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कोर्ट-कानून पर कायम रहे विश्वास

हाइकोर्ट . कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश ने किया विधिक सेवा सदन का उद्घाटन, कहा पटना उच्च न्यायालय के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश इकबाल अहमद अंसारी ने रविवार को मुंगेर न्याय मंडल में विधिक सेवा सदन का उद्घाटन किया. इस अवसर पर नगर भवन में आयोजित समारोह में आगत अतिथियों का जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुषमा सिन्हा ने […]

हाइकोर्ट . कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश ने किया विधिक सेवा सदन का उद्घाटन, कहा

पटना उच्च न्यायालय के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश इकबाल अहमद अंसारी ने रविवार को मुंगेर न्याय मंडल में विधिक सेवा सदन का उद्घाटन किया. इस अवसर पर नगर भवन में आयोजित समारोह में आगत अतिथियों का जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुषमा सिन्हा ने स्वागत किया और मुंगेर के ऐतिहासिकता का वर्णन करते हुए इस एडीआर भवन को न्यायिक व्यवस्था के लिए मील का पत्थर बताया.

मुंगेर : कोर्ट व कानून पर विश्वास कायम रहे, इसमें विधिज्ञ संघ के सदस्यों की महत्वपूर्ण भूमिका है. जब न्यायालय से विश्वास उठ जायेगा तो लोग गलत तरीके अपनायेंगे जो कानून व समाज के लिए सही नहीं है. इसलिए एडीआर सिस्टम के माध्यम से न्यायिक प्रक्रिया को सुलभ बनाया गया है. जिसमें प्रभावित पक्ष के लोग आपसी समझौते के तहत मामलों का निष्पादन त्वरित पा सकेंगे. ये बातें पटना उच्च न्यायालय के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश इकबाल अहमद अंसारी न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता, न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार सिंह एवं न्यायमूर्ति श्रीमती नीलू अग्रवाल ने रविवार को मुंगेर न्याय मंडल में विधिक सेवा सदन के उद्घाटन के मौके पर कही.

लॉ सोसाइटी के साथ : न्यायमूर्ति इकबाल अहमद

कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश इकबाल अहमद अंसारी ने कहा है कि लॉ सोसाइटी के साथ चलता है. पहले हिंदू विवाह अधिनियम में संबंध विच्छेद की कोई व्यवस्था नहीं थी. जब डॉ भीमराव अंबदेकर ने इस कानून को पेश किया था तो उन्हें भारी विरोध का सामना करना पड़ा था. लेकिन बाद में यह कानून बना. आज इसके लिए परिवार न्यायालय भी बनाये गये हैं.

उन्होंने कहा कि एडीआर सिस्टम को पश्चिम के देशों से लिया गया है. किंतु हमारी न्यायिक व्यवस्था पाश्चात्य सिस्टम से अलग है. इसलिए हमें अपने सामाजिक ढांचे के अनुरूप न्यायिक व्यवस्था को चलाना है. एडीआर विवादों के समाधान का एक वैकल्पिक व्यवस्था है. जिसके माध्यम से न्यायालय में मुकदमे के बोझ को भी कम किया जा सकता.

त्वरित न्याय से ही बढेगा विश्वास : न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता

न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता ने कहा है कि लोगों को त्वरित न्याय मिलनी चाहिए. तभी न्याय के प्रति विश्वास पैदा होगा. एडीआर सिस्टम में त्वरित न्याय की व्यवस्था की गयी है. इसके तहत मामलों का निष्पादन कोई न्यायाधीश नहीं करते बल्कि दोनों पक्ष के लोग खुद मामलों को निबटाते हैं. जिसमें आपसी समझ, प्रेम व भाइचारा भी होती है. इस व्यवस्था का सबसे महत्वपूर्ण पहलु यह है कि इसमें न अपील होता है और न ही रिवीजन. इस न्यायिक सिस्टम को आज पूरे विश्व में स्वीकार किया जा रहा.

न्याय सबके लिए : न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार . न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार सिंह ने कहा है कि न्याय सबके लिए की व्यवस्था तभी कारगर होगी जब लोगों को शीघ्र न्याय मिले और न्याय पर उनका विश्वास कायम हो. इसके लिए एडीआर अर्थात अल्टरनेटिव डिस्प्यूट रिजोलेशन सिस्टम अत्यंत ही कारगर है. हमारे संविधान में न्याय सबके लिए की व्यवस्था की गयी है. इसके तहत लोक अदालत, परिवार न्यायालय, विधिक जागरूकता कार्यक्रम के माध्यम से लोग न्याय प्राप्त कर सकेंगे. मुंगेर न्याय मंडल में यह संसाधन उपलब्ध कराया गया है. ताकि यहां के लोग अपने मामलों का समाधान खुद अपने तरीके से कर पायें.

एडीआर में मनी व टाइम की बचत : न्यायमूर्ति नीलू अग्रवाल

न्यायमूर्ति नीलू अग्रवाल ने कहा है कि न्यायिक व्यवस्था में एडीआर सिस्टम काफी महत्वपूर्ण पद्धति है. जिसमें लोगों को जहां मनी व टाइम की बचत होती है. वहीं रिलेशनशिप कायम होता है. सभी प्रकार के पारिवारिक विवाद, जमीन, बिजली, बैंक, बीमा के मामलों का यहां निष्पादन होगा और न्याय के प्रति लोगों का विश्वास बढेगा. उन्होंने कहा कि इसे कारगर बनाने में अधिवक्ताओं की महत्वपूर्ण भूमिका है. वे यह नहीं समझे कि उनका पेशा प्रभावित होगा. बल्कि वे अपने पेशा व सामाजिक दायित्वों का सफल निर्वहन कर पायेंगे.

न्यायमूर्तियों का हुआ भव्य स्वागत

पटना उच्च न्यायालय के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश सहित सभी न्यायाधीशों का मुंगेर न्याय मंडल की ओर से आयोजित समारोह में भव्य स्वागत किया गया. एक ओर जहां मुंगेर न्याय मंडल के न्यायाधीशों ने बुके देकर उनका स्वागत किया. वहीं दूसरी ओर बिहार स्कूल म्यूजिक एंड आर्ट्स की बच्चियों ने स्वागत गान पेश की. जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुषमा सिन्हा, अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम पीसी चौधरी, अपर सत्र न्यायाधीश पंचम ज्योति स्वरूप श्रीवास्तव ने न्यायमूर्तियों को बुके व स्मृति चिह्न प्रदान किये.

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