प्रकाशपर्व : वृद्धाश्रम व अनाथ बच्चों का आसरा अपना घर में जगमगायी खुशी
आहुति बाकी, यज्ञ अधूरा, अपनों के विघ्नों ने घेरा, फिर भी दीया जलाएं
रविशंकर उपाध्याय
पटना : आहुति बाकी यज्ञ अधूरा, अपनों के विघ्नों ने घेरा. अंतिम जय का वज़्र बनाने-नव दधीचि हड्डियां गलाएं. आओ फिर से दीया जलायें. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की कविता आओ फिर से दीया जलाएं पटना के आर गार्डेन के पास स्थित वृद्धाश्रम सहारा में साकार हो रहा था. अपनों से दुत्कारे हुए बुजुर्ग यहां बेगानों के बीच छोटी दीवाली मना रहे थे.
अपने जीवन में बच्चों के लिए जो आहुति उन्होंने दी थी उससे जीवन का यज्ञ तो नहीं साकार हो सका क्योंकि अपनों द्वारा दिये गये विघ्न ने ही इन बुजुर्गों को वृद्धाश्रम को घर बनाने को मजबूर किया था. अब अपनी अंतिम बेला में ये हड्डियां गला रहे हैं लेकिन फिर भी उम्मीद का प्रतीक दीया जला रहे हैं.
सब दिन होत न एक समाना….
इसके पहले लोकमान्य तिलक जी अपना ढाेलक लेकर संदेश दे रहे हैं. सब दिन होत ना एक समाना प्रभु जी..सब दिन होत ना एक समाना. उनके साथ झूलन साव, चंदेश्वर प्रसाद, कांति देवी, हीना देवी, जीरा देवी, आशा देवी तालियां बजा रही थी. तिलक जी कहते हैैं कि हमें अपनों से दर्द तो मिला है लेकिन यहां बेगाने ही अपने हैं.
अपने बनाये घरों में घुट-घुट कर जीना भी कोई जीना थोड़े ही है. गरीब बच्चों को बांटीं फुलझड़ी, मोमबत्ती और मिठाइयां : छोटी दीवाली को वनबंधु परिषद के बैनर तले बुजुर्गों ने गरीब बच्चे, बच्चियों के बीच फुलझड़ी, मोमबत्ती एवं मिठाइयां बांटी. अध्यक्ष राधेश्याम बंसल के साथ परिषद की टभ्म मुसद्दीचक स्लम एरिया में गयी और सभी परिवारों में बच्चों को दीपक, तेल, फुलझरी एवं मिठाइयां बांटी.
सभी सामान देखकर बच्चों के चेहरे. खुशी से खिल उठे. बुजुर्गों ने बच्चों को पटाखे नहीं छोड़ने की सलाह दी और बताया कि पटाखे छोड़ने से काफी अधिक हवा दूषित हो जाती है. बंसल ने बताया कि बिहार में वनबंधु द्वारा संचालित करीब 3600 एकल विद्यालय के सभी बच्चे खुद मिट्टी के दीपक बनाकर लायेंगे एवं कल दीपावली के दिन जलाएंगे. कार्यक्रम में वनबंधु परिषद् के सचिव महेश जालान, महावीर अग्रवाल, सेवानिवृत जिला जज रमेश रतेरिया सहित अन्य सदस्य उपस्थित थे.
पटना : जिंदगी में खुशियों की रोशनी के दीये जलाने की तैयारी में अपना घर
अनुपम कुमारी
पटना : आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ. है कहां वह अाग जो मुझको जलाये है, कहां वह ज्वाल पास मेरे आये. रागिनी, तुम आज दीपक राग गाओ. आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ.
हरिवंशराय बच्चन जी की ये कविता अनाथालय में रह रहे बच्चों पर चरितार्थ होती है. अनाथ बच्चे दीपावली के इस त्योहार में कुछ इसी प्रकार से अपनी जिंदगी में खुशियों की राेशनी के दीये जलाने की तैयारी में हैं. उन्हें अपनी बुझी जिदंगी में रोशनी का दीया जलाने वालों का इंतजार है. ताकि उनके जीवन की हर रात दीवाली जैसी हो. जी हां! बात बेली रोड स्थित चिल्ड्रेन होम अपना घर, फ्रेजर रोड स्थित प्रयास नव जीवन विशिष्ट दत्तक संस्थान की हो या फिर महिलाओं का निवास स्थान अपना घर की हो. दीवाली को लेकर इन घरों में भी तैयारी जोरों पर है.
आयेगी खुशियों की रोशनी
फ्रेजर रोड स्थित प्रयास नव जीवन विशिष्ट दत्तक संस्थान में वर्तमान में कुल 40 बच्चे रह रहे हैं. इनमें आठ बच्चे तीन से छह महीने के हैं और शेष बच्चे पांच से 10 वर्ष आयु वर्ग के हैं. इनमें ज्यादातर बच्चे अनाथ हैं. दीवाली को लेकर यहां भी खुश नजर आ रही है. क्योंकि उन्हें दीवाली के लिए फुलझड़ी, ढेर सारी मिठाइयां और नये कपड़े भी मिले हैं.
सजायेंगे दीपों की लड़ियां
बेली रोड स्थित अपना घर में कुल 120 बच्चे रह रहे हैं. इन बच्चों के या तो माता-पिता नहीं है या फिर गुमशुदा होने के कारण उनसे दूर हैं. यहां रह रहे सभी बच्चों का दर्द एक समान है. पर इन बच्चों के चेहरे पर खुशी लाने की तैयारी है. ताकि वह अपनी जिंदगी में खुशियों का दीपक जला सकें. दीवाली को लेकर बच्चे कमरों की सजावट कर रहे हैं.
हिंसामुक्त होकर मना रहीं दीवाली
महिला विकास निगम की ओर से संचालित अल्पावास में कुल 20 लड़कियां रह रही हैं. यहां रह रहीं लड़कियां या तो हिंसा की शिकार होती हैं, या फिर उन्हें घर से निकाल दिया जाता है. अपनों से दूर रहकर त्योहार मनाने की लाचारी के बावजूद ये लड़कियां भी दीवाली की पूरी तैयारी कर रही हैं. कमरों की साफ-सफाई करने के बाद वह बुधवार को रंगोली बनायेंगी. छोटी दीवाली पर यहां स्पेशल खाना बन रहा है. ताकि सभी हंसते-गाते दीवाली मना सकें.
