नक्सलियों के भय से ग्रामीण पहाड़ छोड़ उतर रहे नीचे फोटो संख्या : 14फोटो कैप्शन : वन विभाग की जमीन पर बना रहे आशियाना प्रतिनिधि , धरहरा सरकार की पहल पर आखिरकार नक्सलियों की मांद में करीब 100 वर्षों से रह रहे पेसरा व मंझली टांड़ के सैकड़ों लोग पहाड़ छोड़ नीचे आ रहे है. आजीमगंज पंचायत स्थित वन विभाग की ग्यारह बीघा जमीन पर इन लोगों द्वारा अपना रैन बसेरा बनाया जा रहा है. अब उन्हें भी समाज की मुख्यधारा से जुड़ कर जीवन जीना अच्छा लग रहा है. नक्सलियों की शरण स्थली रही पेसरा व मझली टांड़ गांव पहाड़ और जंगलों के बीच है. जहां सैकड़ों की संख्या में लोग जीवन यापन कर रहे थे. लेकिन नक्सलियों के कारण जब उनका जीवन नरक बनने लगा तो वे लोग प्रशासन की पहल पर अमल किया. ग्रामीण पहाड़ से उतर कर वन विभाग की नोनिया पहाड़ स्थित जमीन पर घर बनाना शुरू कर दिया. एक के बाद एक परिवार पहाड़ से उतर कर यहां बस रहे हंै. लेकिन सुविधा के नाम पर यहां कुछ नहीं है. पेयजल, संपर्क सड़क, स्वास्थ्य केंद्र, बिजली जैसी समस्या मुंह बाये हुए खड़ी है. पैसरा व मंझली टांड़ के सैकड़ों आदिवासियों में मात्र चार युवक ही मैट्रिक पास है. जो पेसरा व मंझली गांव में शिक्षा के पैमाने को दर्शनें के लिए काफी है. ग्रामीण सुफल कोड़ा, मनोज कुमार, देवरराज कुमार, धर्मेंद्र कोड़ा, रवि कोड़ा ने कहा कि सरकार ने हमलोगों को नक्सली की मांद से निकाल कर एक सुरक्षित स्थान पर लाकर बसा तो दिया. लेकिन सुविधा के नाम पर कुछ नहीं है. रोजगार के लिए आज भी हमलोगों को दिल्ली, पंजाब जाना पड़ सकता है. अगर सरकार बकरी पालन, मुर्गी पालन, गौ पालन, वृक्षा रोपण से संबंधित रोजगार दे तो हमलोग बाहर नहीं जायेंगे. उसने बताया कि जब भी हमलोग बीमार पड़ते थे तो पहाड़ से उतर कर पीएचसी धरहरा जाना पड़ता था और आज भी वहीं जाना पड़ता है. क्योंकि यहां स्वास्थ्य सुविधा की कोई व्यवस्था नहीं है. इधर आदिवासी समुदाय के लोगों ने जिला प्रशासन से इस जमीन पर मालिकाना हक दिलाने के साथ ही मूलभूत सुविधा उपलब्ध कराने की मांग की.
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नक्सलियों के भय से ग्रामीण पहाड़ छोड़ उतर रहे नीचे
नक्सलियों के भय से ग्रामीण पहाड़ छोड़ उतर रहे नीचे फोटो संख्या : 14फोटो कैप्शन : वन विभाग की जमीन पर बना रहे आशियाना प्रतिनिधि , धरहरा सरकार की पहल पर आखिरकार नक्सलियों की मांद में करीब 100 वर्षों से रह रहे पेसरा व मंझली टांड़ के सैकड़ों लोग पहाड़ छोड़ नीचे आ रहे है. […]
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