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उदासीनता : अधर में एमआरएफ सेंटर योजना, मुंगेर में नहीं हो रहा कचरा का प्रबंधन

एमआरएफ सेंटर शहर के चुरंबा स्थित डंपिंग यार्ड में स्थापित किया जायेगा. क्योंकि वहां निगम की 11 एकड़ से अधिक जमीन है.

– चुरंबा स्थित डंपिंग यार्ड में मेटेरियल रिकवरी फैसलिटी(एमआरएफ) लगाने की थी योजना

– डंपिंग यार्ड में कचरों के पहाड़ से उठ रही दुर्गंध, आसपास के मुहल्ले में रहने वाले लोगों का जीना हुआ मुश्किल

मुंगेर

कचरा प्रबंधन में नगर निगम मुंगेर की स्थिति दायनीय है. पिछले दो वर्षों से मुंगेर में कचरा प्रबंधन के लिए बनायी गयी मेटेरियल रिकवरी फैसलिटी (एमआरएफ) सेंटर लगाने की योजना अधर में पड़ी हुई है. जिसके कारण वार्ड नंबर-19 के घनी आबादी वाले इलाके चुरंबा में स्थित कचरा संग्रह केंद्र (डंपिंग यार्ड) में कचरों का पहाड़ खड़ा हो गया है. जिससे उठ रही दुर्गंध और धूल न सिर्फ लोगों को परेशान कर रही है, बल्कि बीमार भी बना रही है.

डीपीआर तक ही सिमटी है एमआरएफ सेंटर की योजना

सितंबर 2023 में घनी आबादी से डंपिंग यार्ड स्थानांतरित करने और कचरा प्रबंधन के लिए चुरंबा स्थित डंपिंग यार्ड में मेटेरियल रिकवरी फैसलिटी(एमआरएफ) सेंटर स्थापित करने की योजना पर काम शुरू किया गया था. तत्कालीन नगर आयुक्त निखिल धनराज ने उस समय बताया था कि एमआरएफ सेंटर शहर के चुरंबा स्थित डंपिंग यार्ड में स्थापित किया जायेगा. क्योंकि वहां निगम की 11 एकड़ से अधिक जमीन है. जिसके लिए डीपीआर तैयार कर नगर विकास एवं आवास विभाग को भेज दिया गया है. लेकिन दो साल बाद भी योजना का काम डीपीआर बनाने तक ही सिमटी हुई है. निगम की मानें तो विभाग ने डीपीआर को मुंगेर नगर निगम को लौटाते हुए कुछ बिंदुओं का मूल्यांकन करने का निर्देश दिया. लेकिन निगम प्रशासन द्वारा अब भी डीपीआर बनाने पर ही काम किया जा रहा है.

एक बार फिर निगम ने बजट में किया गया प्रावधान

नगर निगम की ओर से वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए बजट पेश किया गया. जिसमें निगम ने कचरा निष्पादन के लिए एमआरएफ साइड बनाने का निर्णय लिया है. इस पर 9.87 करोड़ रुपये खर्च करने का प्रावधान रखा है. बावजूद इसके मामला डीपीआर तैयार करने में सिमटा हुआ है.

प्रतिदिन शहर से निकल रहा 100 टन कचरा, प्रबंधन का इंतजाम नहीं

मुंगेर : मुंगेर नगर निगम 45 वार्ड में फैला हुआ है. जिससे प्रतिदिन 90 से 100 टन कचरा निकल रहा है. जिसे विभिन्न वार्ड से संग्रह कर शहर के अस्थाई डंपिंग यार्ड में जमा किया जाता है. जिसके बाद उन कचरों को ट्रैक्टर व टीपर पर लाद कर चुरंबा स्थित डंपिंग यार्ड में जमा कर दिया जाता है. लेकिन कचरा प्रबंधन की व्यवस्था नहीं होने से धीरे-धीरे वहां कचरा का पहाड़ खड़ा हो गया है. हालांकि आईटीसी सुनहरा कल की ओर से गीला कचरा से जैविक खाद तैयार करने का काम किया जा रहा है. जो प्रतिदिन जमा होने वाले कचरों के पांच से छह प्रतिशत गीला कचरों को भी अपने में समाहित कर पाता है. बांकी कचरा यू ही डंपिंग यार्ड में फेंक दिया जाता है.

कचरों के पहाड़ से उठ रहे दुर्गंध व धूल से बीमार हो रहे लोग

मुंगेर : वार्ड नंबर-19 का चुरंबा घनी आबादी वाला क्षेत्र है. जहां 11 एकड़ में निगम का कचरा डंपिंग यार्ड है. जहां आज कचरों का पहाड़ खड़ा है. जो खुले आकाश के नीचे है. डंपिंग यार्ड के चारों ओर आबादी ही आबादी है. कचरा से उठ रहे दुर्गंध व धूल से चुरंबा, नयागांव, रायसर, शंकरपुर, श्रीमतपुर, नीतिबाग, श्यामपुर, सुजावलपुर सहित 20 से 25 हजार की आबादी बुरी तरह से प्रभावित है. स्थानीय लोगों की माने तो आंखों में जलन, सर दर्द, सांस की बीमारी से यहां के लोग परेशान है. यहां का पानी भी दूषित हो गया है. क्योंकि बारिश के दिनों में कचरों में संग्रह जल सीधे भूगर्भ में प्रवेश करता है और नीचे के पानी को प्रभावित कर रहा है. हालात यह है कि डब्बा बंद पानी लोग पीने को मजबूर है.

