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मुजफ्फरपुर : किसी को राष्ट्र सम्मान का गुमान, तो कोई नेताओं की भाषा से है आहत

गली से शुरू चर्चा संसद से देश की सरहद तक पहुंची धनंजय पांडेय मुजफ्फरपुर : शाम के चार बजे हैं. दिन भर उमस और गर्मी झेलने के बाद कुछ मौसम ठंडा हुआ, तो लोग राहत में दिखे. पंकज मार्केट में राकेश झा की चाय की दुकान के सामने दर्जनभर लोग चाय की चुस्कियों के साथ […]

गली से शुरू चर्चा संसद से देश की सरहद तक पहुंची
धनंजय पांडेय
मुजफ्फरपुर : शाम के चार बजे हैं. दिन भर उमस और गर्मी झेलने के बाद कुछ मौसम ठंडा हुआ, तो लोग राहत में दिखे. पंकज मार्केट में राकेश झा की चाय की दुकान के सामने दर्जनभर लोग चाय की चुस्कियों के साथ देश की तकदीर लिखने में मशगूल हैं. साहेबगंज के रहने वाले सुरेश सिंह देश और राष्ट्र के सम्मान की बातें करते हैं. पिछले दिनों सरहद पर सेना की ओर से दिये गये मुंहतोड़ जवाब को देश का सम्मान बताते हैं.
तभी पप्पूजी बीच में टोकते हैं. पंकज मार्केट में ही पतंजलि स्टोर चलाने वाले पप्पूजी कहते हैं- देश कोई पांच साल में मजबूत नहीं हुआ है. पहले भी किसी की हिम्मत नहीं थी कि भारत की ओर आंख उठाकर देखे. पिछली सरकारों ने बहुत काम किया है.
मुजफ्फरपुर में मतदान हो चुका है. दवा दुकान चलाने वाले ललन प्रसाद चौधरी स्थानीय स्तर पर चल रहे मुद्दों का जिक्र करते हैं. कहते हैं कि चुनाव बाद हम तो अपने सांसद को ही खोजते हैं. जब वे चुनाव के वक्त नहीं दिखेंगे, तो अगले पांच साल क्या उम्मीद कर सकते हैं.
कपड़ा व्यवसायी रितेश कुमार बंका इस बात से आहत दिखे कि चुनाव में भाषा की मर्यादा तोड़ने में सबने एक-दूसरे को पीछे छोड़ने का प्रयास किया है. बोले, अब तो नेताओं का भाषण सुनने का भी मन नहीं करता. पहले देश, समाज और विकास की बातें होती थीं. लेकिन, अब ऐसा कुछ भी नहीं रहता. पिंटू सिंहानिया का कहना था कि अब विकास और महंगाई कोई मुद्दा नहीं है.

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