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साधना का मूल उद्देश्य साधक को पशुता से देवत्व की ओर ले जाना : पुरोधा प्रमुख

प्रकृति की गोद में बसे आध्यात्मिक केंद्र आनंद संभूति मास्टर यूनिट अमझर कोल काली मैदान में चल रहे आनंद मार्ग का 32वां विश्व स्तरीय धर्म महासम्मेलन रविवार की देर रात्रि तक चलता रहा.

देर रात तक चलता रहा आनंदमार्ग धर्म महासम्मेलन का रात्रि कालीन सत्र

जमालपुर. प्रकृति की गोद में बसे आध्यात्मिक केंद्र आनंद संभूति मास्टर यूनिट अमझर कोल काली मैदान में चल रहे आनंद मार्ग का 32वां विश्व स्तरीय धर्म महासम्मेलन रविवार की देर रात्रि तक चलता रहा. जिसके साथ ही तीन दिवसीय धर्म महासम्मेलन का समापन हो गया. रविवार को दूर-दराज के गृहस्थ भी धर्म महासम्मेलन में शामिल हुए. इस दौरान कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. साथ ही भुक्ति प्रधान के साथ बैठक कर आगे आने वाले वर्षों की रणनीति तैयार की गई. इधर छह मार्च से चल रहे बाबा नाम केवलम कीर्तन का समापन हो गया.

वैष्णवी साधना की चरम अवस्था ही शैव साधना

आनंद मार्ग प्रचारक संघ के पुरोधा प्रमुख आचार्य विश्व देवानंद अवधूत ने आध्यात्मिक उन्नति और तंत्र साधना की महत्ता पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि साधना का मूल उद्देश्य मनुष्य को पशुता से उठाकर देवत्व की ओर ले जाना है. यह क्रम उन्नति तंत्र के माध्यम से ही संभव है. उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रारंभिक अवस्था में प्रत्येक जीव पशु प्रवृत्ति से युक्त होता है, लेकिन उचित साधन, अनुशासन और आध्यात्मिक अभ्यास से मनुष्य वीरता प्राप्त करता है और अंततः दिव्यता को प्राप्त करता है. इस यात्रा में उपास्य देवता भी उसके आध्यात्मिक स्तर के अनुसार परिवर्तित होते हैं. प्रारंभ में वह पशुपति की आराधना करता है वीरता की अवस्था में वीरेश्वर को पूजता है. जब वह दिव्या अवस्था को प्राप्त करता है, तब उसका ईस्ट महादेव बन जाते हैं. उन्होंने कहा कि वैष्णवी साधना की चरम अवस्था को सब साधना कहा जाता है. साधना का वास्तविक स्वरूप केवल वही आडंबर नहीं, बल्कि परम पुरुष की प्राप्ति के प्रति गहन प्रेम और समर्पण है. जो इस महान साधना और त्याग के पद पर आगे बढ़ रहे हैं. वह देव मानवों की संख्या बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं. यह विश्व को एक नयी दिशा देने का मार्ग है.

अनन्य भाव का कीर्तन है बाबा नाम केवलम

छह मार्च से चल रहे बाबा नाम केवलम अखंड कीर्तन 72 घंटे पूरे होने के बाद रविवार को संपन्न हुआ. सेवा धर्म मिशन के विश्व स्तरीय सचिव आचार्य मंत्र जापानंद अवधूत ने कहा कि ईश्वर की प्राप्ति के सुगम साधन कीर्तन है. कीर्तन भक्ति और ज्ञान का अद्वितीय माध्यम है. जिसके माध्यम से एक व्यक्ति ईश्वर के साथ गहरा संवाद स्थापित कर सकता है. कीर्तन की शक्ति व्यक्ति को अविरल ध्यान, स्थिरता और आनंद की अनुभूति देता है. यह एक अद्वितीय विधि है. जो हमें मन शरीर और आत्मा के संगम के अनुभव को आदर्श दर्शाती है. कीर्तन से हम अपने मन को संयमित कर सकते हैं और इंद्रियों के विषयों के प्रति वैराग्य की प्राप्ति कर सकते हैं. यह हमारे जीवन को धार्मिक और आध्यात्मिक महत्वपूर्णता के साथ भर देता है. उन्होंने कहा कि कीर्तन एक उच्चतम और श्रेष्ठतम भावनात्मक अभ्यास है. जो हमें अशांति तनाव और चिंता से मुक्ति दिलाता है. कीर्तन एक साधन है. जो हमें समाज के बंधनों से मुक्त करती है और हमारी एटमी के एवं मानसिक स्वतंत्रता का अनुभव करती है. यह हमें प्रेम सहानुभूति और एकाग्रता की अनुभूति कराता है जो हमारे जीवन को सुखी और समृद्धि बनता है.

आगामी तीन वर्षों के लिए सशक्त व दूरदर्शी लक्ष्य निर्धारित

जमालपुर. आनंद मार्ग प्रचारक संघ के नवनिर्वाचित भुक्ति प्रधान ने आने वाले तीन वर्षों के लिए एक सशक्त एवं दूरदर्शी लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसका आधार सेवा एवं धर्म प्रचार होगा. यह लक्ष्य समाज के सर्वांगीण विकास को समर्पित है. इसके तहत शिक्षा, स्कूल, छात्रावास, शिशु सदन, प्राण अर्थात आपदा राहत एवं कल्याण से जुड़े प्रखंड स्तरीय कार्यक्रमों को प्राथमिकता दी जाएगी. इसका निर्णय नवनिर्वाचित भुक्ति प्रधान की बैठक में लिया गया. अध्यक्षता जीएस दादा आचार्य अभिरामानंद अवधूत ने की. उन्होंने बताया कि इन कार्यक्रमों के माध्यम से जनकल्याण को सुदृढ़ किया जाएगा. जिससे समाज में आत्मनिर्भरता नैतिक मूल्यों एवं आध्यात्मिक चेतना का विस्तार होगा. यह योजना न केवल व्यक्ति के सर्वांगीण उत्थान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा, बल्कि संपूर्ण समाज को प्रेम सेवा और सद्भाव के पथ पर अग्रसर करने में सहायक सिद्ध होगा. मौके पर आचार्य मधुवृतानंद अवधूत, आचार्य प्रणवेशानंद अवधूत, आचार्य कल्याण मित्रानंद अवधूत, आचार्य शुभनिर्यासानंद अवधूत, आचार्य सिद्धेश्वर आनंद अवधूत, अवधुतीका आनंद, दानव्रता आचार्या, अवधुतीका आनंद मधुरिमा आचार्या, आचार्य सत्यश्रयानंद अवधूत मौजूद थे.

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Prabhat Khabar News Desk
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