मुंगेर. जिले में गर्मी के दस्तक देने के साथ ही पारा 36 से 37 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है. हाल यह है कि चैत माह में ही लोगों को वैशाख जैसी गर्मी का एहसास होने लगा है. इसके कारण सदर अस्पताल में दस्त व डायरिया के मरीजों की संख्या भी बढ़ने लगी है, लेकिन अस्पताल में दस्त व डायरिया के मरीजों के लिए आइसोलेशन वार्ड के नाम पर खुला बरामदा ही नसीब हो रहा है. जबकि धूप और गर्म हवा के बीच छत पर लगा पंखा ही एक मात्र सहारा है. बदहाली यह है चिकित्सकों के भी वार्ड में नियमित राउंड नहीं होने से दस्त व डायरिया के मरीज केवल स्लाइन चढ़वाकर घर जा रहे हैं.
अप्रैल के मात्र दो दिनों में ही दस्त व डायरिया के आये कुल 24 मरीज इलाज
चैत माह में ही गर्मी ने अपना रौद्र रूप देखना शुरू कर दिया है. इसके कारण अस्पताल में दस्त व डायरिया के मरीजों की संख्या भी बढ़ने लगी है. फरवरी माह में दस्त व डायरिया के कुल 167 मरीज इलाज के लिए भर्ती हुये. वहीं मार्च में दस्त व डायरिया के कुल 235 मरीज भर्ती हुये. जबकि अप्रैल माह के मात्र दो दिनों में ही दस्त व डायरिया के कुल 24 मरीज इलाज के लिए भर्ती हो गये हैं. अब अगर अस्पताल में लामा के मामले देखें, तो फरवरी माह में जहां 60 मरीज लामा हो गये. वहीं मार्च में लामा की संख्या बढ़कर 98 हो गयी.आइसोलेशन वार्ड में पंखे के सहारे मरीज
वैसे तो सदर अस्पताल के पुरुष वार्ड में साल 2019 तक आइसोलेशन वार्ड संचालित था, लेकिन अब वहां सीटी स्कैन सेंटर संचालित हो रहा है. जबकि सदर अस्पताल में मरीजों के लिए आइसोलेशन वार्ड के नाम पर पिछले 5 सालों से पुरुष और महिला वार्ड का खुला बरामदा ही है. जहां दस्त व डायरिया के मरीजों को भर्ती किया जा रहा है. हद हो यह है कि 35 से 36 डिग्री तापमान के बीच सदर अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में मरीजों के लिए गर्मी से बचने का एकमात्र उपाय छत पर लगा पंखा ही है,जो धूप और गर्म हवा के बीच गर्मी से राहत दिलाने के लिए पर्याप्त नहीं है.चिकित्सकों का नियमित राउंड नहीं होने से भर्ती होने से कतरा रहे मरीज
एक तो खुले बरामदे पर गर्मी और धूप के बीच इलाज और उसमें भी चिकित्सकों का नियमित राउंड नहीं होने से सदर अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले अधिकांश मरीज वार्डों मे भर्ती होने से कतरा रहे हैं. सबसे बुरा हाल तो पुरुष वार्ड और इसके बरामदे पर चलने वाले आइसोलेशन वार्ड की है. जहां भर्ती मरीजों को आवश्यकता पड़ने पर खुद चलकर इमरजेंसी वार्ड जाना पड़ता है, क्योंकि इन वार्डों में चिकित्सकों का नियमित राउंड नहीं हो रहा है. अब ऐसे में सदर अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले मरीज भर्ती होने से कतरा रहे हैं.कहते हैं अस्पताल उपाधीक्षक
सदर अस्पताल उपाधीक्षक डाॅ रमन कुमार ने बताया कि अबतक मॉडल अस्पताल हैंडओवर नहीं हो पाया है. इसके कारण परेशानी हो रही है. वहीं उनके द्वारा खुद अपने स्तर से भी वार्डों का राउंड किया जा रहा है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है