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मुंगेर में बिना वेंटिलेटर के चल रहा सदर अस्पताल का आइसीयू, पीकू वार्ड में धूल फांक रहा करोड़ों का उपकरण

Bihar News: लगभग 20 लाख की जनसंख्या वाले मुंगेर जिले में कैसा सदर अस्पताल संचालित हो रहा है, यह अब यहां की व्यवस्थाओं को देख कर समझा जा सकता है. यहां 32 करोड़ की लागत से बने मॉडल अस्पताल का उद्घाटन मुख्यमंत्री के हाथों हुए तीन माह बीत चुका है. पर, अबतक छह बेड का आइसीयू पुराने भवन में बिना वेंटिलेटर के चल रहा है, जबकि करोड़ों रुपये के 10 वेंटिलेटर बिना उपयोगिता के पीकू वार्ड में धूल फांक रहे हैं. हद तो यह है कि सदर अस्पताल के आइसीयू में कॉर्डियेक मॉनीटर के भरोसे ही मरीज हैं, जो सुविधाओं के अभाव में जान गंवा रहे हैं.

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अमित झा/ Bihar News: मुंगेर. मॉडल अस्पताल के दूसरे फ्लोर पर हाईटेक आइसीयू बना है. पांच फरवरी को ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 32 करोड़ की लगात से 100 बेड के मॉडल अस्पताल का उद्घाटन किया था. इसके दूसरे तल पर हाईटेक आइसीयू भी बनाया गया है, लेकिन उद्घाटन के तीन माह बाद भी अबतक मॉडल अस्पताल में केवल इमरजेंसी वार्ड शुरू हो पाया है. आइसीयू जैसा महत्वपूर्ण वार्ड अबतक सदर अस्पताल के पुराने भवन में ही चल रहा है, जहां सुविधाओं का घोर अभाव है.

गंभीर मरीजों को नहीं मिल रहा लाभ

सदर अस्पताल में वैसे तो कहने के लिए अति गंभीर मरीजों को बेहतर सुविधा देने को लेकर छह बेड का आइसीयू संचालित हो रहा है, लेकिन मुंगेर सदर अस्पताल का आइसीयू सालों से सबसे महत्वपूर्ण उपकरण वेंटिलेटर के बिना ही चल रहा है. अब ऐसे में यहां भर्ती होने वाले अति गंभीर मरीजों को मिलने वाली स्वास्थ्य सुविधाओं का अंदाजा लगाया जा सकता है. बता दें कि किसी भी आइसीयू के लिए वेंटिलेटर का होना सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होता है, जो अति गंभीर मरीजों के लिए लाइफ सपोर्ट होता है.

पीकू वार्ड में धूल फांक रहे करोड़ों के वेंटिलेटर

ऐसा नहीं है कि सदर अस्पताल के पास वेंटिलेटर नहीं है. अस्पताल के पास 10 वेंटिलेटर हैं, जो फरवरी माह से ही 32 करोड़ की लागत से बने पीकू वार्ड में धूल फांक रहे हैं. बता दें कि 16 फरवरी को पीकू वार्ड का उदघाटन होने के पूर्व अस्पताल प्रबंधन द्वारा यहां सभी 10 वेंटिलेटर लगाये गये थे, जो अबतक मरीजों के लिए उपयोग नहीं हो पा रहे हैं. हद तो यह है कि कोरोना काल के दौरान अस्पताल के कुछ स्वास्थ्य कर्मियों को वेंटिलेटर चलाने का प्रशिक्षण दिया गया था, लेकिन सालों बाद अब अस्पताल के स्वास्थ्य कर्मी वेंटिलेटर ऑपरेट करने की जानकारी नहीं होने की बात कह अपना पल्ला झाड़ रहे हैं.

सुविधाओं के अभाव में जान गंवा रहे मरीज

एक ओर जहां करोड़ों के मॉडल अस्पताल में बना आइसीयू अबतक हैंडओवर के पेच में फंसा है, वहीं पुराने आइसीयू में बिना सुविधा के मरीज अपनी जान गंवा रहे हैं. हद तो यह है कि सदर अस्पताल में वेंटिलेशन की जगह मरीजों को केवल कॉर्डियक मॉनीटर के भरोसे ही भर्ती किया जा रहा है. जिसे भी चलाना यहां के स्वास्थ्य कर्मियों को नहीं आता है. बता दें कि एक मई को अस्पताल के आइसीयू वार्ड में 60 वर्षीय भुवनेश्वर साव की मौत हो गयी थी. कॉर्डियेक मॉनीटर पर काफी देर तक कोई रीडिंग नहीं आ रही थी. परिजनों द्वारा इसकी जानकारी देने के बावजूद परिचारिका ने इमरजेंसी से कर्मी को बुलाने के लिए परिजनों को भेज दिया था. हद तो यह है कि इस दौरान वार्ड में भर्ती एक मरीज को ऑक्सीजन लगाने के लिए भी परिचारिका को ऑक्सीजन कंसंट्रेटर चलाने की जानकारी नहीं थी.

आइसीयू को किया जाएगा शिफ्ट : सीएस

सिविल सर्जन डॉ विनोद कुमार सिन्हा ने बताया कि मॉडल अस्पताल में कुछ कार्य शेष है, जिसे पूरा होने के बाद हैंडओवर लिया जायेगा. यहां आइसीयू को शिफ्ट किया जायेगा. वेंटिलेटर संचालन के लिए स्वास्थ्य कर्मियों को ट्र्रेनिंग भी दी जाएगी.

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