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ट्विटर में एक धर्म पर आपत्तिजनक टिप्पणी मामले तस्लीमा नसरीन को पटना हाईकोर्ट से राहत

पटना : पटना हाईकोर्ट ने बांग्लादेश की लेखिका तस्लीमा नसरीन को बड़ी राहत प्रदान करते हुए उनके विरुद्ध बेतिया की मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत द्वारा लिये गये संज्ञान आदेश को निरस्त कर दिया. न्यायाधीश अरुण कुमार की एकलपीठ ने तस्लीमा नसरीन की ओर से दायर आपराधिक याचिका पर गुरुवार को सुनवाई करते हुए उक्त […]

पटना : पटना हाईकोर्ट ने बांग्लादेश की लेखिका तस्लीमा नसरीन को बड़ी राहत प्रदान करते हुए उनके विरुद्ध बेतिया की मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत द्वारा लिये गये संज्ञान आदेश को निरस्त कर दिया. न्यायाधीश अरुण कुमार की एकलपीठ ने तस्लीमा नसरीन की ओर से दायर आपराधिक याचिका पर गुरुवार को सुनवाई करते हुए उक्त निर्देश दिया.
गौरतलब है कि तस्लीमा नसरीन के विरुद्ध पश्चिमी चंपारण जिला स्थित बेतिया के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में एक धर्म विशेष के विरुद्ध ट्विटर पर अपशब्द कहने, लोक शांति को भंग करने का आरोप है. इसको लेकर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत ने 24 मई, 2012 को तस्लीमा नसरीन को दोषी पाते हुए उनके विरुद्ध संज्ञान लेकर अदालत में उपस्थित होने के लिए वारंट जारी किया था.
तस्लीमा नसरीन द्वारा इसे पटना हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी थी. इस पर सुनवाई करते हुए 15 अप्रैल, 2013 को पटना हाईकोर्ट ने निचली अदालत द्वारा लिये गये संज्ञान आदेश पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाते हुए परिवादी को नोटिस जारी किया था.
शिक्षा अनुदेशकों के समायोजन के लिए क्या कार्रवाई हुई
पटना. पटना हाईकोर्ट ने सूबे के हजारों अनौपचारिक शिक्षा अनुदेशकों को राहत प्रदान करते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वे आठ सप्ताह के भीतर यह बताएं कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के आलोक में अब तक क्या कार्रवाई हुई है. मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन एवं डॉ अनिल कुमार उपाध्याय की खंडपीठ ने अनौपचारिक शिक्षा अनुदेशक सेवा संगठन एवं अन्य की ओर से दायर अपील एवं अवमाननावाद पर एक साथ गुरुवार को सुनवाई करते हुए उक्त निर्देश दिया है.
एमसीआई से जवाब-तलब
पटना. पटना उच्च न्यायालय ने सूबे के प्रतिष्ठित पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में पोस्ट ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों के संचालन हेतु प्राध्यापकों की नियुक्ति नहीं होने को लेकर सख्त रुख अख्तियार करते हुए एमसीआई और बीपीएससी से जवाब तलब किया है. न्यायाधीश चक्रधारीशरण सिंह की एकलपीठ ने डॉ मधुकर एवं अन्य की ओर से दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए उक्त निर्देश दिया है. पीएमसीएच में मेडिकल के स्नातकोत्तर विभाग में छह पाठ्यक्रम बगैर एमसीआई की अनुमति के संचालित किये जा रहे थे.
पूर्व में हाईकोर्ट की एकलपीठ ने इस संबंध में एमसीआई से जवाब-तलब किया था. इस पर एमसीआई द्वारा अदालत को बताया गया था कि यहां उक्त पाठ्यक्रम के संचालन हेतु न तो प्राध्यापक और न ही मूलभूत सुविधाएं मयस्सर हैं. अदालत ने यह बताने का निर्देश दिया है कि स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के संचालन हेतु प्राध्यापकों की नियुक्ति के संबंध में की जा रही प्रक्रियाओं की जानकारी प्रस्तुत करे.
Prabhat Khabar Digital Desk
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