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मापदंडों की अनदेखी

नवादा : जिले भर में करीब डेढ़ दर्जन से अधिक रेस्ट हाउस है. इसमें कुछ ऐसे रेस्ट हाउस भी है जो प्रशासनिक मापदंडों को पूरा करने में कोताही बरत रहे हैं. कुछ नये-पुराने रेस्ट हाउस ने तो निबंधन भी नहीं कराया है. इनमें से कुछ ही रेस्ट हाउस हैं जो प्रतिदिन ठहरने वालों की सूची […]

नवादा : जिले भर में करीब डेढ़ दर्जन से अधिक रेस्ट हाउस है. इसमें कुछ ऐसे रेस्ट हाउस भी है जो प्रशासनिक मापदंडों को पूरा करने में कोताही बरत रहे हैं. कुछ नये-पुराने रेस्ट हाउस ने तो निबंधन भी नहीं कराया है. इनमें से कुछ ही रेस्ट हाउस हैं जो प्रतिदिन ठहरने वालों की सूची थाने को देता है.

जानकारी के अनुसार, शहर में बढ़ते क्राइम का कारण रेस्ट हाउस भी है. रुपये के चक्कर में रेस्ट हाउस मालिक किसी को ठहरने का इजाजत दे देता है. इसका उदाहरण सागर रेस्ट हाउस, महेश होटल व ग्लैक्सी होटल है, जहां कई बार छापेमारी भी हो चुकी है. इन रेस्ट हाउसों से संदिग्ध लोगों को गिरफ्तार भी की गयी है.

श्रम अधिक्षक पूनम कुमारी से मिली जानकारी के अनुसार, ग्लैक्सी होटल दो भागों में बंटा हुआ है. इसमें एक भाग के संचालक पर रजिस्ट्रेशन नहीं कराने का मामला विभाग ने दर्ज करा रखा है. विभाग ने बताया कि नये रेस्ट हाउस, भोजपुरी रेस्ट हाउस व वाटिका रेस्ट हाउस का निबंधन अभी नहीं कराया गया है.

मजे की बात तो यह है कि श्रम विभाग के लोगों को अभी यह भी पता नहीं है कि शहर में कितने रेस्ट हाउस चल रहे हैं व कितने का निबंधन हो चुका है. कौन नया है व कौन पुराना इसकी भी जानकारी नहीं है. नगर थाने भी इसकी लीपापोती करने में जुटा है, जिन्हें सभी रेस्ट हाउसों से प्रतिदिन की रिपोर्ट लेनी है. उनके पास भी कोई सूची नहीं है. नगर थाने के प्रभारी थानाध्यक्ष विजय कुमार गुप्ता ने बताया कि इसकी कोई जानकारी नहीं मिली है.

प्रभारी थानाध्यक्ष बने हमें कुछ ही दिन हुआ है. अब इस पर ध्यान दिया जायेगा. उन्होंने बताया कि सिद्धार्थ रेस्ट हाउस, होटल राजश्री, आकाश होटल व कृष्णा पैलेस से ही प्रतिदिन की रिपोर्ट थाने में आ रही है. गौरतलब हो कि जिला मुख्यालय में उक्त रेस्ट हाउसों के अलावा ग्लैक्सी होटल, अरविंद रेस्ट हाउस, कन्हैया रेस्ट हाउस, सागर रेस्ट हाउस, भोजपुरी रेस्ट हाउस, होटल सत्कार, अजंता रेस्ट हाउस तथा वाटिका रेस्ट हाउस, आशीर्वाद होटल व सर्मपण होटल तथा जेपी रेस्ट हाउस सहित डेढ दर्जन से अधिक रेस्ट हाउस संचालित है. इस पर जिला प्रशासन का ध्यान नहीं जा रहा है.

यही वजह है कि संदिग्ध लोगों की पहचान नहीं हो पाती है. रेस्ट हाउस को रुपयों से मतलब होता है. कौन ठहरा, किस काम से आया इससे कोई लेना देना नहीं होता है. इससे वैसे लोग आसानी से जिले में आते हैं और अपने काम को अंजाम देकर निकल जाते हैं.

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