life in Srinagar's Karan Nagar), says, 'kal hi jaake kya fayda hota, maine dil se unko salute kiya hai, aur kal hi jaake kya hum unko zinda kar dete?' pic.twitter.com/r4Tt5KImyb
— ANI (@ANI) February 15, 2018
शहीद के अंतिम संस्कार के समय भारी संख्या में स्थानीय और आस-पास के गांवों के लोग जमा हुए थे, लेकिन केंद्र या राज्य सरकार का कोई मंत्री वहां नहीं पहुंचा था. विनोद सिंह के इस बयान की राजद ने आलोचना करते हुए तुरंत माफी मांगने की बात कही. वहीं बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए हम के नेता मांझी ने कहा कि इस तरह का बयान अपरिवक्ता को दिखाता है. मांझी ने पांच लाख की राशि को भी कम बताया और कहा कि कम से कम 11 लाख देनी चाहिए. जबकि, भाजपा के एक और मंत्री ने विनोद सिंह का बचाव करते हुए कहा कि हालांकि उन्होंने उनका बयान नहीं सुना है, लेकिन वो जानते हैं कि उनके कहने का मतलब कुछ और रहा होगा, लेकिन समझा कुछ और गया.
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