नवादा कार्यालय. बाप ने लगाया ढोलक पर ताल बेटा ने छेड़ दिया फगुआ का राग ” केकरा संग जाऊं, नइहर दूर बसत हैं… ससुरा भैसुरा संग लाज लगत है, देवरा के मन बेईमान हो… सचमुच होली का त्योहार ऊंच नीच, अमीर-गरीब ही नहीं रिश्तों के बीच का औपचारिक बंधन भी तोड़ देता है. सदर प्रखंड के पटवासराय गांव स्थित आंगनबाड़ी भवन परिसर में 70 पार के बुजुर्गों ने बुधवार को जम कर होली का आनंद उठाया और सामाजिक समरसता का संदेश दिया. गांव के शिक्षाविद सह सेवानिवृत शिक्षक अवधेश कुमार के नेतृत्व में आयोजित होली मिलन समारोह में पारंपरिक फगुआ के साथ सामाजिक विडंबनाओं पर प्रहार करते हुए आधुनिक होली की भी धूम रही. ””नकबेसर कागा ले भागा”” से लेकर ””चंदा तोरे में गोरखधंधा”” जैसे होली गीत पर बुजुर्गों में नई उमंग और नये जोश का संचार देखा गया. खास बात ये रही कि नवादा समाहरणालय के सेवा निवृत लिपिक मथुरा पासवान ने ढोलक पर थाप लगाया तो उनके पुत्र मंझनपुरा के प्रधानाध्यापक संजय पासवान ने हारमोनियम पर संगत के साथ रसदार होली उड़ेल दी. ज्यूं-ज्यूं शाम ढलती गई ढोलक, हारमोनियम , झांझ और करताल की गूंज तेज होती गयी. इस उत्सव के विशिष्ट अतिथि सेवानिवृत शिक्षक रामबिलास प्रसाद, रामरूप प्रसाद यादव, चंद्रिका प्रसाद, समाजसेवी शंभू विश्वकर्मा, मेडिकल कॉलेज के छात्र सुमित कुमार समेत गांव के किशोरी राजवंशी, भरत नारायण सिंह, रामस्वरूप पासवान, रूपाली यादव, मिथु यादव, देवराज पासवान, सौदागर महतो, गोविंद पंडित जैसे बुजुर्ग संस्कृतिकर्मी शामिल हुए और होली के समवेत स्वर के साक्षी बने.
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