नगरनौसा : किसान अथक परिश्रम कर खेत से फसल उपजाता है, लेकिन उस उपजे फसल को किसान का सार्थक मूल्य भी नहीं पाता. ऐसा ही हाल प्रखंड के किसानों के साथ हो रहा है. किसान कर्ज लेकर अपना कीमती वस्तु गिरवी रखकर खेतों में बड़ी उम्मीद के साथ फसल लगाता है और सुनहरा भविष्य का कामना करता है. अपने बच्चे को अच्छे स्कूल में पढ़ा सके और अपना जीवन व्यतीत कर सके. किसानों को प्राकृतिक के प्रकोप को भी सहना पड़ता है और फसल उपजाने के बाद औने-पौने दाम पर बेचने को मजबूर होना पड़ता है. केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार तक किसानों को सही दाम देने के लिए विभिन्न प्रकार की कल्याणकारी योजना चला रही है,
लेकिन आज तक ना केंद्र सरकार और ना राज्य सरकार किसानों को फसल का सार्थक मूल्य देने में विफल रही है. किसान आज खेती करने से विमुख हो रहे हैं. किसान सतीश कुमार,रामाशीष प्रसाद,कृष्णा शाही,रंजीत कुमार,कमलेश प्रसाद, मनीष कुमार,चंद्रदेव मांझी आदि किसानों ने बताया कि सरकार उपजाये गए फसल का उचित मूल्य भी नहीं दे पाती जिससे बिचौलिये फसल को औने-पोने दाम लगाते हैं. दूसरी तरफ ना ही पैक्स धान खरीद रही है ना व्यापर मंडल.
अंतत: मजबूर होकर किसान जरूरी सामग्री खरीदने को लेकर फसल बेचने को बेचना पड़ता है. किसान बताते हैं कि खरीफ फसल उपजाने में खेत की जुताई,बीज, मजदूरी,पटवन,खाद आदि प्रति एकड़ लगभग 20 हजार रुपया खर्च आता है. प्रति एकड़ 18 क्विंटल धान प्राप्त होता है.