सीजेएम के निर्देश के बावजूद दर्ज नहीं हुई प्राथमिकी
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कोतवाली थाने में नहीं हैं अंग्रेजी के जानकार, कैसे हो एफआइआर
सीजेएम के निर्देश के बावजूद दर्ज नहीं हुई प्राथमिकी कोतवाल के विरुद्ध कार्रवाई का आदेश मुंगेर : कोतवाली थाना में अंग्रेजी के जानकार पदाधिकारी एक भी नहीं हैं. इस कारण प्राथमिकी दर्ज कर अनुसंधान करना मुश्किल है. यह कहना है कि मुंगेर शहर के कोतवाल इंस्पेक्टर श्रीराम चौधरी का. उन्होंने मुंगेर के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी […]
कोतवाल के विरुद्ध कार्रवाई का आदेश
मुंगेर : कोतवाली थाना में अंग्रेजी के जानकार पदाधिकारी एक भी नहीं हैं. इस कारण प्राथमिकी दर्ज कर अनुसंधान करना मुश्किल है. यह कहना है कि मुंगेर शहर के कोतवाल इंस्पेक्टर श्रीराम चौधरी का. उन्होंने मुंगेर के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी द्वारा परिवाद पत्र संख्या 499सी/17 के मामले में एफआइआर दर्ज करने के आदेश को ठेंगा दिखाते हुए परिवाद पत्र को यह कहते हुए वापस कर दिया कि कोतवाली थाना में अंग्रेजी के जानकार पदाधिकारी एक भी नहीं रहने के कारण कांड के अनुसंधान में काफी कठिनाई हो सकता है. इसलिए इसे वापस किया जाता है. इधर इस मामले को गंभीरता से लेते हुए मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ने डीआइजी को कोतवाली थानाध्यक्ष के विरुद्ध कार्रवाई का आदेश दिया है.
क्या है मामला : हरियाणा गुड़गांव के कांमेट इंजीनियरिंग वर्क्स के प्रोपराइटर महेंद्र सिंह ने हैदराबाद के एक कंपनी केएसआर इंट्राटेक इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड के सीइओ डॉ वाइ किरण कुमार पर मुंगेर के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के न्यायालय में जालसाजी का परिवाद पत्र दायर किया था. 22 मई 2017 को यह परिवाद दायर किया गया था. परिवाद पत्र संख्या 499सी/17 के मामले में मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ने कोतवाली थानाध्यक्ष को प्राथमिकी दर्ज कर अनुसंधान का आदेश दिया था. किंतु कोतवाली थानाध्यक्ष न्यायालय के आदेश के बावजूद एफआइआर दर्ज करने को तैयार नहीं है. पांच माह के दौरान लगातार न्यायालय इस मामले में एफआइआर दर्ज कराने के लिए आदेश निर्गत करता रहा है और थानाध्यक्ष न्यायालय के आदेश को नजरअंदाज करता रहा है.
डीआइजी व एसपी को भी किया था निर्देशित : कोतवाली थाना पुलिस द्वारा प्राथमिकी दर्ज नहीं करने पर न्यायालय ने मुंगेर प्रक्षेत्र के डीआइजी व एसपी के माध्यम से भी निर्देशित किया था. यहां तक कि 25 अगस्त 2017 को न्यायालय ने थानाध्यक्ष से स्पष्टीकरण मांगा था. जबकि 19 सितंबर 2017 को एसपी के माध्यम से शॉ काउज किया गया था. बावजूद जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो न्यायालय ने 10 अक्टूबर को मुंगेर के पुलिस उपमहानिरीक्षक को पत्र भेज कर कार्रवाई को निर्देशित किया था. बावजूद न तो न्यायालय के आदेश पर प्राथमिकी दर्ज हुई और न ही कोतवाल के विरुद्ध कोई कार्रवाई हुई.
कोतवाल ने न्यायालय को लौटाया परिवाद पत्र
मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ने जिस मामले में कोतवाली थाना पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया था उसके मूल आवेदन को चार माह बाद कोतवाली थानाध्यक्ष श्रीराम चौधरी ने न्यायालय को वापस कर दिया. उन्होंने मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी को भेजे अपने ज्ञापांक 1463/17 में कहा है कि ” परिवाद पत्र संख्या 499सी/17 मूल आवेदन पत्र प्राप्त हुआ है. परिवाद के मूल आवेदन के साथ संलग्न प्रतिवेदन जो अंग्रेजी में अंकित किया हुआ रहने के कारण कांड अंकित नहीं किया गया है. कोतवाली थाना में अंग्रेजी के जानकार पदाधिकारी एक भी नहीं रहने के कारण कांड के अनुसंधान में काफी कठिनाई हो सकता है. जिसे वापस किया जाता है. ”
कोतवाल पर कार्रवाई का आदेश
परिवाद पत्र संख्या 499सी/17 के मामले में एफआइआर दर्ज न कर उसे वापस करने के मामले को न्यायालय ने गंभीरता से लिया है और इसे न्यायालय की अवमानना करार दिया है. मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ने इस मामले में सुनवाई के दौरान सोमवार को कोतवाली थानाध्यक्ष के विरुद्ध कार्रवाई का आदेश देते हुए डीआइजी को निर्देशित किया है.
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