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मुख्यमंत्री ने दिया निर्देश, बिहार में भी मिलेगी ठनके की पूर्व सूचना

आंध्र के तर्ज पर लागू करें तकनीक, पैसा देगी सरकार पटना : आंध्र प्रदेश के तर्ज पर बिहार में भी वज्रपात की पूर्व सूचना देने वाली तकनीक लागू होगी. इसके लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आपदा प्रबंधन विभाग को निर्देश दिया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि इस तकनीक को राज्य में लाइए और इसका नेटवर्क […]

आंध्र के तर्ज पर लागू करें तकनीक, पैसा देगी सरकार
पटना : आंध्र प्रदेश के तर्ज पर बिहार में भी वज्रपात की पूर्व सूचना देने वाली तकनीक लागू होगी. इसके लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आपदा प्रबंधन विभाग को निर्देश दिया है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस तकनीक को राज्य में लाइए और इसका नेटवर्क तैयार कीजिए. इसमें दो, तीन या फिर चार करोड़ रुपये ही खर्च क्यों न हो, सरकार मुख्यमंत्री राहत कोष से इस राशि का भुगतान करेगी. वह शुक्रवार को आपदा प्रबंधन विभाग के ‘बिहार राज्य आपदा जोखिम न्यूनीकरण मंच, 2017’ का उद्घाटन करने के बाद समारोह को संबोधित कर रहे थे.
मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले तीन सालों का आंकड़ा देखें, तो वज्रपात से मरनेवालों की संख्या बढ़ रही है. आंध्र प्रदेश में जो तकनीक है, उससे आधा घंटा पहले पता चल जाता है कि किस जगह पर ठनका गिरने वाला है. यह तकनीक बिहार में भी लागू हो जाये, तो जानें बच जायेंगी.
उन्होंने कहा कि बिहार में पांच से छह करोड़ मोबाइल धारक हैं. आपदा प्रबंधन की ओर से ये मोबाइल नंबर रजिस्टर हो जाएं, तो ठनका गिरने की पूर्व जानकारी मिलने के बाद तुरंत मैसेज चला जायेगा. ये मैसेज जिले-प्रखंड के अधिकारी से लेकर मुखिया व वार्ड मेंबर तक के मोबाइल पर चला जायेगा और जिस जगह पर ठनका गिरने वाला है, वहां से लोगों को वे हटा देंगे. इससे लोगों की जान बच जायेगी.
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्कूलों में बच्चों को भूकंप व आग से बचाव की जानकारी दी जाती है. फिलहाल बच्चों को टेबल के नीचे छुपने के लिए बताया जाता है, लेकिन यह सही नहीं. बच्चों के टेबल के नीचे ज्यादा नुकसान होगा.
उन्हें उसकी बगल में रहने की जानकारी दी जानी चाहिए. कम उम्र के बच्चों में सीखने की प्रवृत्ति ज्यादा होती है. जब कोई बच्चा सीखेगा, तो बिना चार लोगों को बताये बिना नहीं रहेगा. सरकारी स्कूलों के 2.50 करोड़ बच्चों को इसकी जानकारी हो गयी, तो जान-माल का नुकसान कम होगा.
हर क्षेत्र में आपदा का खतरा, जन-जन का सहयोग जरूरी
सीएम ने कहा कि हर क्षेत्र में आपदा का खतरा है. चाहे वह प्राकृतिक हो या फिर मानवजनित. इसके लिए जन-जन की भागीदारी की आवश्यकता है. खतरों के बारे और इसके बचाव के बारे में सोच पैदा करनी होगी, ताकि नुकसान न्यूनतम हो.
उन्होंने कहा कि जिन सड़कों पर ज्यादा दुर्घटनाएं होती हैं, उन्हें ब्लैक स्पॉट घोषित करने के लिए लिस्ट तैयार की जा रही है. सूर्यास्त के बाद भी नावें चल रही हैं, जिससे दुर्घटनाएं हो रही हैं. पतंगबाजी महोत्सव में नाव हादसा हुआ. लोग नाव में सवार हो जाते हैं, वे देखते तक नहीं कि नाव की हालत या क्षमता क्या है? नीचे स्तर पर ट्रेनिंग देनी चाहिए. नाव चलाने वाले और इस पर चलने वाले, सड़क बनाने वाले व इस पर चलने वालों को सहयोग करना होगा.
अधिकारी नहीं बरतें कोताही, सभी हैं जिम्मेवार
मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा प्रबंधन सभी विभागों के अधिकारियों की जिम्मेदारी है. इसमें किसी प्रकार का कोई कोताही नहीं बरतें. अगर आपदा से संबंधित विभाग के वे अधिकारी नहीं हैं, लेकिन जिलों के प्रभारी तो हैं? इसके लिए सभी लोग जिम्मेवार हैं. अगर कोताही से उनके प्रभार वाले जिलों में किसी प्रकार का कोई घटना हो जाती है, तो सबसे ज्यादा उनकी ही अंतरात्मा को कष्ट होगा. अपनी अंतरात्मा की शांति के लिए आपदा को लेकर सचेत रहें और कोताही नहीं बरतें. अधिकारी कुछ ऐसा करें कि आपदाओं का जोखिम घटे और नुकसान कम हो.
काम कीजिएगा तो झेलना पड़ेगा ही
मुख्यमंत्री ने कहा कि काम कीजिएगा तो झेलना भी पड़ेगा. पिछले साल गरमी में अगलगी की घटनाएं बढ़ने के कारण गांवों के लिए एडवाइजरी जारी की गयी कि खाना जल्द बना लें और यज्ञ-हवन पहले कर लें या आपदा होने पर पानी की पर्याप्त व्यवस्था करें. इस पर एक लड़के ने मेरी ओर चप्पल उछाली और मेरे बारे कहा कि पूजा-पाठ के खिलाफ हैं. काम करने पर यह सब तो झेलना पड़ेगा. मेरा कमिटमेंट आम लोगों के लिए है. तरक्की के लिए काम करेंगे. सब कुछ झेलना है, कोई चिंता नहीं करता हूं.
बिहार बहु आपदाग्रस्त राज्य, बाढ़-सुखाड़ एक साथ
नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार बहु आपदाग्रस्त राज्य है. यहां बाढ़ और सुखाड़ एक साथ रहता है. बिहार में बारिश कम हुई, उसके बावजूद भी नेपाल, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड व झारखंड की अच्छी बारिश से बाढ़ आ जाती है.
हर साल बिहार को बाढ़ के साथ-साथ सुखाड़ से सचेत रहना होता है और तैयारी करनी होती है. इसके लिए अधिकारी से लेकर कर्मचारियों को ट्रेंड किया जाता है. 2017 में बिहार में आयी बाढ़ से 22 जिले और 2.50 करोड़ लोग पीड़ित हुए थे. पहले जो रिलीफ दिसंबर में बंटती थी, सरकार ने उसे बाढ़ के समय ही बांटने की शुरुआत की, जो अब भी जारी है. 18 अगस्त, 2008 को कोसी तटबंध टूटा, जिससे बिहार में बाढ़ आयी.
कई रिलीफ कैंप बने. एक कैंप में आठ से 10 हजार लोगों ने शरण ली. हर 500 लोगों पर एक मेस बना. लोगों को थाली, कटोरा, लोटा, छिपली दी गयी. साड़ी-धोती व बच्चों के लिए भी कपड़े दिये गये. सरकार ने पहले ही साफ कर दिया है कि राज्य के खजाना पर पहला अधिकार आपदा पीड़ितों का है और किसी भी आपदा में मरने वालों के परिजनों को 24 घंटे के अंदर सरकार चार लाख रुपये का चेक देती है.
सभी विभागों के सहयोग के बिना नहीं हो सकता आपदा प्रबंधन : मंत्री आपदा प्रबंधन मंत्री चंद्रशेखर ने कहा कि सभी विभागों के सहयोग के बिना प्रदेश में आपदा प्रबंधन नहीं हो सकता है. विभाग सुरक्षित बिहार में लगा हुआ है. 2015-2030 तक का रोडमैप बनाया गया है. इसमें 27 विभागों का सहयोग अपेक्षित हैं.
समारोह में थे मौजूद –
समारोह को बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष ब्यासजी, सदस्य डॉ उदय कांत मिश्रा, आइसीआइएमओडी के एमडी डॉ डेविड मोल्डेन, यूनिसेफ के बिहार प्रमुख एम असादुर्रहमान, मिलिंडा गेट्स फाउण्डेशन की वैलेरी विमो ने भी संबोधित किया. इस मौके पर मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह, विकास आयुक्त शिशिर सिन्हा, आपदा प्रबंधन के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव चंचल कुमार व सचिव अतीश चंद्रा समेत विभिन्न विभागों के प्रधान सचिव, सचिव सहित अन्य वरीय अधिकारी, विशेषज्ञ मौजूद थे.
बिहार राज्य आपदा जोखिम न्यूनीकरण मंच, 2017 का उद्घाटन
पटना नाव हादसे में लोगों की जान बचानेवाले सम्मानित
समारोह में पटना में इस साल मकर संक्रांति पर पतंगबाजी महोत्सव के दौरान हुए नाव हादसे में लोगों को बचाने वालों को मुख्यमंत्री ने सम्मानित किया. सम्मानित होने वालों में राजेंद्र सहनी, अाशुतोष कुमार, संजीव सहनी, सोनू सहनी, जामुन सहनी और पंकज कुमार शामिल हैं. इसके अलावा मुख्यमंत्री ने इस मौके पर धरोहर और संबल का विमोचन भी किया.

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