नवादा : शहर में ई-रिक्शा के ठहराव के लिए कहीं भी व्यवस्था नहीं रहने से आये दिन यातायात की समस्या सामने आ रही है़ हाल यह है कि शहर की किसी भी सड़क या चौक-चौराहे पर रिक्शा खड़ा कर यातायात व्यवस्था बाधित की जाती है़ जहां-तहां ई रिक्शा लगे रहने से अन्य वाहनों के चालकों को भी परेशानी होती है़ इस समस्या का निदान के लिए जिला प्रशासन द्वारा कोई पहल नहीं की जा रही है़ इसके चलते आये दिन लोगों को जाम की समस्या से जूझना पड़ रहा है़ यह समस्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है.
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रिपोर्ट के अनुसार 969 ई-रिक्शे, सड़क पर हकीकत कुछ और
नवादा : शहर में ई-रिक्शा के ठहराव के लिए कहीं भी व्यवस्था नहीं रहने से आये दिन यातायात की समस्या सामने आ रही है़ हाल यह है कि शहर की किसी भी सड़क या चौक-चौराहे पर रिक्शा खड़ा कर यातायात व्यवस्था बाधित की जाती है़ जहां-तहां ई रिक्शा लगे रहने से अन्य वाहनों के चालकों […]
शहर का कोई भी इलाका नहीं है जहां ई रिक्शा का पड़ाव देखने को नहीं मिलता हो. नगर का प्रजातंत्र चौक इसका प्रमुख उदाहरण है. यहां सुबह से रात तक जैसे-तैसे ई रिक्शा लगा कर सवारी उठायी जाती है़ इससे सड़क संकीर्ण हो जाती है़ ऐसा नहीं है कि यहां पर ट्रैफिक पुलिस नहीं रहती़ उनकी आंखों के सामने यह नजार हर रोज देखा जाता है. वहीं समाहरणालय द्वार पर भी सुरक्षाकर्मियों का जमावड़ा होता है़ बावजूद इसका ख्याल नहीं रखा जा रहा है.
बेरोजगारी के दौर में ई रिक्शा एक बेहतर रोजगार तो है पर यातायात नियमों का पालन नहीं किये जाने से दूसरे लोगों को तकलीफ हो रही है़ जिला परिवहन विभाग की रिपोर्ट के अनुसार शहर में कुल 969 ई रिक्शाें का रजिस्ट्रेशन किया जा चुका है. जबकि इसकी दोगुणा संख्या में शहर की सड़कों पर ई-रिक्शे दौड़ रहे हैं. नगर पर्षद के लोग भी पड़ाव की जिम्मेदारी प्रशासनिक अिधकारियों को दे दी है़ इसके लिए डीएम को पत्र लिखे जाने की बात कही जा रही है. जिला परिषद के बारे में बताया जा रहा है कि ई-रिक्शा से हर स्टैंड में जाने का टैक्स लिया जा रहा है, इस लिहाज से जिला परिषद पर भी इसके लिए दायित्व उठाने की बात सामने आ रही है. प्रशासन भी परिषद पर इसका जिम्मा थोप रहा है. ऐसी हालत में शहर को सुसज्जित और व्यवस्थित बनाने का सपना पूरा होना नामुमकिन हो गया है.
नियम-कानून की उड़ा रहे धज्जियां
शहर की सड़कों पर दौड़नेवाले ई-रिक्शे के लिए कोई नियम-कानून नहीं है. सड़क पर चलते-चलते कब कहां इसे रोक दिया जाये, यह चालकों पर निर्भर करता है़ नाबालिग से लेकर बड़े-बूढ़े तक ई रिक्शा सड़कों पर चलाते नजर आ रहे हैं. यही कारण है कि दुर्घटना होने की संभावना रहती है़ बगैर यातायात नियमों को जाने ही लोग हाथों में स्टीयरिंग पकड़ कर सड़कों पर निकल जा रहे हैं. गाड़ी चलाने की गति भी उनकी तेज रहती है.
जगह देना नगर पर्षद का काम : एसडीओ
ई रिक्शा के लिये पड़ाव की व्यवस्था करना नगर पर्षद का काम है. पर्षद काे इसके लिए पहल करने की जरूरत है. वैसे यातायात को लेकर कार्रवाई की जाती है़ स्थायी निदान के लिए नगर पर्षद को ही पहल करने की जरूरत है.
राजेश कुमार, सदर एसडीओ
जिला पर्षद को करनी चाहिए व्यवस्था : अध्यक्ष
ई रिक्शा ही नहीं अन्य कई काम के लिए भी डीएम साहब को नप की ओर से पत्र दिया गया है. जगह के अभाव में इसके लिये कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गयी है़ हालांकि इसके लिये जिला पर्षद को भी जवाबदेही लेने की जरूरत है. सभी स्टैंडों में जिला पर्षद ही टैक्स लेता है़ बावजूद व्यवस्था नहीं की जा रही है़ िफर भी इस समस्या के निदान के लिए नगर पर्षद तैयारी कर रही है.
पूनम कुमारी चंद्रवंशी, नगर पर्षद अध्यक्ष, नवादा
वातावरण को प्रदूषण से बचाने में सहायक
दूसरे मायने में देखा जाये, तो ई रिक्शा प्रदूषण रहित होने के कारण लाभदायक भी है. इसमें इंधन की जरूरत नहीं रहने से वायु प्रदूषण नहीं होता है तथा बैटरी से चलने के कारण इससे ध्वनि प्रदूषण का भी खतरा कम है. इस लिहाज से देखा जाये, तो यह ई रिक्शा सेहत के लिये लाभदायक है. परंतु नियमों को ताक पर रख कर चलने से दूसरे लोगों के लिए यह परेशानी का सबब बन गया है. बैटरी से चलने के कारण ई-रिक्शा से प्रदूषण नहीं फैलता़ वायु व ध्वनि प्रदूषण से लोगों को बचाने के लिए ही इसे सड़कों पर उतारा गया है़
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