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नवादा के किसान कर रहे चौगुनी कमाई, प्रति एकड़ तीन लाख तक हो रही आमदनी, जानें क्या है राज

नवादा के कई किसान पारंपरिक खेती छोड़कर बागवानी कर अपनी आमदनी चार गुना तक बढ़ा रहे हैं.

Agriculture News: फलों की बागवानी करके किसान तीन से चार गुना अधिक मुनाफा प्रत्येक साल कमा रहे हैं. नवादा जिला में सामान्य रूप से धान, गेहूं की खेती करने वाले किसानों की संख्या हजारों में है, लेकिन पारंपरिक खेती की व्यवस्था को तोड़कर बागवानी के क्षेत्र में अपना कदम बढ़ाने वाले किसानों की आर्थिक समृद्धि देखते बनती है. जिला में 500 से अधिक छोटे बड़े बागवानी करने वाले किसान दूसरे सामान्य किसानों  की अपेक्षा तीन से चार गुना अधिक कमाई कर रहे हैं.

पपीता, केला जैसे कम समय में फल देने वाले पेड़ के माध्यम से प्रत्येक एकड़ लगभग ढाई से 3 लाख रुपये की कमाई किसान कर रहे हैं. बागवानी कर तगड़ी कमाई करने के लिए अब कई किसान आगे आ रहे हैं. जिला उद्यान विभाग किसानों को आत्मनिर्भर बनने में मदद भी कर रहा है. लक्ष्य निर्धारित करके पौधे लगाने के लिए सब्सिडी भी किसानों को दिया जा रहा है.

उद्यानिक फसलों का लक्ष्य निर्धारित कर आम, केला, अमरूद और पपीता लगाने में रुचि रखने वाले किसानों से ऑनलाइन आवेदन की मांग की गयी है जबकि पहले आओ पहले पाओ की नीति पर आवेदकों को योजना का लाभ दिया जाता है.

बाग लगाने के लिए मिलता है अनुदान

किसानों को बागवानी के लिए प्रेरित करने को लेकर सरकार के द्वारा अनुदान भी उपलब्ध कराया जाता है. आम, केला व अमरूद की फसलों पर 90 फीसदी तक अनुदान मिलता है जबकि पपीता की फसल पर 75 फीसदी अनुदान का लाभ दिया जा रहा है. किसानों को आम, अमरूद और केला की बागवानी के जरिए आमदनी बढ़ाने का अच्छा मौका है. किसानों को पौधे लगाने और उसकी देखरेख के लिए अलग से  अनुदान मिलता है.

पहले आओ पहले पाओ के आधार पर मिलता है लाभ 

बागवानी के लिए आवेदन की प्रक्रिया ऑनलाइन है. इस प्रक्रिया में पहले आओ पहले पाओ के आधार पर लाभुक किसान का चयन किया जाता है. सघन बागवानी मिशन के तहत 30 हेक्टेयर में आम का बगीचा लगाने का लक्ष्य रखा गया है. जबकि एक किसान कम से आठ कट्ठा और अधिकतम एक हेक्टेयर में पौधे लगा सकता है. नवादा जिला में केले का बगीचा लगाने का लक्ष्य सबसे अधिक 80 हेक्टेयर का निर्धारित किया गया है जबकि 05 हेक्टेयर में अमरूद और 10 हेक्टेयर में पपीता के बाग लगाने पर अनुदान मिलेगा. 

आवेदन के लिए देना होगा जरूरी दस्तावेज

अपनी जमीन पर बगीचा लगाने की चाहत रखने वाले किसानों को उद्यान विभाग के पोर्टल www.horticulture.bihar.gov.in पर जाकर ऑनलाइन आवेदन करना होगा. आवेदन के साथ जमीन की ताजा रसीद, पहचान पत्र, आधार कार्ड, पासपोर्ट साइज फोटो और बैंक अगला पासबुक की डिटेल देनी होगी. आम, केला और अमरूद वे लेख बाग लगाने के लिए लाभ लेने से संबंधित जानकारी विभागीय वेबसाइट पर उपलब्ध है.

फूल और मेंथा का लक्ष्य भी निर्धारित, ऑनलाइन हो रहा आवेदन 

नवादा जिले में फूल और मेंथा की खेती का लक्ष्य भी निर्धारित कर दिया गया है. सहायक निदेशक उद्यान सुधीर कुमार तिवारी ने बताया कि 20 हेक्टेयर में फूल की खेती तथा 100 हेक्टेयर में मेंथा की खेती का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. फूल की प्रति हेक्टेयर लागत इकाई 56 हजार रुपये जबकि मेंथा के लिए प्रति हेक्टेयर लागत इकाई 40 हजार रुपये निर्धारित है. इन दोनों फसलों की खेती पर 50 फीसदी अनुदान का लाभ चयनित किसानों को दिया जाएगा.

क्या कहते हैं सफल किसान

मेसकौर प्रखंड के बैजनाथपुर गांव में 6 एकड़ की जमीन पर पपीता और केला की खेती कर रहे हैं. वर्ष में दो बार अच्छी फसल होती है. लगभग ढाई से तीन लाख प्रति एकड़ मुनाफा वर्ष में हो जाता है. पपीता की मार्केटिंग के लिए लोकल बाजार हिसुआ और नवादा में ही अच्छी मंडी मिल जाती है. पपीता आसानी से 50 से 60 रुपए किलो के हिसाब से बिक जाता है. एक एकड़ में लगभग 600 पौधे पपीता के लगते हैं जिसमें साल भर हम लोग फसल प्राप्त करते हैं. फलों की देखरेख के लिए विशेष कुछ करने की भी आवश्यकता नहीं होती है. कीट पतंग से बचाने के लिए देसी जुगाड़ नीम, गोमूत्र आदि का प्रयोग करने से कम खर्चे में मुनाफा भी अधिक हो रहा है.

 धर्मेंद्र कुमार सिंह निक्कू, बैजनाथपुर, मेसकौर 

तीन एकड़ में केला और अन्य दो तीन एकड़ में आम, पपीता, नींबू, अमरूद, अनार आदि की बागवानी की जा रही है. नरहट ठाकुरबारी  की जमीन पर महंत जी की निगरानी में यहां पर बागवानी करके पर्यावरण बचाने के साथ ही ठाकुरबाड़ी के लिए हम लोग व्यवस्था कर रहे हैं. सिंचाई के लिए ग्रीनहाउस और स्प्रिंकल जैसे व्यवस्था का भी लाभ लिया गया है. ग्रीन हाउस इफेक्ट से कई दूसरे मौसमी सब्जियों को भी उगाया जाता है. सरकारी स्तर पर सब्सिडी दर पर पौधे उपलब्ध होते हैं इसके अलावे  बागवानी के लिए सिंचाई और अन्य व्यवस्था बनाने में भी उद्यान विभाग से आर्थिक मदद मिलती है. तैयार फसल को बेचने में मंडी का अभाव है. लोकल व्यापारी काफी बारगेनिंग करते हैं. केला के उत्पादन को बेचने के लिए हिसुआ और नवादा के मार्केट में परेशानी होती है इसे बाहर भेजना पड़ता है.

 कोठारी बाबा, नरहट ठाकुरबारी

 

Anand Shekhar
Anand Shekhar
Dedicated digital media journalist with more than 2 years of experience in Bihar. Started journey of journalism from Prabhat Khabar and currently working as Content Writer.

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