जमालपुर की चर्चित घटना में आया फैसला
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आदित्य हत्याकांड : मनीष को फांसी
जमालपुर की चर्चित घटना में आया फैसला मुंगेर : जमालपुर के चर्चित छात्र आदित्य राजकमल हत्याकांड में मुख्य आरोपी मनीष मंडल उर्फ नेपाली मंडल को दोषी पाकर मुंगेर के अपर सत्र न्यायाधीश पंचम ज्योति स्वरूप श्रीवास्तव ने फांसी की सजा सुनायी. नेपाली मंडल को भादवि की धारा 302 के तहत फांसी व 10 हजार रुपये […]
मुंगेर : जमालपुर के चर्चित छात्र आदित्य राजकमल हत्याकांड में मुख्य आरोपी मनीष मंडल उर्फ नेपाली मंडल को दोषी पाकर मुंगेर के अपर सत्र न्यायाधीश पंचम ज्योति स्वरूप श्रीवास्तव ने फांसी की सजा सुनायी.
नेपाली मंडल को भादवि की धारा 302 के तहत फांसी व 10 हजार रुपये का अर्थदंड एवं धारा 364 ए व 377 में अंतिम सांस तक आजीवन कारावास तथा 201 में सात वर्ष सश्रम कारावास की सजा सुनायी गयी. इस कांड की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से अपर लोक अभियोजक सुशील कुमार सिन्हा व बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता उपेंद्र शर्मा ने बहस में भाग लिया.
आदित्य हत्याकांड : मनीष…
आइसक्रीम खिलाने के बहाने किया था अगवा
जमालपुर के केशोपुर नक्कीनगर निवासी राजकमल उर्फ राजू मंडल के पुत्र आदित्य राजकमल (10 वर्ष) को मनीष मंडल काफी दिनों से गलत नियत से आइसक्रीम व चॉकलेट खिलाता था. 9 अप्रैल 2012 को मनीष ने अपने दो साथी अमित झा व मनोज कुमार के साथ आदित्य को आइसक्रीम खिलाने के बहाने अगवा कर लिया था और उसके पिता को मोबाइल से फोन कर 50 हजार की फिरौती मांगी थी. साथ ही नेपाली मंडल ने आदित्य को अपने पिता से बात भी करायी थी. बाद में इन आरोपियों ने बालक आदित्य के साथ अप्राकृतिक यौनाचार कर उसकी हत्या कर दी थी.
अगले ही दिन 10 अप्रैल को पुलिस ने मनीष उर्फ नेपाली मंडल को गिरफ्तार किया था और उसी के बताये स्थान से आदित्य का शव बरामद किया गया था. इस घटना को लेकर उस समय जमालपुर आंदोलित हो उठा था. पुलिस पर भारी दबाव के बीच 72 घंटे में ही आरोपी के विरुद्ध न्यायालय में आरोप पत्र समर्पित किया गया था.
घटनाक्रम
* आदित्य का अपहरण : 9 अप्रैल 2012
* मनीष की गिरफ्तारी : 10 अप्रैल 2012
* बालक का शव बरामद : 10 अप्रैल 2012
* आरोप पत्र समर्पित : 12 अप्रैल 2012
* न्यायालय ने लिया संज्ञान : 13 अप्रैल 2012
* न्यायालय द्वारा चार्ज फ्रेम : 4 मई 2012
* गवाहों का परीक्षण प्रारंभ : 19 मई 2012
* गवाहों का परीक्षण समाप्त : 8 अक्तूबर 2012
* न्यायालय में दोषी करार : 6 मई 2016
* न्यायालय का फैसला : 7 मई 2016
अप्राकृतिक यौनाचार के बाद की थी हत्या
फांसी की सजा मिलने के बाद मनीष मंडल को लेकर जाती पुलिस.
अभियोजन पक्ष ने बताया नृशंस
सत्रवाद संख्या 308/2012 में सुनवाई करते हुए न्यायालय ने घटना में उपलब्ध साक्ष्य व गवाहों के बयान के आधार पर मनीष मंडल को भादवि की धारा 377, 302, 201 एवं 364 (ए)/34 के तहत दोषी करार दिया. शनिवार को सजा के बिंदु पर सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से एपीपी सुशील कुमार सिन्हा ने इसे नृशंस बताते हुए आरोपी मनीष उर्फ नेपाली मंडल को फांसी की सजा देने की अपील न्यायालय से की.
जबकि बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता उपेंद्र शर्मा ने कहा कि मनीष मंडल का यह पहला अपराध है और इसकी उम्र भी कम है. इसलिए इसे कम से कम सजा दी जाये.
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