Patna News: राजधानी पटना में 11kV के नंगे हाईवोल्टेज तारों को हटाकर कवर्ड कंडक्टर लगाने का काम तेज हो गया है. पूरे शहर में 1450 किलोमीटर की लंबाई में बिछे इन खतरनाक तारों में से पहले चरण में 393 किलोमीटर नेटवर्क को बदलने की तैयारी है.
इसके बाद बचे हुए 1057 किलोमीटर तार भी अगले दो वर्षों में कवर्ड कंडक्टर से रिप्लेस कर दिए जाएंगे. इससे तारों के टूटने, शॉर्ट सर्किट और बिजली के झटके जैसी लगातार होने वाली दुर्घटनाओं पर पूरी तरह रोक लग जाएगी.
पहले चरण में 393 किमी हाई-वोल्टेज नेटवर्क बदलेगा
पटना में कई वर्षों से 11kV हाई-वोल्टेज के नंगे तार हादसों की वजह बनते रहे हैं. थोड़ी-सी बारिश या हवा से ये तार आपस में सट जाते हैं और शॉर्ट सर्किट की स्थिति बन जाती है. कई मामलों में तार टूटकर गिरने पर राहगीर और घरों की छतों पर खड़े लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं. बिजली विभाग का मानना है कि कवर्ड कंडक्टर लगने के बाद पटना इन खतरों से लगभग मुक्त हो जाएगा.
कवर्ड कंडक्टर के लिए मटेरियल कंकड़बाग टू, रामकृष्णानगर, जगनपुरा और सिपारा–मटखान रोड सहित कई इलाकों में पहुंच चुका है. कंकड़बाग टू में यह काम काफी आगे बढ़ चुका है, जबकि भूपतिपुर से सिपारा तक कई जगह तार बदले भी जा चुके हैं. बाकी इलाकों में कार्य एडवांस स्टेज में है.
LT लाइन को बंच केबल ने दिया था सुरक्षा कवच
हाल के वर्षों में लो-टेंशन (LT) लाइन के लिए एरियल बंच केबल लगाए जाने के बाद दुर्घटनाओं में काफी कमी आई थी. ये मोटे रबर कवर में सुरक्षित होते हैं, जिससे टूटने के बाद भी करंट लगने का खतरा नहीं रहता. लेकिन हाई-वोल्टेज लाइन के लिए ऐसी तकनीक उपलब्ध नहीं थी. अब कवर्ड कंडक्टर आने से हाई-वोल्टेज नेटवर्क भी पहली बार सुरक्षित श्रेणी में आ जाएगा.
अगले दो वर्षों में पूरे पेसू क्षेत्र का नेटवर्क सुरक्षित होगा
बिजली विभाग के अधिकारियों के अनुसार, नंगे तारों को हटाने के बाद शहर में ओवरहेड वायरिंग का पूरा सिस्टम अधिक स्थिर, आधुनिक और सुरक्षित बनेगा. खासकर मानसून और जलजमाव वाले क्षेत्रों में बिजली व्यवस्था में स्थायी सुधार देखने को मिलेगा.
विभाग ने लक्ष्य रखा है कि अगले दो वर्षों में पूरे पेसू प्रक्षेत्र से नंगे हाई-वोल्टेज तारों को हटाकर पटना को ‘फुल कवर्ड नेटवर्क’ में बदल दिया जाए.
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