मुंगेर. जामिया रहमानी खानकाह का दो दिवसीय सालाना फातिहा रविवार को विशेष दुआ के साथ संपन्न हो गया. इस दौरान 27 उलेमा, 48 हाफ़िज़-ए-क़ुरान व पत्रकारिता विभाग के छह छात्रों को दस्तार व प्रमाण पत्र दिया गया. साथ ही, हर उम्र के लोगों ने अपनी गलतियों का इजहार करते हुए अल्लाह पाक से माफी की दुआ मांगी. दोपहर 10:30 बजे इमारत-ए-शरिया के अमीर हजरत मौलाना अहमद वली फैसल रहमानी की सदारत में देश व समाज की तरक्की, मिल्लत की भलाई तथा भाईचारे को मजबूत करने के लिए दुआ मांगी गयी. इस दौरान लोगों को जहां जगह मिली, लोग वहीं बैठकर दुआ में शामिल हो गये. हज़रत मौलाना अहमद वली फ़ैसल रहमानी ने कहा कि वक्फ संशोधन बिल को लोकतांत्रिक मूल्यों के विरुद्ध है. इसे किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं किया जायेगा और इसकी वापसी तक आंदोलन जारी रहेगा. इस दैरान उलमा ने जामिआ की सेवाओं, एकता, इल्म-ए-दीन, शोध, साहित्य, विभागीय प्रगति और छात्रों की गतिविधियों पर चर्चा की.
सौगात लेकर लोगों ने की खरीदारी
फातिहा में शामिल होने विभिन्न राज्यों से पहुंचे हजारों लोगों ने इस दौरान जमकर खरीदारी की. खानकाह के समीप लाछा पराठा, हलुवा, लखनवी मिठाइयों, रुमाली पराठा, गर्म कपड़ों, जैकेट और कंबल की सैकड़ों दुकानें सजी थीं. लोगों ने अपने परिजनों के लिए उपहार खरीदे और अपने घरों की ओर लौट गये. इस दौरान पूरे क्षेत्र में मेले जैसा माहौल बना रहा.
78 छात्रों को बांधी गयी दस्तार
शनिवार की शाम मगरिब की नमाज के बाद आयोजित दस्तारबंदी समारोह का आयोजन किया गया. जिसमें जामिया रहमानी से शिक्षा पूरी करने वाले 78 हाफिज और आलिम छात्रों को पगड़ी बांधकर सम्मानित किया गया. कार्यक्रम की सदारत इमारत-ए-शरिया के अमीर मौलाना अहमद वली फैसल रहमानी ने की. दो दिवसीय सालाना जलसा में इस बार एक लाख से अधिक अकीदतमंदों पहुंचे थे. जिसमें बिहार के अलावे उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, झारखंड, बंगाल, लखनऊ, नेपाल और कई अन्य राज्यों से बड़ी संख्या में लोग पहुंचे.
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