मुंगेर. मुंगेर रेलवे स्टेशन भारतीय रेल का एक ऐसा स्टेशन है, जहां रेल यात्रियों को मूलभूत सुविधा तक नहीं मिल रही है. हालात यह है कि शौच लगने पर स्टेशन से लेकर प्लेटफॉर्म तक यात्रियों को दौड़ लगानी पड़ती है. पेशाबघर होने के बावजूद स्टेशन व प्लेटफॉर्म पर लोग खुले में मूत्र त्याग करते हैं, क्योंकि शौचालय व पेशाबघर इतनी गंदी है कि यह भारतीय रेल के स्वच्छता अभियान की धज्जियां उड़ा रही है.
मुंगेर रेलवे स्टेशन पर यात्री सुविधाओं का घोर अभाव है. जिसमें शौचालय की समस्या सबसे विकराल है. कहने को तो स्टेशन पर वेटिंग हॉल में शौच की व्यवस्था है. लेकिन उसमें ताला लगा रहता है. जबकि दोनों प्लेटफॉर्म पर एक भी शौचालय नहीं है. स्टेशन परिसर और उसके बाहर भी शौचालय की कोई व्यवस्था नहीं है. जिसके कारण रेल यात्रियों को शौच लगने पर दौड़ लगानी पड़ती है. इस व्यवस्था से महिला यात्री काफी परेशानी है. दोनों प्लेटफॉर्म पर पेशाब घर बना हुआ है. लेकिन उसमें गंदगी इस कदर व्याप्त है कि लोग खुले में शौच करने को विवश हैं. महिलाओं को तो इसके लिए भी ओठ खोजनी पड़ती है और ओठ नहीं मिलने पर शर्म को त्यागना पड़ता है.प्याऊ की नहीं होती सफाई, गंदगी के बीच पीते हैं पानी
स्टेशन से लेकर प्लेटफॉर्म तक पानी की दिक्कत नहीं है. स्टेशन पर दो-दो प्याऊ बना हुआ है. जबकि एक वाटर चीलर भी लगा हुआ है. जबकि प्लेटफॉर्म संख्या-1 पर दो वाटर चीलर व प्याऊ है, सभी चालू हालत में हैं. लेकिन इसकी नियमित सफाई नहीं होती है. जिसके कारण प्याऊ पर कजली जमा हो गयी और वह काफी गंदा रहता है. गंदगी के बीच प्याऊ व वाटर चीलर से मजबूरी में प्यास बुझाने के लिए लोग इससे पानी पीते हैं.एक सफाईकर्मी के भरोसे मुंगेर स्टेशन
मुंगेर रेलवे स्टेशन व प्लेटफॉर्म पर स्वच्छता का घोर अभाव है और चारों ओर गंदगी का साम्राज्य व्याप्त है. आखिर गंदगी रहे भी क्यों नहीं, यहां तो मात्र एक सफाईकर्मी के भरोसे स्टेशन, स्टेशन परिसर, स्टेशन पर बने कक्ष, दो-दो प्लेटफॉर्म के सफाई करने की जिम्मेदारी है. गौर करने वाली बात यह है कि यहां रेलवे की ओर से सफाईकर्मी की नियुक्ति नहीं की गयी. निजी स्तर पर एक सफाईकर्मी को रखा गया है. अकेला वह बेचारा क्या-क्या करे. जिसके कारण सफाई बदहाल है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है