पटना : प्रदेश कांग्रेस के नेता पहली फरवरी 2010 और 20 नवंबर, 2015 के उस क्षण को याद कर रहे हैं जब उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने उनके बीच बैठ दोनों अवसरों पर आत्मीयता से बात की थी. राहुल गांधी पहली बार 2010 में सदाकत आश्रम पहुंचे थे और वहां पर स्थापित मीडिया सभागार का उद्घाटन किया था. हालांकि, उस वक्त पार्टी सत्ता में नहीं थी. नवंबर, 2015 में जब वह सदाकत आश्रम में दोबारा पहुंचे थे, तो पूरे प्रदेश की राजनीतिक फिजां बदली हुई थी. साथ ही कांग्रेसियों का उत्साह अपने चरम पर था. लंबे अरसे के (करीब 12 वर्षों) बाद राज्य में महागठबंधन के तहत कांग्रेस सत्ता में लौटी थी. वह महागठबंधन सरकार के मुखिया नीतीश कुमार के गांधी मैदान में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने पहुंचे थे.
इसी क्रम में राहुल गांधी ने सदाकत आश्रम पहुंच सबके साथ फर्श पर बैठ कर पार्टी नेताओं को यह कह कर संबोधित किया था कि कांग्रेस पार्टी नहीं एक परिवार है. परिवार के सदस्यों के लिए उनका दरवाजा हमेशा खुला है. इस बार राहुल गांधी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाने के बाद कांग्रेसी खुश हैं कि देश की सबसे पुरानी पार्टी का कमान संभालने वाले नये नेता के दरवाजे अब आम कार्यकर्ताओं के लिए भी खुलेंगे. आज उसी दिन को याद करते हुए दोनों बैठकों में शामिल कांग्रेस विधायक रामदेव राय बताते हैं कि राहुल गांधी ने कहा था कि कांग्रेस एक व्यक्ति का संगठन नहीं है. कांग्रेस के कार्यकर्ता परिवार के समान हैं. पार्टी में सभी लोगों के लिए जगह है. किसी कार्यकर्ता को अगर कोई परेशानी हो, तो उनके लिए मेरा दरवाजा हमेशा खुला है. राहुल के उस दिन के संबोधन व शनिवार को कार्यभार संभालने के बाद वैसे कांग्रेसियों में नया संचार पैदा हुआ है. युवाओं को उम्मीद है कि संगठन में उन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेवारी मिलेगी. वहीं बुजुर्ग कांग्रेसी भी समझने लगे हैं कि वे हाशिये पर नहीं रहेंगे.
2010 में आये थे पहली बार
सदाकत आश्रम में राहुल गांधी कांग्रेस महासचिव रहते पहली बार पहली फरवरी 2010 को आये थे. उन्होंने मीडिया सभागार का उद्घाटन किया था. उस समय जगदीश टाइटलर बिहार प्रभारी व सागर राय का प्रभारी सचिव थे. उस समय अनिल कुमार शर्मा प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष थे.
संगठन को एकजुट करना चुनौती
प्रदेश कांग्रेस में आपसी खींचतान को लेकर उसे एकजुट करना चुनौती का काम है. पार्टी के कुछ नेता नाराज चल रहे हैं.इतना ही नहीं प्रदेश में पार्टी को भाजपा के अलावा जदयू से भी कड़ी चुनौती है. महागठबंधन में जदयू, राजद व कांग्रेस के साथ रहने पर केवल भाजपा से मुकाबला था. महागठबंधन में राजद की मजबूत स्थिति को लेकर कांग्रेस का उसके साथ रहना मजबूरी है. हालांकि इसे लेकर ही पार्टी के कुछ नेता नाराज चल रहे हैं.अभी प्रदेश कांग्रेस की कमान युवा कांग्रेसी के हाथ में है. जाहिर सी बात है कि राहुल के इशारे पर ही यह कमान उन्हें सौंपा गया होगा. क्योंकि, पिछले तीन साल से पार्टी में किसी तरह के निर्णय लिये जाने का काम उनके इशारे पर हुआ है.

