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अध्यक्ष जायेंगे जदयू के खेमे में

मुंगेर जिला कांग्रेस पर संकट. जिले के इतिहास में पहली बार नहीं मनी गांधी व शास्त्री जी की जयंती पार्टी के जिलास्तरीय पदाधिकारियों में है चर्चा मुंगेर : मुंगेर जिला कांग्रेस कमेटी संकट के दौर से गुजर रही है. पार्टी के जिलाध्यक्ष लंबे समय से संगठन के कार्यों में कोई दिलचस्पी नहीं ले रहे और […]

मुंगेर जिला कांग्रेस पर संकट. जिले के इतिहास में पहली बार नहीं मनी गांधी व शास्त्री जी की जयंती

पार्टी के जिलास्तरीय पदाधिकारियों में है चर्चा
मुंगेर : मुंगेर जिला कांग्रेस कमेटी संकट के दौर से गुजर रही है. पार्टी के जिलाध्यक्ष लंबे समय से संगठन के कार्यों में कोई दिलचस्पी नहीं ले रहे और माना जा रहा कि वे जल्द ही जदयू में शामिल हो सकते हैं. यहां तक कि आजादी के बाद शायद पहली बार ऐसा हुआ जब जिला कांग्रेस मुख्यालय तिलक मैदान में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती 2 अक्तूबर को नहीं मनायी गयी. इसका कोई यथोचित कारण भी स्पष्ट नहीं किया गया.
मुंगेर जिला कांग्रेस के अध्यक्ष सौरभ निधि पार्टी के पूर्व राज्य अध्यक्ष अशोक चौधरी के गुट के हैं. उन्होंने ही इन्हें जिलाध्यक्ष बनाया था. महागठबंधन के सरकार के कार्यकाल में सौरभ निधि सत्तारूढ़ दल के जिलाध्यक्ष के रूप में अधिकारियों के नजदीकी भी रहे और अशोक चौधरी के शिक्षा मंत्री रहने के कारण शिक्षा विभाग में उनकी खूब चलती भी रही. कम समय में ही जिलाध्यक्ष ने सत्तारूढ़ दल का स्वाद चखा और अब उन्हें विपक्ष की भूमिका पच नहीं रही. इसलिए उनकी पूरी गतिविधि अशोक चौधरी के साथ ही है जो प्रदेश स्तर पर अब सत्तारूढ़ दल के करीबी माने जाते हैं. महागठबंधन के दौर में सौरभ निधि जदयू के कुछ बड़े नेताओं के संपर्क में आये और अब वे उन नेताओं के सहारे जदयू का दामन थामने के प्रयास में लगे हैं. पार्टी के जिलास्तरीय पदाधिकारी भी इस बात को स्वीकार करते हैं. लेकिन सबको इंतजार है कि विधिवत रूप से जिलाध्यक्ष कब जदयू का दामन थामेंगे.
नहीं मनी गांधी व शास्त्री की जयंती : मुंगेर के इतिहास में शायद पहली बार कांग्रेस मुख्यालय तिलक मैदान में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती नहीं मनायी गयी. वैसे पार्टी के समर्पित कार्यकर्ता दामोदर यादव का कहना है कि 10-12 की संख्या में कांग्रेसी तिलक मैदान तो पहुंचे,
लेकिन कार्यालय व सभाकक्ष का दरवाजा ही नहीं खुला. फलत: वे लोग मायूस होकर लौट गये. उन्हें इस बात का मलाल है कि जिस गांधी के पदचिह्नों पर पार्टी की नींव रखी गयी और मुंगेर संगठन आज उसे भुला दिया. जबकि कांग्रेस संगठन में मुंगेर का स्वर्णिम इतिहास रहा है और इस जिले ने बिहार को जहां प्रथम मुख्यमंत्री के रूप में डॉ श्रीकृष्ण सिंह दिया था. वहीं बाद के समय में चंद्रशेखर सिंह भी राज्य के मुख्यमंत्री रहे. घनश्याम सिंह व राजो सिंह जैसे कद्दावर नेता जिलाध्यक्ष की कुर्सी पर रहे हैं. लेकिन वर्तमान दौर में जिला कांग्रेस संकट के दौर से गुजर रहा है.

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