चिंताजनक . शहर का बड़ा तबका खुले में शौच को है मजबूर
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मुंगेर में स्वच्छता मिशन अभियान बदहाल
चिंताजनक . शहर का बड़ा तबका खुले में शौच को है मजबूर मुंगेर शहर को खुले में शौच मुक्त बनाने की योजना नगर निगम की बदहाल व्यवस्था के कारण फिसड्डी साबित हो रही है. आज भी शहर का एक बड़ा तबका खुले में शौच करने को विवश है. मुंगेर : स्वच्छ भारत मिशन के तहत […]
मुंगेर शहर को खुले में शौच मुक्त बनाने की योजना नगर निगम की बदहाल व्यवस्था के कारण फिसड्डी साबित हो रही है. आज भी शहर का एक बड़ा तबका खुले में शौच करने को विवश है.
मुंगेर : स्वच्छ भारत मिशन के तहत शहरी क्षेत्र में शौचालय निर्माण की योजना गति नहीं पकड़ पा रही. गत वित्तीय वर्ष 2015-16 में नगर निगम क्षेत्र में कुल 922 शौचालय बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था. किंतु वित्तीय वर्ष के अंत तक महज 90 शौचालय निर्माण का कार्यादेश दिया गया. बदहाली का आलम यह है कि चालू वित्तीय वर्ष 2016-17 में शौचालय निर्माण के लिए 1844 का लक्ष्य निर्धारित है. जिसकी प्रक्रिया अबतक प्रारंभ भी नहीं हुई है.
खुले में शौच सभ्य समाज के लिए शर्म की बात है. सरकार से लेकर आम जनता तक की मंशा है कि हर घर शौचालय हो. सरकार ने नारा दिया कि ” बेटी दो उस घर में शौचालय हो जिस घर में, बहु-बेटियां दूर न जायें, घर में ही शौचालय बनायें ”. इस प्रकार के नारों से लोगों में शौचालय निर्माण के प्रति जागरूकता बढ़ी समाज के हर वर्ग के लोग अपने घरों में शौचालय बनाना चाहने लगे. लेकिन अधिकारियों व कर्मियों की बदहाली से इस योजना की स्थिति काफी गंभीर है.
50 प्रतिशत को भी नहीं मिला कार्यादेश
गांव तो दूर शहरी क्षेत्र में शौचालय निर्माण के प्रति अधिकारी व कर्मचारी कितने गंभीर हैं इसका जीता जागता उदाहरण है नगर निगम मुंगेर. गत वित्तीय वर्ष में इस निगम क्षेत्र के 45 वार्ड में कुल 922 शौचालय निर्माण का लक्ष्य निर्धारित किया गया था. लेकिन समुचित जानकारी व
प्रचार प्रसार के अभाव में मात्र 800 शौचालय विहीन लोगों ने आवेदन दिया. किंतु 31 मार्च तक मात्र 90 लोगों को शौचालय निर्माण का कार्यादेश मिला. अर्थात लक्ष्य के विरुद्ध दस प्रतिशत लोग भी शौचालय नहीं बना पाये. अब जबकि चालू वित्तीय वर्ष के दो माह गुजर गये तो जून के प्रथम सप्ताह में गत वर्ष के लक्ष्य के विरुद्ध 450 आवेदकों को शौचालय बनाने का आदेश दिया गया है.
तीन प्रकार के बनेंगे शौचालय
इस योजना के तहत तीन प्रकार के शौचालय बनाये जाने हैं. सबसे पहले उन लोगों को प्राथमिकता दी जा रही है जो अत्यंत गरीब या बीपीएल परिवार के हैं. दूसरा पीपी मोड के तहत शहर के विभिन्न मार्केट कॉम्प्लेक्स के समीप शौचालय का निर्माण कराया जाना है. जबकि तीसरे मोड में स्वच्छ भारत मिशन के तहत गंदी बस्ती एवं गरीबों की बस्ती में सामुदायिक शौचालय का निर्माण किया जाना है. यदि किसी के घर में शौचालय बनाने के लिए जगह नहीं है तो वैसे परिवारों की समस्या को देखते हुए सामुदायिक शौचालय का निर्माण कराया जायेगा.
खुले में शौच बनी है मजबूरी
मुंगेर शहर का एक बड़ा तबका खुले में शौच जाने को विवश है. क्योंकि उसके घर शौचालय नहीं है और आसपास सार्वजनिक शौचालय की भी व्यवस्था नहीं है. फलत: लोक लाज त्याग कर घर की महिलाएं व बहु-बेटी को भी खुले में शौच करनी पड़ती है. शहर के मुख्य बाजार को छोड़ मुहल्लों की स्थिति काफी बदहाल है. शहर के लाल दरवाजा, दलहट्टा, लल्लू पोखर, गोढ़ी टोला, कंकड़ घाट, करबल्ला, हेरूदियारा,
चांय टोला एवं चंडी स्थान के इर्दगिर्द के शौचालयविहीन लोग जहां सुबह शाम गंगा किनारे शौच के लिए जाते हैं. वहीं 2 नंबर गुमटी पूअर हाउस से लेकर पूरबसराय, कृष्णापुरी, संदलपुर के लोग रेलवे लाइन के किनारे खुले में शौच करते हैं. इसी प्रकार शहर के दक्षिणी क्षेत्र महद्दीपुर, बिंदवारा, कासिम बाजार, शक्तिनगर, हसनगंज, नौलखा क्षेत्र के लोग अपने-अपने इलाके के खेत व झाड़ी में शौच करते हैं.
कहते हैं वार्ड पार्षद
नगर निगम के वार्ड पार्षद सुनील राय का कहना है कि निगम द्वारा शौचालय निर्माण के कार्य को गति प्रदान करने में लापरवाही बरती जा रही है. जो शौचालय विहीन परिवार आवेदन दे रहे उसके स्वीकृति से लेकर कार्यादेश तक निर्गत करने में काफी विलंब हो रहा है. फलत: गत वित्तीय वर्ष के लक्ष्य के विरुद्ध भी अबतक 50 प्रतिशत लोगों को शौचालय निर्माण का आदेश नहीं मिल पाया है.
कहते हैं नगर प्रबंधक
नगर प्रबंधक एहतेशाम हुसैन का कहना है कि अबतक 450 आवेदकों को कार्यादेश निर्गत किया गया है. उनका कहना है कि उनके पास मैन पावर का कमी है. जिसके कारण ऑनलाइन प्रवृष्टि में विलंब हो रहा है. जबतक आवेदनों का ऑनलाइन प्रवृष्टि नहीं हो जाता तब तक कार्यादेश नहीं दिया जा सकता. अब शीघ्र ही इस योजना को गति प्रदान किया जायेगा.
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