पटना : सारण जिले के डोरीगंज इलाके में अवैध बालू खनन में स्थानीय माफियाओं से लेकर जिला स्तरीय उच्च अधिकारियों तक की मिलीभगत है. इस पूरे खेल की जांच अब निगरानी ब्यूरो करेगा.
इस मामले को लेकर डोरीगंज थाने में चार अक्तूबर, 2016 को तत्कालीन डीएम दीपक आनंद ने एफआइआर दर्ज करवायी थी. अब इस मामले की जांच निगरानी ने अपने हाथ में ले लिया है. जांच में जिला स्तर के कुछ बड़े अधिकारियों के नाम सामने आ सकते हैं. निगरानी ने एफआइआर की कॉपी मंगवा कर मामले की नये सिरे से जांच शुरू कर दी है. पहले से दर्ज एफआइआर पर ही फिलहाल जांच चलेगी. इसमें शामिल माफियाओं के नाम सामने आने पर निगरानी अपने स्तर पर नयी एफआइआर दर्ज कर सकती है.
नोट पर हस्ताक्षर करके पास होते थे ट्रक
चार अक्तूबर, 2016 को सारण के तत्कालीन डीएम दीपक आनंद डोरीगंज बालू खनन घाट का निरीक्षण करने पहुंचे. उन्होंने घाट से बालू लाद कर एनएच की तरफ जाने वाले 19 ट्रकों की जांच की, तो पता चला कि सभी ट्रक बिना चालान और परमिट के ही बालू लेकर जा रहे हैं. ट्रक ड्राइवरों से गहन पूछताछ में यह बात सामने आयी कि इन्हें 10 रुपये के नोट पर किसी अधिकारी के हस्ताक्षर करके दिया गया था.
इस नोट की मदद से ही सभी ट्रक वालों को निर्धारित स्थान तक पहुंचाने के लिए कहा गया था. इन्हें यह भी कहा गया था कि अगर रास्ते में कोई रोके या किसी तरह की चेकिंग हो, तो हस्ताक्षर किये ये नोट दिखा दें. ड्राइवरों ने यह भी बताया कि वे महीनों से ऐसा ही करते आ रहे हैं. यह जांच होना सबसे महत्वपूर्ण है कि आखिर नोट पर हस्ताक्षर किस अधिकारी के थे.
पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए तत्कालीन डीएम ने डोरीगंज थाने में एफआइआर दर्ज करवायी थी. इसके बाद राज्य सरकार को इस मामले का विस्तार से जिक्र करते हुए पत्र लिखा था. साथ ही निगरानी ब्यूरो से जांच करवाने की अनुशंसा की थी. इसके मद्देनजर यह जांच निगरानी को सौंपी गयी है. इसमें जिला स्तर के कुछ बड़े अधिकारियों के भी फंसने की आशंका है. इनमें कुछ का वर्तमान में तबादला भी हो गया है.