क्या है एमआरएफ सेंटर

मेटेरियल रिकवरी फैसलिटी(एमआरएफ) सेंटर में कई प्रकार के मशीन लगायी जाती है. जिसके माध्यम से सूखा कचरा को अलग-अलग श्रेणियों में बांटकर उपयोगी और गैर उपयोगी सामानों को अलग-अलग किया जाता है. जबकि उसमें गीला कचरा के निष्पादन की व्यवस्था होती है. अलग-अलग मशीनों से यह काम होता है. प्लांट को चलाने के लिए करीब 118.5 हार्स-पावर का मोटर सहित अन्य मशीनरी का उपयोग होगा. इससे डिंपिंग यार्ड में पड़े सूखा व गीला कचरा का प्रबंधन किया जाता है.

कहते हैं पदाधिकारी

नगर निगम के स्वच्छता पदाधिकारी गुलाम रब्बानी ने बताया कि एमआरएफ सेंटर स्थापित करने के लिए पूर्व में डीपीआर तैयार कर विभाग को भेजा गया था. लेकिन विभाग से कुछ बिंदुओं पर गार्डड लाइन जारी करते हुए डीपीआर लौटा दिया गया. जिसमें सेंटर लगाने के लिए एरिया चिह्नित करने सहित अन्य बिंदुओं पर निर्देश है. वर्तमान समय में डीपीआर तैयार किया जा रहा है. जिसे विभाग को पुन: स्वीकृति के लिए भेजा जायेगा.

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कहते हैं परेशान क्षेत्रवासी

नगर निगम ने डंपिंग यार्ड घनी आबादी के बीच स्थापित किया है. जहां खुले आकाश के नीचे कचरा का पहाड़ खड़ा है. क्योंकि कचरा प्रबंधन का कोई व्यवस्था नहीं है. इसके आस-पास रहने वाले लोग कई तरह की बीमारी के शिकार हो रहे है. इसे अविलंब यहां से हटाना चाहिए.

सितारा बेगम, स्थानीय महिला

डंपिंग यार्ड के कारण यहां नीचे का पानी दूषित हो गया है. जो पीने योग्य नहीं है. इसके आस-पास बसे गांवों के लोगों के लिए पानी एक बड़ी समस्या बन गयी है. बोतल बंद पानी खरीद कर पीना पड़ रहा है. जो गरीबों के बस की बात नहीं है.

कैसर, स्थानीय महिला

डंपिंग यार्ड में लगे कचरों के ढेर से निकलने वाली दुर्गंध और धूल गांवा वालों के साथ ही इधर से गुरजने वालों को लोगों को परेशान कर रही है. बारिश के दिनों में परेशानी काफी बढ़ जाती है. घनी आबादी से कचरा का स्थान नगर निगम को परिवर्तित करना चाहिए.

मसूदा खातून, स्थानीय महिला

कचरा के ढेर में साल में एक-दो बार आग जरूर लग जाती है. कचरों में जमा प्लास्टिक जब जलता है तो उससे निकलने वाला विषैला धुंआ से हमलोग परेशान हो जाते हैं. जब तक आग पर काबू पाया जाता है, तब तक कई लोग बीमार होकर अस्पताल पहुंच जाते है.

सुशीला देवी, स्थानीय महिला

कचरों से उठ रहे दुर्गंध से बचने के लिए लोगों को नाक पर रूमाल रख कर गांव में घूमना पड़ता है. जबकि मच्छरों का आंतक खास कर गर्मी में काफी परेशान करता है. डंपिंग यार्ड से प्लास्टिक की थैली उड़ कर घरों तक आ जाती है.

इशरत बानो, स्थानीय महिला

नगर निगम की गाड़ी जब कचरा लेकर डंपिंग यार्ड आती है तो कचरा रास्ते में गिरता जाता है. क्योंकि कचरा की ढुलाई खुले में गाड़ी से किया जाता है. जिसको स्थानीय लोगों विरोध भी करते है. लेकिन पुलिस का भय दिखाया जाता है.

मो. छोटू, स्थानीय युवक

चुरंबा स्थित डंपिंग यार्ड में कचरा का पहाड़ लगा हुआ है. कचरा निष्पादन की कोई व्यवस्था नहीं रहने के कारण उसमें आग लगा कर निगम के कर्मी कचरा को कम करने का प्रयास करते है. कचरा में आग लगने पर आस-पास के आधे दर्जन गांवों में रहने वाले लोगों को काफी परेशानी होती है.

मो. इजाज, स्थानीय लोग

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