मोतिहारी. शहर के अगरवा मोहल्ले में आयोजित शिव महापुराण कथा के छठे दिन अयोध्या से पधारे महंथ रामप्रवेश दास ने कार्त्तिक भगवान के जन्म की कथा सूनाते हुए कहा कि पति व्रत स्त्री भगवान को सर्वाधिक प्रिये है. खचाखच भरे पंडाल में पुरूषों से कम नहीं थी महिलाओं की संख्या. इस दौरान तालियों की गड़गड़ाहट के बीच कहा कि शिव के तेज से कार्त्तिक भगवान का जन्म हुआ था, जिन्हें देवताओं का सेनापति बनाया गया. इस दौरान उन्होंने तारका सुर का वध किया. जलंधर वध की कथा सूनाते हुए महंथ रामप्रवेश दास ने कहा कि जलंधर की पत्नी पति व्रत थी, जिसके कारण उसका व्रत नहीं हो रहा था. तब विष्णु भगवान छल पूर्वक उसके पति धर्म को नष्ट किये, तब जाकर उसका वध भगवान शंकर के हाथों हुआ. जलंधर की पत्नी ने भगवान विष्णु को पति के मृत्यु के बाद पत्थर होने का श्राप दिया, जिसके बाद भगवान विष्णु शालीग्राम बन गये और जलंधर की पत्नी तुलसी बनी. जहां शंकर भगवान ने वरदान दिया कि बिना तुलसी पुजा-पाठ में भगवान का भोग नहीं लगेगा. तबसे तुलसी का प्रयोग पुजा-पाठ में होने लगा. मौके पर कमिटी के विजय सिंह, सच्चिदानंद सिंह, रत्नेश ठाकुर, सुधांशु शर्मा, रामकुमार राय, देवेंद्र कुमार, पिंकू सिंह, उमेश ठाकुर, बब्बलू सिंह, रिपू रंजन सिंह सहित कई लोग सक्रिय रहे.
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