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सरकारी एंबुलेस का हड़ताल, प्राइवेट एंबुलेंस वसूल रहे मरीजों से मनमाना भाड़ा

गंभीर मरीजों को उनके परिजन मजबूरी में दोगुणे रूपये देकर निजी एंबुलेंस से पटना या भागलपुर के हायर सेंटर में इलाज कराने ले जा रहे हैं.

– 102 एंबुलेंस चालकों की हड़ताल ने बढ़ायी मरीजों की परेशानी, स्वास्थ्य विभाग व एजेंसी मौन

मुंगेर

अपने मांगों को लेकर स्वास्थ्य विभाग के 102 एंबुलेंस चालक और ईएमटी 10 सितंबर से ही हड़ताल पर हैं. वहीं अब हड़ताल के कारण मरीजों के लिये मुश्किलें काफी बढ़ गयी है. हाल यह है कि गंभीर मरीजों को उनके परिजन मजबूरी में दोगुणे रूपये देकर निजी एंबुलेंस से पटना या भागलपुर के हायर सेंटर में इलाज कराने ले जा रहे हैं. जबकि आर्थिक बोझ के बीच गरीबों को सरकारी एंबुलेंस नहीं मिलने से उनके लिये इलाज कराना मुश्किल हो गया है. वहीं इस सब के बीच स्वास्थ्य विभाग और एंबुलेंस संचालन एजेंसी मरीजों के लिये वैकल्पिक व्यवस्था करने की जगह पूरी तरह मौन बनी है.

निजी एंबुलेंस ले रहे मनमाना भाड़ा, मरीजों पर आर्थिक बोझ

मुंगेर सदर अस्पताल में आसपास के जिले लखीसराय, खगड़िया, बेगूसराय आदि के मरीज भी इलाज के लिये आते हैं. इसमें कई गंभीर मरीज ऐसे भी होते हैं, जिन्हें बेहतर इलाज के लिये हायर सेंटर रेफर किया जाता है, लेकिन पिछले 5 दिनों से चल रहे 102 एंबुलेंस चालकों की हड़ताल के कारण ऐसे मरीजों के लिये मुश्किलें बढ़ गयी है. जबकि इसका फायदा निजी एंबुलेंस चालक उठाने लगे हैं. हाल यह है कि जहां पटना जाने के लिये निजी एंबुलेंस के लिये मरीजों को 5 हजार तक देना पड़ता था. वहीं अब मजबूरी का फायदा उठाकर एंबुलेंस चालक 8 से 10 हजार रूपये पटना जाने का भाड़ा वसूल रहे हैं. ऐसे में संपन्न परिवर के लोग तो किसी प्रकार अपने परिजनों को लेकर पटना या भागलपुर चले जा रहे हैं, लेकिन गरीब परिवारों के लिये अपना इलाज हायर सेंटर में कराना मुसीबत बन गया है.

सरकारी एंबुलेंस बनी शोभा, निजी एंबुलेंस उठा रहे फायदा

वैसे तो स्वास्थ्य विभाग द्वारा कई बार सदर अस्पताल में निजी एंबुलेंस पर प्रवेश को लेकर पूरी तरह रोक लगा चुका है. इसके लिये वर्तमान सिविल सर्जन डॉ रामप्रवेश द्वारा अस्पताल गेट के दोनों ओर पीली रेखा भी खींची गयी थी. जिसके अंदर निजी एंबुलेंस का प्रवेश वर्जित था, लेकिन 102 एंबुलेंस के हड़ताल ने अस्पताल के सभी नियमों को तोड़ दिया है. हाल यह है कि हड़ताल के कारण सदर अस्पताल में अत्याधुनिक एंबुलेंस शोभा की वस्तु बनी है. जबकि निजी एंबुलेंस आराम से मनमाने भाड़े पर मरीजों को पटना या भागलपुर ले जा रहे हैं. हद तो यह है कि इन निजी एंबुलेंस में न तो मानक अनुरूप सुविधाएं होती है और न ही इनका परिचालक नियमानुसार होता है.

स्वास्थ्य विभाग व एजेंसी मौन

एक ओर जहां 102 एंबुलेंस हड़ताल के कारण मरीजों के लिये मुसीबत बढ़ गयी है. वहीं स्वास्थ्य विभाग और 102 एंबुलेंस एजेंसी इसे लेकर पूरी तरह मौन बना हुआ है. बता दें कि हड़ताल को लेकर तीन दिन पूर्व ही 102 एबुलेंस एजेंसी को स्वास्थ्य विभाग द्वारा पत्र देकर न केवल हड़ताल एंबुलेंस चालकों से चाभी लेने का निर्देश दिया गया है, वहीं वैकल्पिक रूप से एंबुलेंस व्यवस्था आरंभ करने का निर्देश भी दिया गया है लेकिन हड़ताल के पांच दिन बाद भी अबतक सदर अस्पताल में मरीजों के लिये एंबुलेंस की व्यवस्था नहीं हो पायी है.

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एंबुलेंस के लिये परेशान रहे मरीज

मुंगेर – रविवार को सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में कई मरीज एंबुलेंस नहीं मिलने के कारण परेशान रहे. रविवार को मुर्गीयाचक निवासी 53 वर्षीय सजिदा खातून को परिजन सीने में दर्द की शिकायत पर लेकर पहुंचे. जिसे हायर सेंटर रेफर किया गया, लेकिन 102 एंबुलेंस नहीं मिलने और निजी एंबुलेंस द्वारा अधिक भाड़ा मांगे जाने के कारण परिजन उसे लेकर घर चले गये. इसके अतिरिक्त छोटी मिर्जापुर निवासी 40 वर्षीय संध्या कुमारी को ब्रेन हैमरेज के बाद परिजनों द्वारा इमरजेंसी वार्ड लाया गया. जहां सरकारी एंबुलेंस नहीं मिलने के कारण उसके परिजनों को अस्पताल में ही भर्ती कराना पड़ा.

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