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Chhath: बिहार आने वाली ट्रेनों में पैर रखने की जगह नहीं, शौचालय में बैठकर आ रहे परदेसी

Chhath : छठ पर्व पर बिहार आने वाली ट्रेनों में सीट को लेकर भयंकर मारामारी चल रही है. रेलवे की तरफ से स्पेशल ट्रेनों के संचालन के बाद भी लोगों को कोई खास राहत मिलता हुआ नहीं दिख रहा है.

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Chhath: रोजी-रोजगार व विभिन्न नौकरियों के चलते महानगरों में रह कर कमाई कर रहे लोगों का छठ पर्व पर अपने गांव लौटने का सिलसिला जारी है. इसके चलते दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, गुजरात, महाराष्ट्र, असम, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, मध्यप्रदेश व पश्चिम बंगाल आदि राज्यों की ओर से आने वाली ट्रेनों में जबरदस्त भीड़ बनी है. लोगों को बैठने तक की जगह नहीं मिल रही है. अचानक यात्रा का कार्यक्रम बनाने वाले लोगों को काफी फजीहत झेलनी पड़ रही है. ट्रेनों में पावदान के निकट खड़े व बैठ कर यात्रा करते लोग दिख रहे हैं. गंतव्य स्टेशन आने के बाद लोगों को उतरने के लिए भी काफी मशक्कत करनी पड़ रही है.

घर आने के लिए भर रहे हजार रुपये की पेनाल्टी 

रेल प्रशासन द्वारा छठ पर्व में आने वाले यात्रियों के लिए स्पेशल ट्रेनें चलाने के बावजूद ट्रेनों में भीड़ पर कोई असर नहीं दिख रहा है. यात्री अधिक पेनाल्टी देकर भी घर आने को विवश हैं. पंजाब, मुंबई आदि की ओर से आने वाले यात्री 600 से लेकर 1000 तक और दिल्ली से भी आने वाले यात्री 1000 तक का फाइन भर रहे हैं. छठ पर्व में घर आने के लिए यात्री वेटिंग टिकट के अलावा बिना टिकट के भी यात्रा कर रहे हैं.

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स्पेशल ट्रेनों के परिचालन से भी नहीं मिल रही राहत

हालत यह है कि जनरल बोगी में पैर रखने तक की जगह नहीं है. जनरल कोच के शौचालय तक में यात्री सफर कर रहे हैं. भीड़ बढ़ने के कारण ट्रेनों के एसएलआर कोच में भी यात्रा करने से यात्री परहेज नहीं कर रहे हैं. रविवार की दोपहर उदयपुर सीटी से न्यू जलपाईगुड़ी को जाने वाली 19601 न्यू जलपाईगुड़ी साप्ताहिक ट्रेन खचाखच यात्रियों से भरी रही. वहीं, कई बोगियों में पानी भी खत्म हो गया था. इससे यात्री थोड़े नाराज भी रहे. यात्रियों में विपुल बैठा, झूलन साह, बिक्की कुमार, रंजीत आदि ने बताया कि वे तीन महीने पहले ही स्लीपर क्लास का टिकट आरक्षित करा लिया था. बावजूद भीड़ अधिक होने से स्लीपर क्लास की स्थिति जनरल कोच से भी बदतर बनी थी.

तीन गुना ज्यादा पैसे देकर एजेंट से ले रहे टिकट

दिल्ली से सीवान तक सफर कर रहे बीसीए के छात्र आदित्य कुमार ने बताया कि उन्होंने टिकट से तीन गुना ज्यादा पैसा देकर एजेंट से रिजर्वेशन टिकट लिया, तब जाकर घर आने का मौका मिला. ऐसी स्थिति कई यात्रियों के समक्ष बनी है. वे ऊंची दर पर टिकट बना कर घर लौट रहे हैं. उससे ज्यादा मजदूर व गरीब तबके वाले यात्री भी शामिल हैं. जनरल कोच में भेड़-बकरियों की तरह व स्लीपर क्लास में फाइन देकर घर लौट रहे हैं.

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