महिला रेलकर्मियों व दिव्यांग यात्रियों के लिए अलग से यूरिनल व टॉयलेट की नहीं है कोई व्यवस्था
जमालपुर. जमालपुर रेलवे स्टेशन पूर्व रेलवे मालदा रेल मंडल का ग्रेड ए का रेलवे स्टेशन है. रेल इंजन कारखाना जमालपुर और भारतीय रेल यांत्रिक एवं विद्युत अभियंत्रण संस्थान (ईरिमी) को लेकर जमालपुर रेलवे स्टेशन का भारतीय रेल में एक जाना पहचाना नाम है. बावजूद इस रेलवे स्टेशन पर कई मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. यहां महिला रेलकर्मियों की प्रति नियुक्ति के बावजूद उनके लिए न तो चेंजिंग रूम है और न ही सेपरेट टॉयलेट या यूरिनल की व्यवस्था. और तो और दिव्यांग रेल यात्रियों के लिए भी यहां मूलभूत सुविधाओं का अभाव बना हुआ है.लगभग दो दर्जन से अधिक महिला रेलकर्मियों की है प्रतिनियुक्ति
जमालपुर रेलवे स्टेशन पर विभिन्न कोटियों की लगभग दो दर्जन से अधिक महिलाओं की प्रतिनियुक्ति है. इनमें से कुछ महिलाएं पोर्टर का काम करती है तो कुछ महिलाओं की ड्यूटी पूछताछ या सहयोग केंद्र पर लगाई जाती है. वहीं कुछ महिलाएं टिकट काउंटर पर ड्यूटी करती है. परंतु इन महिलाओं के लिए चेंजिंग रूम, सेपरेट टॉयलेट या यूरिनल की सुविधा नहीं है. जमालपुर रेलवे स्टेशन पर लगभग 33 करोड़ की लागत से अमृत भारत स्टेशन योजना का काम जारी है. पहले चरण का काम पूर्ण होने की स्थिति में है तो दूसरे चरण के काम के लिए मुख्यालय से हरी झंडी मिलने का इंतजार है. परंतु इस 33 करोड़ के खर्च में महिला रेलकर्मियों की सुविधा के प्रति कोई विशेष प्रावधान नहीं किया गया है. वास्तविकता यह है कि जब महिला रेलकर्मियों को नेचुरल कॉल की आवश्यकता पड़ती है तो वह लोग अपनी कुर्सी छोड़कर फर्स्ट क्लास महिला वेटिंग रूम जाने को विवश हो जाती है. ऐसे में चेयर छोड़ देने पर कभी-कभी इन महिला कर्मचारियों के लिए असहज स्थिति उत्पन्न हो जाती है और रेल यात्रियों के कोपभाजन का शिकार भी बनना पड़ता है.मुख्यालय के अधिकारी इस ओर नहीं देते हैं ध्यान
जमालपुर होकर लगभग तीन दर्जन जोड़ी ट्रेनों का परिचालन होता है. जिसमें प्रतिदिन दर्जन की संख्या में दिव्यांग रेलयात्री इन ट्रेनों से यात्रा करते हैं. परंतु दिव्यांग रेल यात्रियों को स्टेशन पर किन परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इससे मुख्यालय के अधिकारियों को कोई लेना-देना नहीं है. जमालपुर रेलवे स्टेशन पर दिव्यांगजनों के लिए केवल एक सुविधा दी गयी है और वह सुविधा है पीने के पानी की. जबकि भागलपुर एंड में प्लेटफार्म संख्या एक पर दिव्यांगजनों के लिए एक टॉयलेट है. परंतु प्लेटफार्म संख्या दो और तीन पर इस प्रकार की कोई सुविधा नहीं है, जबकि अक्सर पश्चिम की ओर जाने वाली ट्रेनों को प्लेटफार्म संख्या दो और तीन पर ही लिया जाता है. ऐसी स्थिति में दिव्यांगों के लिए पीने के पानी तक की व्यवस्था नहीं है और न ही शौच की. लेकिन हाल ही में एक सामान्य शौचालय का निर्माण किया गया है. परंतु अक्सर यह शौचालय इतना गंदा रहता है कि वहां जाना रेल यात्री पसंद नहीं करते हैं. वहीं जमालपुर के स्टेशन प्रबंधक दीपक कुमार ने बताया कि महिला रेलकर्मियों के लिए स्टेशन पर अलग से टॉयलेट और यूरिनल की व्यवस्था नहीं है.जुबली वेल से स्टेशन गेट तक सड़क चौड़ीकरण की है आवश्यकता
मुंगेर. रेलवे के क्षेत्राधिकार वाला जुबली वेल रोड सदियों पुरानी है. स्टेशन के मुख्य प्रवेश द्वार से जुबली वेल तक प्रतिदिन जाम की स्थिति बनी रहती है. क्योंकि सड़क की चौड़ाई कम है और वाहनों की संख्या आधुनिक युग में, पहले के वनस्पत 100 गुना ज्यादा हो गयी है. ऐसे में जब कोई ट्रेन आती है, तब की स्थिति और भी भयावह बन जाती है. हाल यह हो जाता है कि जाम में फंसकर कई रेल यात्रियों की ट्रेन छूट जाती है तो कई रेल यात्री दौड़ कर अपनी ट्रेन पकड़ते हैं. ऐसी स्थिति में महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. जानकार बताते हैं कि इस समस्या के समाधान का एक मात्र विकल्प है स्टेशन के प्रमुख प्रवेश द्वार से जुबली वेल चौक तक सड़क का चौड़ीकरण.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

