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VIDEO में देखिए, बिहार के मुंगेर में 3 तलाक बिल के विरोध में उतरी महिलाएं

मुंगेर : एक तरफ जहां देश की ज्यादातर मुस्लिम महिलाओं ने तीन तलाक के बिल का समर्थन किया है. वहीं दूसरी ओर बिहार के मुंगेर जिले में तीन तलाक बिल के विरोध में मुस्लिम समाज की महिलाओं का सैलाब मुंगेर की सड़क पर उतर आया. महिलाओं ने महारैली के माध्यम से केंद्र सरकार संसद में […]

मुंगेर : एक तरफ जहां देश की ज्यादातर मुस्लिम महिलाओं ने तीन तलाक के बिल का समर्थन किया है. वहीं दूसरी ओर बिहार के मुंगेर जिले में तीन तलाक बिल के विरोध में मुस्लिम समाज की महिलाओं का सैलाब मुंगेर की सड़क पर उतर आया. महिलाओं ने महारैली के माध्यम से केंद्र सरकार संसद में पेश किये जा रहे तीन तलाक बिल का जमकर विरोध किया. महिलाओं ने बिल वापस लो तीन तलाक बिल हमें मंजूर नहीं जैसे नारों के साथ लेकर सड़कों पर प्रदर्शन किया. उसके बाद महिलाओं ने मुंगेर के जिला पदाधिकारी को इस संदर्भ में एक ज्ञापन सौंपा. जिसे राष्ट्रपति को भेजने की मांग की.

इससे पूर्व बिहार में, संसद के आगामी सत्र में केंद्र सरकार की ओर से तीन तलाक और तलाकशुदा महिलाओं के भरण पोषण के लिए आनेवाले संभावित विधेयक का देश के राजनीतिक दलों एवं मुसलिम समाज के प्रगतिशील लोगों को समर्थन करना चाहिए. यह बातें, बिहार के उपमुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक को संबोधित करते हुए कही थीं. साथ ही कहा कि राज्य सरकार मुख्यमंत्री अल्पसंख्यक विद्यार्थी प्रोत्साहन योजनांतर्गत सरकारी स्कूलों की भांति मदरसों से 10वीं व 12वीं की परीक्षा अच्छे अंकों में उत्तीर्ण करनेवालों को भी छात्रवृत्ति देने की बात कही थी.

उन्होंने कहा था कि पिछले 22 अगस्त को एक साथ तीन तलाक को उच्चतम न्यायालय द्वारा अवैध करार दिये जाने के बाद संसद के आगामी सत्र में भारत सरकार की ओर से तीन तलाक और तलाकशुदा महिलाओं के भरण पोषण के लिए आनेवाले संभावित विधेयक का देश के राजनीतिक दलों व मुसलिम समाज के प्रगतिशील लोगों को समर्थन करना चाहिए. उन्होंने आरोप लगाया था कि 31 साल पहले 1986 में सुप्रीम कोर्ट ने शाहबानो मामले में गुजारा भत्ता का निर्णय दिया था, मगर तत्कालीन राजीव गांधी सरकार ने कानून में संशोधन कर मुस्लिम तलाकशुदा महिलाओं को उससे वंचित कर दिया था. उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य की सरकारें किसी भी धर्म के अंदरूनी मामले, रीति-रिवाज आदि में कोई हस्तक्षेप और धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं करती हैं, मगर महिलाओं, बच्चों के साथ होनेवाले भेदभाव, तीन तलाक, दहेज प्रथा, बाल विवाह, छुआछूत जैसी सामाजिक बुराइयों को रोकने की पहल जरूर करेगी.

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